रक्षा के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता के लिए पहल

भारत ने अब तक अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इस ने अपने-आप को इन अनुसंधानों के साथ विश्व के कुछेक देशों में शामिल कर लिया है। इन अनुसंधानों ने देश के तकनीकी विकास में बड़े क्रांतिकारी  परिवर्तन किये हैं। यहां तक कि अब अधिकतर देश भारतीय अंतरिक्ष केन्द्र पर अपनी आस रखने लगे हैं। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की ओर से इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए उस समय बड़ी योजनाएं बनाई गई थीं। इसके मुकाबले में अपने रक्षा क्षेत्र में हथियारों के घरेलू उत्पादन में देश पिछड़ा रहा। आज़ाद होने के बाद पहले अपने पड़ोसी पाकिस्तान के साथ और फिर चीन के साथ पैदा हुए तनाव और लड़ी गई लड़ाइयों के कारण भारत विदेशों से हर तरह के आधुनिक हथियार खरीदता रहा है। पहले सोवियत संघ और फिर रूस, अमरीका और फ्रांस आदि देशों से इसने अब तक थल, वायु तथा जल युद्ध के पक्ष से आवश्यकताएं पूरी करने के लिए अरबों-खरबों के सौदे किये हैं। इसी समय के दौरान देश में सरकारी क्षेत्र में हथियार बनाने के लिए कारखाने अवश्य लगाए गए लेकिन इनमें उत्पादन कम होता था और इस क्षेत्र की आवश्यकताएं बहुत अधिक थीं। इसीलिए पिछले सात दशक से भारत अपने आर्थिक साधनों का बड़ा हिस्सा इन आवश्यकताओं को पूरा करने पर खर्च करता रहा है। अब केन्द्र सरकार की ओर से प्रथमिकता के आधार पर अपने देश में ही निजी क्षेत्र को शामिल करके हर तरह के उत्पादन को उत्साहित करने के लिए जो फैसला किया गया है, उसे एक बड़ा पुलांघ कहा जा सकता है। इस वर्ष फरवरी के महीने में लखनऊ में जो रक्षा  प्रदर्शनी लगाई गई थी, उसमें ही देश की ऐसी प्राथमिकता उजागर हो गई थी। इस प्रदर्शनी में 80 से अधिक भारतीय कम्पनियों ने हिस्सा लिया था। पिछले समय से सरकार ने बड़ी कम्पनियों को भी इस क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएं बनाई हैं। इसी के साथ-साथ उनको विभिन्न हथियारों के उत्पादन के लिए बड़े स्तर पर लाइसैंस भी जारी किये गए हैं। विदेशी कम्पनियों को भी यहां अपनी निगरानी में ऐसी फैक्टरियां लगाने का निमंत्रण दिया गया है। योजना के अनुसार यहां तोपें, समुद्री बेड़े, पनडुब्बियां, युद्धक विमानों सहित सौ प्रकार के रक्षा हथियार बनाने के यत्न किये जा रहे हैं। यहां  तक कि आगामी दो वर्षों में 17 हज़ार करोड़ रुपये के हथियारों का निर्यात भी किया जाएगा। क्रूज़ मिसाइलों समेत आगामी पांच वर्षों में पांच लाख करोड़ रुपये के ठेके दिये जाएंगे। इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिये केन्द्रीय रक्षा मंत्री की ओर से भांति-भांति के हथियारों के आयात पर रोक लगाने की घोषणा कर दी गई है। अगले पांच वर्षों में इस पर 35000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। सऊदी अरब के बाद आज भारत सबसे अधिक हथियारों का आयात कर रहा है यदि निर्मित की गई ऐसी बड़ी योजनाओं को पूर्ण कर लिया जाता है तो इससे न केवल देश हथियारों के मामले में आत्म-निर्भर होने की ओर बढ़ेगा अपितु ऐसा निर्माण लाखों लोगों के रोज़गार का साधन भी बन सकेगा तथा अरबों-खरबों रुपये का धन भी देश से बाहर नहीं जाएगा। ऐसी सफलता भारत के तेजी से होने वाले विकास में सहायक हो सकती है। इस क्षेत्र की उपलब्धियां देश के उत्साह एवं विश्वास में भी वृद्धि करने में बड़े धरातल पर सहायक हो सकती हैं जिसकी आज अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। 

            -बरजिन्दर सिंह हमदर्द