सबसे बड़ा अमीर

किसी राज्य में अजयराज नामक एक राजा था। वह अन्य पड़ोसी राजाओं से अधिक शाक्तिशाली था। उसके खजाने में बहुत-सा धन था। खजाना सोने, चांदी, हीरे, मोती से भरा था। इस कारण वह किसी से सीध् मुंह बात नहीं करता था। वह कभी किसी जरुरतमंद को कुछ नहीं देता था तथा किसी मुसीबत में फंसे व्यक्ति की सहायता नहीं करता था। एक बार एक बहुत ही गरीब और फटेहाल आदमी राजा के महल में आया। उसने राजा से कहा, ‘राजन! मैं बहुत गरीब हूं। मुझे अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए कुछ धन चाहिए जिससे मैं कोई काम धंधा शुरु कर सकूं और अपने बच्चों का पेट पाल सकूं। राजा बोला, ‘मैं तुझे कुछ नहीं दूंगा, भाग जा यहां से।’ यह कहकर राजा ने अपने सैनिकों द्वारा धक्के लगवाकर उस गरीब को वहां से निकलवा दिया। बेचारा गरीब आदमी रोते हुए बिना कुछ कहे वहां से चला गया।कुछ दिनों बाद राजा का इकलौता बेटा खेलते-खेलते महल से बाहर चला गया और चलते-चलते मार्ग भटक कर किसी सुनसान और उजाड़ जंगल में पहुंच गया। वहां भूख और भय से वह रोने लगा। शाम हो गई थी। इधर राजा के महल में सभी दास-दासी राजकुमार को ढूंढ़ने में लगे हुए थे। राजा और रानी चिंता के कारण पीले पड़ गए थे और उनके आंसू आने लगे थे।रोते हुए राजकुमार को अचानक उसी गरीब व्यक्ति ने देखा जिसे राजा ने धक्के लगवा कर निकाला था। उसने बालक के पास जाकर पूछा, ‘तुम कौन हो बेटा और यहां उजाड़ में क्या कर रहे हो ?’ इतना पूछना था कि बालक फूट-फूट कर रो पड़ा। उसने बताया कि वह खेलते-खेलते अपने महल से इतना दूर रास्ता भूल कर आया गया। गरीब आदमी समझ गया कि वह उसी राजा का बेटा है। बच्चे को धैर्य बंधाकर वह उसे लेकर महल की ओर चला और वहां जाकर द्वार खटखटाया। पहरेदारों द्वारा सूचना पाकर राजा दौड़ा-दौड़ा आया। उस गरीब परंतु भले आदमी ने सारी बात राजा को बतायी और राजा को उसका पुत्र सौंप दिया। पुत्र को पाकर राजा की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। उसने उस भले आदमी को गले लगा लिया और उसे बहुत-सा धन देकर विदा किया।अब राजा की समझ में आया कि सबसे बड़ा अमीर वह है जो दूसरों की सहायता करें। इसके बाद राजा का हृदय परिवर्तन हो गया और वह सबसे सद्व्यवहार करने लगा।

(सुमन सागर)