क्या है रोग-प्रतिरोधक क्षमता ?

बहुत ही साधारण शब्दों में कहें तो शरीर की रोग पैदा करने वाले हानिकारक कीटाणुओं को कोशिकाओं के अंदर प्रवेश न करने देने की क्षमता को ही ‘रोगप्रतिरोधकता’ कहते हैं। रोग प्रतिरोधकता का काम है रोगाणुओं से लड़ना और रोगप्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है ‘सन्तुलित पोषण’। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में मुख्य भूमिका निभाते हैं प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स जो हमें मिलते हैं उस सात्विक भोजन से जिसे प्रकृति ने हमें इसी उद्देश्य से प्रदान किया है। आज हम बात करेंगे उन्हीं ‘15 खाद्य पदार्थों’ की जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास करने में सहायक हैं। ये खाद्य पदार्थ हैं
हल्दी : हल्दी को सूजन कम करने की विशेषता के कारण ओस्टियोअर्थराइटिस और रह्यूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए उपयोग किया जा रहा है। आप सभी अब जान चुके हैं कि हल्दी के अंदर पाया जाने वाला कुरक्यूमिन शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास करने में सर्वोपरि है और यह एन्टीवायरल भी है।
लहसुन : इसके अंदर पाया जाने वाला सल्फर युक्त कम्पाउंड एलिसिन कमाल का है। इसी के कारण आयुर्वेद में लहसुन को रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला बताया गया है। 
अदरक : अदरक में पाया जाने वाला जिंजीरोल ही इसकी जान है। तीखा जरूर है मगर है बहुत कमाल का। गले की खिचखिच मिनटों में दूर कर देता है। इन्फ्लेमेशन कम करता है और कोलेस्ट्राल भी कम करता है।
नींबू वर्गीय फल: नींबू वर्गीय फलों में विटामिन सी प्रचुर मात्र में पाया जाता है और यह विटामिन सी ही हमें रोगों से लड़ने की अनोखी शक्ति प्रदान करता हैं। विटामिन सी श्वेत रक्त कणिकाओं के बनने में सहायक होता है और यह श्वेत रक्त कणिकाएं ही रोगाणुओं से लड़कर हमें रोग से बचाती हैं। इन फलों में चकोतरा, संतरा, नींबू और मुसम्मी प्रमुख हैं।
पपीता: पपीता भी विटामिन-सी का अच्छा स्रोत है। इसके अलावा पपीते में पैपेन होता है जो डाइजेस्टिव एंजाइम है और एन्टीइन्फ्लामेट्री है।
कीवी : कीवी में भी विटामिन सी के अलावा फोलिक एसिड, पोटैशियम, विटामिन के और विटामिन सी प्रचुर मात्र में पाया जाता है। 
शिमला मिर्च: शिमला मिर्च में संतरे के मुकाबले में तीन गुना विटामिन-सी पाया जाता है। इसके अलावा इसमें बीटा कैरोटिन भी भरपूर होता है जो हमारे शरीर में जाकर विटामिन ए में बदल दिया जाता है। विटामिन ए हमारी आंखों की ज्योति के लिए भी परम् आवश्यक है।
ब्रोकली : इसमें विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन ई के अलावा रेशा भी खूब होता है। बस आपको करना इतना है कि इसे या तो कच्चा ही खाइए या कम से कम पकाइए या फिर भाप में पकाइए।
 ‘बादाम’: प्रोटीन के साथ साथ विटामिन ई का बेहतरीन स्रोत। चूंकि विटामिन ई वसा में घुलनशील विटामिन है इसलिए बादाम के साथ घी का प्रयोग विटामिन ई के अवशोषण को काफी हद तक बढा देता है। 
सूरजमुखी के बीज: इनमें फास्फोरस और मैग्नीशियम के अलावा विटामिन बी6 और विटामिन ई प्रचुर मात्र में होता है जिनके कारण रोगप्रतिरोधकता विकसित करने में यह बहुत अच्छी भूमिका निभाते हैं।
योगर्ट: एक दिन हमने पहले भी बताया था कि इसके अंदर प्रोबायोटिक होते हैं अर्थात ऐसे लाभकारी बैक्टीरिया होते हैं जो अपनी संख्या बढाकर रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं के लिए समस्या पैदा कर देते हैं और उन्हें पनपने नहीं देते। योगार्ट का नियमित सेवन रोगप्रतिरोधकता बनाए रखता है। 
(स्वास्थ्य दर्पण)