शरीर में पानी की कमी न होने दें 

शरीर को चलाने के लिए वायु के बाद पानी का नंबर आता है। ठोस पदार्थों के बिना भी हम अपना शरीर चला सकते हैं, मगर पानी के बिना नहीं। हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी ही है, शेष 30  प्रतिशत ठोस। रक्त में तो 90 प्रतिशत पानी है, शेष ठोस, अत: बिना पानी शायद ही कोई व्यक्ति जिंदा रह पाए।
*  शास्त्रों में पानी को अमृत माना गया है। जल ही जीवन है, जल ही जीवन की सांसें। बिना पानी जीवित रहना असंभव है।
* पानी हमारे शरीर के स्वास्थ्य व शक्ति की रक्षा करता है।
* पानी अंदर ही अंदर अनेक रोगों का उपचार करता है।
* पानी अपने आप में एक औषधि है जो भीतर ही भीतर शरीर को रोगमुक्त करने में लगी रहती है। पानी चिकित्सा द्वारा हम रोगों का शमन कर सकते हैं।
*  प्यास लगने पर जो पानी हम पीते हैं, इसके अतिरिक्त भी हमारे शरीर में खूब पानी विद्यमान रहता है।
* यदि दस्त, उल्टियां, पेचिश कुछ भी लग जाएं तो इससे शरीर में पानी की कमी हो जाना आम बात है। तभी तो इस के लिए मीठा, नमक से बना विशेष जल पीते रहने की सलाह दी जाती है। डीहाइड्रेशन न हो, इसके लिए सचेत रहना होता है।
*  हमारे खाद्य पदार्थों में भी पानी विद्यमान रहता है जिन्हें खाने से शरीर में पानी की कुछ आपूर्ति हो जाती है।
* फल-सब्जियों के माध्यम से भी हमारे शरीर में पानी पहुंचता रहता है जो बहुत अच्छी बात है। संतरा, आम, टमाटर, गाजर, मूली, मौसमी, अमरुद, सेब....सब में पानी रहता है।
* पानी हमारे लिए पाचक भी है। इस के शरीर में विद्यमान होने से भोजन को पचने में मदद मिलती है।
* पानी रक्त में उचित मात्रा में मिल कर उसे पतला बनाता है। तभी तो शरीर में रक्त संचार ठीक से हो पाता है। खून जमता नहीं। यदि पानी की कमी होगी तो खून जम जाएगा अथवा खूब गाढ़ा हो जाएगा। रक्त संचार नहीं हो पाएगा। सब अंगों को पोषण नहीं मिलेगा।
* हमारे जिगर, मेदा, गुर्दा अपने कार्य पानी की मदद से पूरे कर पाते हैं।
*  शरीर का तापमान बढ़ कर असामान्य न हो जाए, पानी यह देखता है। जो इस ओर से लापरवाह होकर, शरीर से पानी में कमी होने देते हैं, वे रोगों का शिकार हो जाते हैं अर्थात् अस्वस्थ रहते हैं।

(स्वास्थ्य दर्पण)