स्वास्थ्यवर्धक आयुर्वेद उपाय

वजन बढ़ाने हेतु औषधि के रूप में घी, तेल, वसा का सेवन कम मात्रा में भोजन में मिलाकर करें। बाकी लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अधिक सेवन से अपच रोग हो सकता है जो अन्य कई रोगों को जन्म देने में सहायक होता है।
* आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार बुखार होने पर जब भूख लगे तभी हल्का, सुपाच्य और काम मात्रा में भोजन लें। आहार में मूंग दाल, दलिया आदि का सेवन करें। एलोपैथी चिकित्सा प्रणाली काफी स्ट्रांग होती है। डॉक्टर के अनुसार दवा खाली पेट नहीं लेनी चाहिए जो नुक्सान पहुंचा सकती है।
*  गर्मियों में आहार में अधिक से अधिक लिक्विडस लें क्योंकि शरीर को जल तत्व की आवश्यता है। सत्तू में चीनी मिलाकर, नारियल पानी, नींबू पानी का सेवन अधिक करें।
*  भोजन के तुरंत बाद नहीं सोना चाहिए। इससे दो नुकसान शरीर को होते हैं, पहला वजन बढ़ना और दूसरा एसिडिटी का बनना।  भोजनोपरांत थोड़ा टहल लें। रात्रि में भोजन करने के 2-3 घंटे बाद सोने के लिए जाएं।
* त्वचा रोगियों को उड़द दाल, दही, गुड़, तिल, मूली, अधिक नमक, दूध के साथ मछली या नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए। 
* अधिक खट्टे खाद्य पदार्थ भी नहीं लेने चाहिए जैसे अमचूर, इमली आदि।
* अधिक खट्टे और बादी वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से पसीना अधिक आता है और खून दूषित होता है। इन दोनों से त्वचा की बीमारी होती है।
* मधुमेह और मोटापे के रोगियों को हमेशा भुने हुए खाद्य पदार्थ लेने चाहिए, अनाज से बनी रोटी खानी चाहिए, चर्बी बढ़ाने वाले आहार कम लेने चाहिए। पानी हमेशा कुनकुना पीना चाहिए।

 (स्वास्थ्य दर्पण)