नेत्रहीन सफल खिलाड़ी सोभित ध्यानी

सोभित ध्यानी जन्म से ही नेत्रहीन हैं। परमात्मा ने उनको जन्म तो दिया परन्तु उन्हें देखने की शक्ति नहीं दी। आज वह नेत्रहीन स्कूल का विद्यार्थी है, परन्तु शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने खेलों में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं और इस नेत्रहीन खिलाड़ी पर उसका स्कूल ही नहीं अपितु पूरा उत्तराखंड गर्व महसूस करता है। सोभित ध्यानी का जन्म पिता ललित ध्यानी और माता सरिता ध्यानी के गृह निवास  गांव विसवानी ज़िला पौढ़ी गढ़वाल में हुआ। जब सोभित ने जन्म लिया तो यह पता नहीं था कि वह आंखों से देख नहीं सकता परन्तु धीरे-धीरे जब वह हाथों के इशारों से चलता बैठता तो माता-पिता को एहसास हो गया कि सोभित देख नहीं सकता और इस बात ने माता-पिता को गहरी चिंता में डाल दिया और फिर डाक्टर के पास जाने का सिलसिला शुरू हुआ परन्तु आखिर डाक्टरों ने यह साबित कर दिया कि सोभित बहुत कम देख सकेगा और आज वह पार्सल यानि बहुत ही कम दिखाई देने वाले नेत्रहीन विद्यार्थियों में शामिल है।सोभित ने वर्ष 2009 में देहरादून के नेत्रहीन कालेज में दाखिला लिया और वह शिक्षा के साथ-साथ खेलों में भी ऊचाईयां छू रहा है। सबसे पहले उसने स्कूल में क्रिकेट खेलनी शुरू की। उसने यूनिवर्सिटी स्तर पर अलीगढ़ यूनिटवर्सिटी द्वारा करवाए गए मुकाबलों में भाग लिया। वर्ष 2017 में उसने 400 मीटर और 800 मीटर में लॉंग जम्प में भी रिकार्ड बनाया। वर्ष 2017 में वह ब्लाइंड फुटबॉल में भी खेले और उन्हें यह सम्मान भी हासिल है कि उन्होंने नैशनल स्तर पर नागेस ट्राफी भी खेली। देहरादून के एन.आई.बी.एच. स्कूल के बहुत ही प्रतिभाशाली अध्यापक कोच नरेश सिंह नयाल के नेतृत्व में खेलों और शिक्षा के क्षेत्र में प्रफुल्लित हो रहे सोभित ध्यानी आने वाले समय का हीरा खिलाड़ी साबित होगा। जिसे अभी से नरेश सिंह नयाल तराश रहे हैं और नरेश सिंह नयाल भी सोभित की उपलब्धियों पर गर्व करते हुए कहते हैं सोभित सच में ही हीरा है।                                      

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