बच्चों को ज़िम्मेदारी का बोध करवाएं

बच्चा जिम्मेदारी को समझता रहे, इसके लिए जरूरी है कि बच्चे में तमाम जिन्दगी से जूझने व हमेशा कार्यरत रहने की आदत बहुत पहले से डाली जाए।
बच्चा जब तीन साल का होता है तो छोटी-छोटी बातों को सीखने के काबिल हो जाता है। अब माता-पिता बच्चों को सिखाने का क्र म शुरू कर सकते हैं। बच्चे को सबसे पहले यह सिखाया जाना चाहिए कि वह बड़ों को सम्मान दे, निर्धारित जगह पर मल-मूत्र का उत्सर्जन करे, भूख लगे तो बड़ों से खाना मांगे, निर्धारित जगह पर बैठकर ही खाना खाए, चीजों को निकालने के बाद निर्धारित जगह पर रखें, खिलौने संभाल कर रखे। बच्चा पांच साल का हो जाता है तो उसे ये बातें सिखाई जा सकती हैं - ठीक समय पर नहा-धो ले, ठीक समय पर खा पी ले, ठीक समय पर पढ़ाई-लिखाई करें, ठीक समय पर खेले-कूदे और ठीक समय पर स्कूल जाए। 
दस साल के बच्चे को यह सब सिखाया जा सकता है - वह नहाने के बाद अपने कपड़े धो ले, खाना खाने के बाद अपनी थाली, प्लेट, गिलास आदि को सही जगह पहुंचाए, घर की तमाम चीजों को व्यवस्थित करने जैसे काम करे आदि। ग्यारह वर्ष को प्राप्त कर चुका बच्चा आस-पास स्थित बाजार व दुकानों से छोटी-मोटी खरीदारी कर माता-पिता को सहयोग दे सकता है।
 वह बागवानी कर सकता है, अखबार पढ़कर देश-विदेश की खबरें जान सकता है तथा सामाजिक-राजनीतिक हलकों को समझ सकता है। इस तरह अठारह वर्ष की आयु को प्राप्त कर चुका बच्चा ट्यूशन वगैरह कर अपने लिए जेब खर्च निकालने के काबिल हो जाता है। याद रहे कि माता-पिता लड़के और लड़की में भेद-भाव न बरतें, किसी की भावनाओं को चोट न पहुंचाएं। उनका मकसद हर एक को जीवन की मुख्यधारा के साथ जोड़ना मात्रा होना चाहिए। (उर्वशी)