गुपकार-2 से सतर्क रहना होगा सरकार को

जुलाई 2019 के आखिर में अचानक अमरनाथ यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया था और जम्मू-कश्मीर में भारी संख्या में सेना तैनात कर दी गई थी। यह राजनीतिक दलों के लिए पर्याप्त संकेत था कि इस राज्य के संदर्भ में कोई बहुत बड़ा फैसला लिया जाना है। इसको मद्देनज़र रखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुला ने जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों को अपने घर पर आमंत्रित किया यह तय करने के लिए कि वह एकजुट होकर राज्य की पहचान, स्वायत्तता व विशेष दर्जे की रक्षा व सुरक्षा करेंगे। इस बैठक में कांग्रेस व भाजपा को छोड़कर राज्य की सभी पार्टियां शामिल हुई थीं और उन्होंने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार करते हुए इस पर हस्ताक्षर किये, जोकि गुपकार घोषणा कहलाया। यह 4 अगस्त, 2019 की बात है। लेकिन 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया, जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया, जिसमें दूसरा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को बनाया गया और अनुच्छेद 35-ए को भी निरस्त कर दिया गया, जो इस क्षेत्र के स्थायी नागरिकों को विशेष अधिकारों की गारंटी देती थी। साथ ही जम्मू-कश्मीर में पूर्ण लॉकडाउन कर दिया गया, राज्य के भीतर सभी तरह की संचार व्यवस्थाओं को ठप्प कर दिया गया। फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती सहित सभी राजनीतिक दलों (भाजपा को छोड़कर) के प्रमुख नेताओं को पी.एस.ए. (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया या उन्हें उनके ही घरों में नज़रबंद कर दिया गया।  अब सभी सियासी नेताओं को रिहा कर दिया गया है। नेशनल कांफ्रैंस के फारूक अब्दुल्ला व उमर अब्दुल्ला को मार्च 2020 में रिहा कर दिया गया था, जबकि महबूबा मुफ्ती को गिरफ्तारी के 14 माह बाद 13 अक्तूबर को रिहा किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि इन नेताओं को उस समय रिहा किया गया जब उनकी रिहाई संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट निर्णय लेने वाला था। मसलन, इल्तिजा मुफ्ती ने अपनी मां व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती की गिरफ्तारी के विरुद्ध याचिका दायर की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट को 15 अक्तूबर को अपना फैसला सुनाना था लेकिन जब जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को महबूबा मुफ्ती के रिहा किये जाने की सूचना दी तो न्यायाधीश संजय किशन कौल ने ‘ओके गुड’ कहा और इस केस को बंद कर दिया।
बहरहाल, नया कोरोना वायरस महामारी व लॉकडाउन के कारण जम्मू-कश्मीर के रिहा नेता कोई खास राजनीतिक गतिविधियों में शामिल न हो सके, लेकिन जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई तो 22 अगस्त, 2020 को फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में छह राजनीतिक दलों की एक बार फिर बैठक हुई और उन्होंने गुपकार-2 घोषणा पर हस्ताक्षर किये और पुन: तय किया कि वे 2019 की घोषणा का पालन करेंगे। इसी घोषणा पर समर्थन लेने हेतु फारूक व उमर अब्दुल्ला 14 अक्तूबर को महबूबा मुफ्ती से मिलने उनके निवास पर गये और उन्हें 15 अक्तूबर की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया, जिसे महबूबा मुफ्ती ने स्वीकार कर लिया। इस बैठक में इन तीनों के अतिरिक्त पीपुल्स कांफ्रैंस के प्रमुख सज्जाद लोन, पीपुल्स मूवमेंट के नेता जावेद मीर और माकपा नेता मुहम्मद यूसुफ  तारीगामी ने हिस्सा लिया। लगभग दो घंटे की बैठक के दौरान इन पार्टियों ने जम्मू-कश्मीर की 5 अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति को बहाल करने के उद्देश्य से एक गठबंधन को औपचारिक रूप दिया, जिसका नाम ‘पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन’ रखा है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘जो कुछ जम्मू-कश्मीर व लद्दाख से छीन लिया गया, उसे पुन: बहाल करने के लिए हम मिलकर संघर्ष करेंगे। ...हम (जम्मू कश्मीर से संबंधित) संविधान को बहाल करने के लिए कोशिश करेंगे जैसा कि वह 5 अगस्त, 2019 से पहले था।’ यह गठबंधन जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दे के समाधान के लिए सभी स्टेकहोल्डर्स से डायलॉग का भी प्रयास करेगा। स्टेकहोल्डर्स में कौन कौन हैं, इसको स्पष्ट नहीं किया गया। गठबंधन का आगे का कार्यक्रम क्या है, इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस घटनाक्रम के संदर्भ में एक राय यह है कि मीडिया को श्रीनगर के ‘खत्म हो चुके’ सियासी खानदानों और बेकार के गुपकार-2 घोषणा को कोई वरीयता नहीं देनी चाहिए, खासकर इसलिए कि इन छह कश्मीरी दलों के गठबंधन में जम्मू-कश्मीर की दो प्रमुख पार्टियां कांग्रेस व भापजा तो शामिल हैं ही नहीं। शायद इसलिए जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव ने कहा कि इन नेताओं की गिरफ्तारी पर ‘एक व्यक्ति भी नहीं रोया’ और इनकी रिहाई पर ‘कहीं कोई खुशी की लहर’ नहीं आयी। दूसरे शब्दों में वह यह संकेत देना चाहते हैं कि अब इन नेताओं का राजनीतिक महत्व खत्म हो गया है, इसलिए इनकी गुपकार-2 घोषणा से कोई हलचल नहीं होगी, तो बेहतर यही है कि इस पर ध्यान न दिया जाये।