पर्यावरण हितैषी दीपावली की पहल

अगर आप सिर्फ एक दिन एक्सरसाइज करेंगे तो आपका मोटापा क्या कंट्रोल में आ जाएगा। यार, एक दिन की एक्सरसाइज से कैसे मोटापा कंट्रोल में आ जाएगा? तो फिर सिर्फ एक दिन पटाखे न चलाने से प्रदूषण कैसे कंट्रोल में आ जाएगा जनाब? ऐसे मैसेज मीडिया में बहुत वायरल हो रहे हैं। लोग धर्म के वशीभूत अपना ही नुकसान कर रहे हैं। होली पर लकड़ियां न जलाएं, दिवाली पर पटाखे न जलाएं , नदियों में मूर्तियां और पूजन सामग्री विसर्जित न करें। शंकर जी का दूध से अभिषेक करने की बजाए गरीब बच्चाें को पिलाएं, यह सब हम हिन्दू धर्म के लिए ही क्यों? क्या केवल हिन्दुआें को निषिद्ध करने से पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है? यह सवाल प्रत्येक हिन्दू की जुबां पर है किन्तु जरा सोचिए, इसमेें किसका नुकसान हो रहा है। यह कहां का न्याय होगा कि हम अपनी खुशी में अपनों के ही साथ खिलवाड़ करें। आज यहां-वहां सब जगह इकोफ्रैंडली का बोलबाला है और यही आज की ज़रूरत है। आज़ादी के बाद भारत में प्रति दशक औसतन 21 फीसदी आबादी में वृद्धि हुई है। विकास में भी भारत ने दुनिया में अपनी पहचान बनाई है किन्तु वहीं प्रदूषण और बीमारी ने भी अपने पैर पसारे हैं। भारत की कुल आबादी की लगभग 80 प्रतिशत आबादी हिन्दू है, फिर पहल हिन्दुआें से ही क्यों नहीं? परिवार के मुखिया की तरह ही हिन्दुस्तानियों के लिये परिवर्तन की पहल से बेहतर मिसाल और क्या हो सकती है? भारत की सनातन परम्पराओं में प्रकृति संरक्षण के तौर पर मान्यता है। हिन्दू धर्म ने सदा प्रकृति को पूजा है। वायु, आकाश, अग्नि, जल और मिट््टी से निर्मित इस देह की रक्षा के लिए प्रकृति दोहन हेतु सुनियोजित नियंत्रित उपयोग करें। बेशक, दीपावली खुशियों का त्यौहार है लेकिन, खुशी मनाने के चक्कर में हम कितना वायु,ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाते हैं, इससे कोई अनभिज्ञ नहीं है। इससे छोटे बच्चे, बुजुर्ग, मूक पशु-पक्षी  सभी प्रभावित होते हैं। देश के हित के लिए किसी न किसी को तो पहल करनी ही होगी। तो चलिए मनाते हैं असली दीपावली...खुशियों से भरपूर इकोफ्रैंडली दिवाली, पर्यावरण हितैषी दीपावली।

 (अदिति)