बारिश लाभदायक परन्तु गेहूं की उत्पादकता यूरिया की कमी से प्रभावित होगी

खरीफ का मौसम समाप्त होने के बाद हुई बारिश सर्दऋतु की पहली बारिश है। कृषि तथा किसान भलाई विभाग के निदेशक डा. राजेश वशिष्ट के अनुसार रबी की मुख्य फसल गेहूं के लिए बड़ी लाभदायक है। गेहूं की बिजाई अक्तूबर के अंतिम सप्ताह से शुरू होकर 15 नवम्बर तक गेहूं के अधीन काश्त में आने वाले 35 लाख हैक्टेयर रकबे में से 13.86 लाख हैक्टेयर रकबे में हो चुकी है। गेहूं की अधिक बिजाई 1 नवम्बर से 15 नवम्बर के समय के दौरान की जाती है। इस समय को दौरान डी.बी. डब्ल्यू 187, डी.बी. डब्ल्यू 222, एच.डी.-3086, एच.डी. 3226, एच.डी.-2967, डब्ल्यू एच.-1105 और उन्नत पी.बी. डब्ल्यू 343 किस्मों की काश्त की गई है। यह बारिश बरानी तथा कंडी के क्षेत्र के लिए और भी लाभदायक है। अक्तूबर व नवम्बर के शुरू में बिजाई की गई गेहूं के लिए सिंचाई की आवश्यता थी जो बारिश ने उपलब्ध की है। पी.ए.यू. से सम्मानित तथा सलाहकार कमेटी के सदस्य बलबीर सिंह जड़िया धर्मगढ़ (अलमोह) कहते हैं कि कहीं-कहीं जहां हाल ही में बिजाई हुई थी, उन स्थानों पर गेहूं के कंडर हो जाने का अंदेशा है। यदि ऐसी स्थिति पैदा हुई तो ऐसे किसानों को पुन: बिजाई करनी पड़ेगा। 
डा. वशिष्ट तथा कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जहां बारिश लाभदायक है वहीं यूरिया की कमी उत्पादकता को प्रभावित करेगी। केन्द्र सरकार के मंत्रियों तथा किसान संगठनों के बीच आन्दोलन तथा मालगाड़ियां चलाने संबंधी कोई फैसला नहीं हो सका। डा. वशिष्ट कहते हैं कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा गेहूं की फसल को तीन किश्तों में 110 किलो यूरिया प्रति एकड़ डालने की सिफारिश की गई है। चाहे किसान 45-45 किलो के तीन थैले डाल कर 135 किलो प्रति एकड़ यूरिया आम डालते हैं। गेहूं की पहली खुराक देने के लिए राज्य में यूरिया उपलब्ध नहीं। एन.एफ.एल. नंगल तथा बठिंडा से ट्रकों द्वारा यूरिया लाया जा रहा है परन्तु इन प्लांटों के पास भी यूरिया का स्टाक बड़ा सीमित है। गेहूं की फसल के लिए 8 लाख टन यूरिया चाहिए। अक्तूबर तथा नवम्बर में 6 लाख टन यूरिया आना था जो मालगाड़ियां बंद होने के कारण पहुंच नहीं सका चाहे राज्य के बाहर आस-पास कई स्थानों पर यूरिया के क्रेट खड़े है।  
राज्य में अब यूरिया की अधिक आवश्यकता है। यदि समय पर गेहूं की फसल को यूरिया न दिया गया तो उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित होगी। पंजाब केन्द्रीय गेहूं भंडारण में एक-तिहाई से अधिक योगदान डालता है। गत वर्ष इसने केन्द्रीय अन्न भंडार का 46 प्रतिशत हिस्सा दिया। मालगाड़ियां सितम्बर के अंतिम सप्ताह से बंद हैं और यूरिया का कोई रेक पंजाब में नहीं लगा। केन्द्र द्वारा मालगाड़ियां नहीं चलाई जा रहीं। चाहे किसान संगठनों ने इनके चलने संबंधी छूट दी है और पंजाब सरकार ने भी केन्द्र को मालगाड़ियां चलाने संबंधी अपनी ओर से सुरक्षा का आश्वासन दिया है। कुछ किसान हरियाणा से यूरिया ला रहे हैं। पटियाला जिले के किसान गुहलाचीका आदि स्थानों से तथा संगरूर जिले के किसान जाखल से ढुलाई का खर्च स्वयं सहन करके यूरिया के थैले लेकर आ रहे हैं जिससे किसानों को अतिरिक्त खर्च भी सहन करना पड़ रहा है। यदि अब मालगाड़ियां का चलना शुरू भी हो जाए तो भी यूरिया भिन्न-भिन्न स्थानों पर पहुंचने के लिए सप्ताह, दस दिन लग जाएंगे। डा. वशिष्ट कहते हैं कि यदि किसानों को गेहूं की फसल को डालने के लिए यूरिया खाद न मिली तो गेहूं की उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित होगी और पंजाब की उत्पादकका जो शिखर पर है, वह नीचे आ जाएगी।