सर्दियों में ऐसे बने रहें स्वस्थ

हर ऋतु का अपना महत्त्व होता है। अपनी महत्ता के कारण समय आने पर उसका इन्तजार रहता है, मुख्यत: ग्रीष्म और शीत ऋतु का क्योंकि इनका समय अन्य ऋतुओं से ज्यादा लम्बा होता है। ग्रीष्मऋतु गरीबों के लिए व शीत ऋतु अमीरों के लिए मानी जाती है क्योंकि ग्रीष्म ऋतु में खान-पान और रहन-सहन सरल तथा सादा होता है जो आमतौर पर हर वर्ग के लिए सहनीय होता है। शीत ऋतु में बिल्कुल इसके विपरीत होता है। रहन-सहन और खान-पान महंगा होता है। शीत ऋतु में रहने के लिए घर, सोने के लिए गर्म बिस्तर, तन ढंकने के लिए गर्म वस्त्र और खाने के लिए पौष्टिक तथा गरिष्ठ भोजन चाहिए भूख प्रबल हो जाती है और पाचन शक्ति तेज हो जाती है। जो भी खाओ, पच जाता है। शीतकाल में दिन छोटे और रातें लम्बी होती हैं जिससे आपके शरीर को काम के अनुसार आराम करने का भी काफी समय मिल जाता है। शरीर को पूरा आराम मिलने से शरीर में शक्ति जमा हो जाती है जिसका उपयोग अगले दिन किया जा सकता है। शीत ऋतु में सुबह व्यायाम करने का या सैर पर जाने का अपना ही मजा होता है। इस मौसम में शरीर की ऊर्जा का सही उपयोग कर सकते हैं। जो भी खाया-पिया है उसे व्यायाम करके अपनी पाचन क्रि या को ठीक रख सकते हैं।  व्यायाम और सैर शरीर को सुडौल बनाते हैं। शीत ऋतु के बाद व्यायाम और सैर को छोड़ नहीं देना चाहिए। इसे थोड़ा कम कर सकते हैं। 
इस ऋतु में पौष्टिक और गरिष्ठ भोजन का सेवन पर्याप्त मात्र में करें। अपने को ज्यादा समय तक भूखा न रखें। इस काल में भोजन में की गई लापरवाही से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। शरीर कमजोर और ढीला पड़ जाता है।
शीतकाल में हरी सब्जियां प्रचुर मात्रा में मिलती हैं जिन्हें कच्ची एवं पका कर खूब खाएं। इस काल में घी, दूध, मक्खन, रबड़ी, मलाई आदि का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है। खाने के बाद थोड़ा गुड़ खाना शीतऋतु में हितकर है। स्नान करने के बाद शहद लेना चाहिए जो आपको ठंड से बचाकर रखने में सहायक होगा। अदरक, लहसुन, आंवला भी यथायोग्य लेना चाहिए। 
* शीत ऋतु में शरीर को ठंड न लगे, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए। 
* बाहर निकलते समय उचित गर्म वस्त्र पहनें।
* गर्म पानी से स्नान करके एकदम बाहर की ओर न भागें।
* अधिक रात्रि तक बाहर न रहें।
* इन दिनों अधिक ठंडा पानी न पिएं क्योंकि ठंडे पानी से गला जल्दी खराब हो जाता है।
* गुनगुने पानी का प्रयोग इस ऋतु में हितकारी है जो शरीर को कई बीमारियों से दूर रखता है।
* ठंड के कारण बार-बार चाय पीने का मन करता है परन्तु चाय का प्रयोग अधिक न करें क्योंकि इससे बहुमूत्र की शिकायत होती है जिससे रात्रि की नींद में खलल पड़ता है।
* सर्दियों में जहां तक सम्भव हो, दिन में खाना खाने के पश्चात सोएं नहीं।
* शीत ऋतु में समय मिलने पर थोड़ी धूप जरूर सेंकें जो शरीर के लिए बहुत लाभप्रद होती है। 
* इस मौसम में शरीर की मालिश करना हितकर है जिससे शरीर में रक्त संचार ठीक रहता है।
* आवश्यक होने पर ही यात्रा पर जायें। यात्रा पर जाते समय गर्म वस्त्रों का विशेष ध्यान रखें।
* शीतकाल में त्वचा खुश्क होने पर नमीदार क्र ीम का प्रयोग करें। (स्वास्थ्य दर्पण)