यदि आप चाहते हैं आध्यात्मिक विकास

जीवन में हर इन्सान एक विशेष उम्र के बाद अध्यात्म से जुड़ता चला जाता है। तब उसे खुशी, ठहराव, शांति चाहिए। इन चीजों को ढूंढने के लिए वह अध्यात्म का सहारा लेता है। जैसे आध्यात्मिक किताबों का पढ़ना, प्रवचन सुनना, मेडिटेशन करना या किसी धार्मिक संस्था से जुड़ाव कर लेता है ताकि उसका आध्यात्मिक विकास हो और तेरी-मेरी से दूर अपनी अलग दुनिया में विचरण करे। अगर आप चाहते हैं कि आपका आध्यात्मिक विकास हो तो गौर करें इन बातों पर -
बिना शर्त माफ करें : गलती तो सबसे होती है। अगर दूसरे ने कोई गलती की है तो उसे बिना किसी शर्त के माफ करें। उसे गले लगाएं और पुन: उसकी गलतियों पर प्रकाश न डालें। बस उसे ऐसे ही माफ कर दें। अगर इन्सान गलती को बार-बार न दोहराए तो भगवान भी उसे माफ कर देते हैं। अगर आप उसे माफ कर दें पर उसकी गलती को भूलें नहीं तो यह माफी नहीं होगी। माफ कर उसकी गलतियों को भूलना ही दिल से माफ करना है।
दूसरों की तारीफ करें :  दूसरों की तारीफ करना एक कला है। जब आप दूसरों की तारीफ दिल से करते हैं तो ब्रह्मांड का हर हिस्सा आपकी तारीफ करता है। जैसे मां-बेटी एक दूसरे की तारीफ करते नहीं थकतीं, उसी प्रकार सास-बहू भी एक दूसरे की तारीफ करें तो सारा माहौल खुशनुमा रहेगा। अध्यापक छात्र की और छात्र अध्यापक की तारीफ करें तो पढ़ने का माहौल ही कुछ और होगा। पड़ोसी पड़ोसी की तारीफ करे तो वातावरण खुशनुमा हो जाएगा और ब्रह्मांड खुशियों को कई गुना कर वापिस माहौल में भेजेगा।
मदद करना सीखें : अगर आप किसी की मदद कर सकते हैं तो बिना संकोच के मदद करें। मदद करने के लिए किसी कारण को नहीं खोजें। बस, मदद इसलिए करें कि सामने वाले को मदद की ज़रूरत है। इस बात को एक उदाहरण से समझ सकते हैं। एक बार एक व्यक्ति ने 8 साल के बच्चे को अपनी जान की परवाह किए बिना नदी में कूद कर उसे बचाया। जब मां को उसका बच्चा सही सलामत सौंपा गया तो मां उस व्यक्ति का धन्यवाद करना भूल गई। दर्शकों में से एक दर्शक ने उस व्यक्ति से पूछा, ‘तुम्हें क्या मिला उसे बचाकर।’ उसका जवाब था, ‘बच्चे की मां के चेहरे की मुस्कुराहट और संतोष ने मुझे सब कुछ दे दिया।’ इसलिए मदद कर सकने की स्थिति में पीछे न हटें। भगवान साथ हैं तो डर कैसा। भगवान सर्वव्यापक हैं। हर तरफ हैं। बस इस बात पर ध्यान करें। कहते हैं, खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इसलिए अपने दिमाग और मन में हमेशा भगवान के ध्यान को भरे रखें तो आप पाएंगे कि आप का मन शांत रहेगा और डर तो रहेगा ही नहीं।

(उर्वशी)