आज लोहड़ी पर विशेष आओ, मनाएं बेटियों की लोहड़ी
बेटी यदि किसी क्षेत्र में बेटे से कम नहीं तो नव वर्ष के पहले सामाजिक त्यौहार लोहड़ी पर उसका भी उतना ही अधिकार है जितना की बेटों का। आओ, बेटियों की भी लोहड़ी मनाएं और उनके मनोबल को बढ़ायें। साथ ही साथ उनके अस्तित्व का भी सम्मान करें, क्योंकि वह सृष्टि की सृजनहार है। लोग इसके प्रति जागरूक हो रहे हैं तथा बेटियों के प्रति उनकी सोच बदल रही है।
बेटी और बेटों को समान दर्जा देते हुये नवजात बेटी की लोहड़ी का त्यौहार भी बेटे की तरह ही मनाना चाहिए। ज्यादातर लोग विदेशों से आकर अपने घरों में बेटियों की लोहड़ी बड़े उत्साह से मनाते हैं। इस प्रकार के साझे त्यौहार तथा रीति-रिवाज़ जहां लिंग-भेद खत्म करने में मदद करते हैं वहीं उन परिवारों के लिए भी वरदान सिद्ध होते हैं जिनके घर में केवल बेटियां ही होती हैं।
बेटी के प्रति सबसे पहले मां की सोच सकारात्मक होनी चाहिए। अगर मां बेटी के साथ खड़ी है तो सारा संसार उसकी मुट्ठी में होता है। प्रत्येक मां को अपनी बेटी की लोहड़ी ज़रूर मनानी चाहिए। आजकल तो लोग इन यादों को वीडियो और तस्वीरों के रूप में समेट कर रखते हैं। ताकि बेटियां बड़ी होकर अपनी बचपन की यादों को ताज़ा करके गर्व महसूस कर सकें। इसीलिए तो कहा जाता है कि बेटियों को अवसर मिलने के साथ-साथ परिवार एवं समाज का सहयोग मिले तो वह बड़ी से बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकती हैं। जिसके बहुत-से उदाहरण हमारे सामने हैं। यह त्यौहार भ्रूण हत्या, बेटी-बेटे में अंतर, दहेज प्रथा एवं अनपढ़ता को जड़ से खत्म करने में मदद करता है। यह बेटियों के हौसलों को भी बुलंद करता है और आसमान में उड़ने के लिए पंख लगा देता है। घर में बेटी नन्ही-परी है, लेकिन वही बेटी सीमा पर देश की पहरेदार की भूमिका भी निभाती है। शिक्षा, खेल, फिल्म जगत, राजनीति, मीडिया, पुलिस, सेना आदि कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहां बेटियों ने अपना नाम रौशन न किया हो। सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी बेटियों ने अपनी जीत के परचम लहराये हैं। हमें गर्व है अपनी बेटियों पर जो प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हासिल कर रही हैं।
लोहड़ी के शुभ अवसर पर और बहुत से स्थानों पर जहां नन्ही परियों की लोहड़ी मनाई जाती है वहां समाज में विशेष स्थान बनाने वाली बेटियों को सम्मानित भी किया जाता है। इन प्रयासों से समाज को एक सन्देश भी दिया जाता है कि समाज की खुशहाली का मुख्य कारण बेटियां ही होती हैं।
यह घर की नींव होती हैं जो जितनी ज्यादा मजबूत होंगी उतना ही घर, समाज विकास करेगा। यह कुदरत का दिया गया अनमोल तोहफा है, जिसकी किसी से भी तुलना नहीं की जा सकती। गीतकारों ने भी बेटियों की लोहड़ी पर मधुर गीत गाकर अपनी भावनाओं को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है कि बेटियों की लोहड़ी ज़रूर मनानी चाहिए। बेटी के माता-पिता भी उसकी लोहड़ी मना कर गर्व महसूस करते हैं। इसी तरह लोहड़ी का त्यौहार प्रत्येक वर्ष यह सन्देश देता है कि बेटियों की लोहड़ी मनाने से ही वास्तव में इस त्यौहार की शोभा बढ़ती है। क्योंकि अच्छे समाज के निर्माण हेतु सृष्टि की रचना करने वाली बेटी का सम्मान करना ज़रूरी है। इसीलिए कहा जाता है :
धीयां दा सत्कार करो
पुत्तां वांग प्यार करो
लोहड़ी दा त्यौहार मना के
उहनां दा सम्मान करो।
-मो. 98782-49944