मातृ-भाषा पंजाबी और साहित्य की लाडली बेटी कुलविन्दर बुट्टर 

कुलविन्दर बुट्टर जिनको भाषा विभाग पंजाब की ओर से शिरोमणि पंजाबी टैलीविज़न/रेडियो अवार्ड 2016 से नवाज़ा गया है। दूरदर्शन केन्द्र जालन्धर का एक जाना-पहचाना नाम है। दूरदर्शन केन्द्र जालन्धर के प्रोग्रामों द्वारा पंजाबी भाषा, साहित्य और सभ्याचार के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान डालने वाली इस गौरवशाली शख्सियत ने 35 वर्ष दूरदर्शन की सेवाओं के दौरान पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत का आह्वान किया और प्रोड्यूसर डी.डी. पंजाबी और दूरदर्शन केन्द्र जालन्धर होने के नाते पंजाबी सभ्याचार का संदेश घर-घर तक पहुंचाया।
गदरी बाबों और देश भक्तों के गांव बिलगा में बाबा भगत सिंह बिलगा से प्यार और स्नेह पाने वाली और आशीर्वाद लेकर बचपन बिताने/व्यतीत करने वाली कुलविन्दर ने शुरुआती  शिक्षा बाबा भगत सिंह सरकारी कन्या स्कूल, बिलगा से की। उच्च शिक्षा के लिए गुरु नानक गल्ज़र् कालेज बाबा संग ढेसियां से प्राप्त की। उनकी बुलंद, मधुर और पंजाबियत की मिठास के साथ भरपूर आवाज़ ने उनके लिए नये रास्ते खोले और वह रेडियो के प्रसिद्ध प्रोग्राम युवा वाणी में बतौर एंकर शामिल हुई। प्रकृति ने उसे ऐसा प्लेटफार्म दिया जहां उसका लम्बा सफर शुरू हुआ। उन्होंने मीडिया की दुनिया के साथ ऐसा नाता जोड़ा कि उनके सपने भी बड़े होते गए। थोड़ा समय अध्यापक का शौक भी पूरा किया लेकिन उनके मन की परवाज़ उनसे कोई अलग ही आसमान मांगती थी और फिर 1985 में दूरदर्शन में बतौर प्रोड्यूसर सरकारी सेवाओं के साथ जुड़ गई। मातृ भाषा पंजाब की लाडली और व़फादार बेटी वाले सारे कर्त्तव्य निभाते हुए टैलीफिल्म और डाक्यूमैंट्री फिल्में, लाइव टीवी शो आदि कई प्रोग्रामों का निर्माण किया। 
पंजाब के प्रसिद्ध साहित्यकारों से संबंधित डाक्यूमैंट्री फिल्में बनाईं जिनमें ज्ञानी हीरा सिंह दर्द, जसवंत सिंह कंवल, गुलज़ार संधू, वरियाम संधू, मनमोहन बावा, सुखविन्दर्र अमृत, हरभजन सिंह हुंदल, डा. रविन्द्र, रविन्द्र भट्ठल, जसवंत जफ्फर, संत संधू जैसे लेखकों के बारे बाखूबी जानकारी मिलती है। मूल की तीवीं, दो टापू, खून नाम की टैली फिल्मों ने उनको बतौर टैलीफिल्म निर्माता के द्वारा अलग पहचान दिलाई। देश भक्तों के बारे डाक्यूमैंट्री फिल्में बनाना भी उन्होंने अपना कर्त्तव्य समझा। शहीद भगत सिंह, लाला लाजपत राय, बाबा भगत सिंह बिलगा और जलियांवाला बाग जैसी डाक्यूमैंट्री फिल्मों का निर्माण किया। 
‘धीआं पंजाब दीयां’, ‘सुपनियां दी उड़ान’ और ‘नारी मंच’ उनके बहुचर्चित प्रोग्राम हैं जिन्होंने महिलाओं की ज़िन्दगी को कई नई आशाओं और उम्मीदों के साथ रौशन किया। 
कला क्षेत्र, राजनीतिक क्षेत्र, समाज सेवा क्षेत्र, साहित्यक क्षेत्र, खेल, सभ्याचारक क्षेत्र से जुड़ी पंजाब की बेटियों को उन्होंने ऐसा मंच दिया जहां वह अपने जीवन के संघर्ष और उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर सकें। 
पंजाब के शहरों को दर्शाती डाक्यूमैंट्री फिल्में मेहनत और लगन के साथ तैयार कीं। भारतीय दूरदर्शन के इतिहास में पहली बार खाने से संबंधित प्रतियोगिता वाला प्रोग्राम ‘मास्टर शैफ पंजाबी’ उनकी कड़ी मेहनत के साथ ही संभव हो सका। दूरदर्शन के अनेक प्रोग्रामों में पृष्ठभूमि आवाज़ देकर अपनी अलग पहचान बनाई है। कवि दरबार, साहित्य धारा, साहित्य के अंग संग, सुखन साज़, आरसी ऐसे प्रोग्राम हैं जो पंजाबी के प्रमुख साहित्यकारों के साथ की गई बातचीत और उनके जीनव पर आधारित उच्च स्तर के प्रोग्राम हैं। 
कुलविन्द्र बुट्टर को अपने काम के साथ जुनून की हद कर प्यार है। वह किसी भी प्रोग्राम के निर्माण के समय अच्छी पूर्णता चाहती हैं और हर बात मुंह पर कह देने वाली, उत्साहित करने वाली या फिर किसी की कमज़ोरी को बेबाक होकर कह देना उनके हिस्से ही आया है। उन्होंने नौकरी को शौक समझ कर किया इसीलिए किसी भी प्रोग्राम के निर्माण के समय वह चाव और उत्साह से भरपूर रहती हैं। 
अपने हमस़फर प्रोफैसर गोपाल बुट्टर, अपनी बेटी और पुत्र दिलनूर पर गर्व करती कुलविन्द्र अपनी ज़िन्दगी से पूर्ण तौर पर संतुष्ट और तसल्ली प्रगट करती भविष्य के लिए भी आशावादी है। कार्यालय ‘अजीत’ उनको भाषा विभाग के इस अवार्ड के लिए मुबारकबाद देता है। 
-हंस राज महिला महाविद्यालय (एच.एम.वी.) , जालन्धर