नगर निगमों एवं नगर कौंसिलों के चुनावों का महत्त्व

पंजाब में एक बार फिर चुनावी बिगुल बज गया है। प्रदेश में 8 नगर निगमों, 109 नगर परिषदों एवं नगर पंचायतों के चुनाव हेतु चुनाव आयुक्त ने विधिवत घोषणा कर दी है। देश की स्वतंत्रता के बाद भारत में तत्कालीन राज-नेताओं ने देश के लिए लोकतांत्रिक शासन तंत्र को चुना और समय के व्यतीत होते जाने के साथ देश का लोकतंत्र और मजबूत एवं स्वस्थ होते चला गया है। इसी कारण आज भारत विश्व का महानतम लोकतंत्र कहलाता है। लोकतांत्रिक देशों में सत्ता परिवर्तन बुलेट अर्थात गोली से नहीं, अपितु बैलेट यानि मतदान से होता है। भारत इस दृष्टिकोण से एक ऐसा देश है, जहां समय-समय पर कहीं न कहीं, किसी न किसी राज्य में किसी न किसी लोकतांत्रिक इकाई के चुनाव होते रहते हैं। सम्भवत: इसीलिए देश में चुनावों को भी उत्सव एवं त्योहार के रूप में लिया जाता है। यह एक बात भी देश के लोकतंत्र को महान बनाती है कि यहां हर पांच वर्ष बाद केन्द्रीय एवं प्रादेशिक लोकतांत्रिक इकाइयों में सत्ता-परिवर्तन बहुत शांतिपूर्वक होता आया है, और भविष्य में भी समय की करवटों के साथ-साथ यह प्रक्रिया और मजबूत होते जाने की सम्भावना है। पंजाब में अगले वर्ष या यानि 2022 में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, और इस दृष्टिकोण से जहां नगर निगम और नगर परिषद् चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं, वहीं देश और प्रदेश की राजनीतिक स्थितियों के चलते ये चुनाव से भी-फाइनल जैसे हो जाएंगे। वैसे ऐसा माना जाता है कि प्रदेश में जिस राजनीतिक दल की सत्ता होती है, स्थानीय निकायों का पलड़ा उसी ओर झुकता है, परन्तु आजकल जनता बहुत समझदार हो गई और लोग अपना भला-बुरा पहचान कर अपने मत का इस्तेमाल करने लगे हैं। इस घोषणा के साथ ही प्रदेश में आदर्श चुनाव संहिता भी लागू हो गई है। चुनावी घोषणा के अनुसार बेशक तीनों लोकतांत्रिक इकाइयों नगर निगमों, नगर परिषदों एवं नगर पंचायतों हेतु मतदान एक ही दिन अर्थात् 14 फरवरी 2021 को होगा, परन्तु फगवाड़ा में तैयार की गई मतदाता सूचियों में कुछ त्रुटियां पाये जाने के दृष्टिगत, यहां की चुनावी क्रियाओं को फिलहाल टाल दिया गया है। इन त्रुटियों के ठीक होने के बाद फगवाड़ा में मतदान बाद में सम्पन्न होगा। इस चुनावी घोषणा के अनुसार नामांकन पत्र दाखिल करने का समय 30 जनवरी से 3 फरवरी तक होगा और जांच-पड़ताल का कार्य 4 फरवरी को होगा। पांच फरवरी को नाम वापिस लिये जाने हैं। सम्भावित प्रत्याशियों को इसी दिन चुनाव-चिन्ह प्रदान किये जाने के साथ ही, एक सप्ताह तक का चुनाव प्रचार कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। मतदान सवेरे 8 बजे से सायंकाल 4 बजे के बीच होगा और मतगणना एवं परिणाम घोषणा 17 फरवरी को सम्पन्न होगी। देश में व्याप्त कोरोना महामारी के विरुद्ध टीकाकरण की प्रक्रिया 16 जनवरी से शुरू हो जाने के बावजूद चुनाव प्रचार के दौरान और मतदान वाले दिन कोरोना-निरोधी कानूनों एवं नियमों की प्रक्रिया के पालन हेतु बाकायदा अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।
कोरोना काल के ही दृष्टिगत घोषित लगभग 10 मास के लॉकडाऊन के बाद पंजाब में पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं, अत: बहुत स्वाभाविक है कि जहां जन-साधारण में भारी उत्साह पाये जाने की सम्भावना है, वहीं राजनीतिक दलों एवं उनके प्रत्याशियों में उत्तेजना का संचार भी समयानुसार बढ़ते जाने की बड़ी उम्मीद है। इसी कारण सम्पूर्ण चुनावी कवायद को पूरा करने के लिए व्यापक प्रशासनिक प्रबन्ध किये गये हैं। इसके लिए 290 रिटर्निंग अफसरों एवं सहायकों की नियुक्ति की गई है। समस्त चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी आशंकित गड़बड़ी को रोकने, शांति व्यवस्था एवं पारदर्शिता को बनाये रखने के लिए 30 आई.ए.एस. एवं पी.सी.एस. अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिये गये हैं। हम समझते हैं कि नि:सन्देह पंजाब में होने वाले ये चुनाव अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव हेतु दशा एवं दिशा भी तय करेंगे। बेशक प्रदेश में पिछले डेढ़-दो मास से छिटपुट राजनीतिक गतिविधियां जारी हैं, परन्तु कोरोना काल के दौरान प्रदेश में सम्पूर्ण राजनीतिक सक्रियताएं ठप्प पड़ी थीं। इसी के   दृष्टिगत 14 फरवरी मतदान में जन-साधारण के बढ़-चढ़ कर भाग लेने की प्रबल सम्भावना है। वैसे भी, पिछले चार वर्ष में  प्रदेश में इतने बड़े स्तर पर होने वाली यह पहली बड़ी चुनावी पारी होगी। किसी भी स्तर पर लोकतंत्र की किसी भी इकाई की सफलता उसकी सम्पूर्ण प्रक्रिया के तंत्र में लोक अर्थात जन की सक्रिय भागीदारी पर ही निर्भर करती है। इसीलिए चुनावी घोषणा के साथ ही चुनाव आयुक्त ने प्रदेश के लोगों को मतदान वाले दिन बढ़-चढ़ कर भाग लेने का अनुरोध किया है।स्थानीय निकायों के चुनाव चूंकि प्रादेशिक ज़रूरतों एवं मसलहतों को लेकर होते हैं, अत: इनमें राष्ट्रीय मुद्दे बेशक गौण रहते हैं। इसी कारण इनमें निर्दलीय उम्मीदवार भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं, और वे भारी संख्या में कामयाब भी होते हैं, परन्तु इसके बावजूद राजनीतिक दल अपनी पूरी शक्ति राजनीतिक जोड़-तोड़ हेतु झोंकते हैं। वह समय हवा हुआ जब कोई साधारण व्यक्ति भी नगर पालिका अथवा नगर पंचायत का चुनाव लड़ लेता था। चुनाव आयोग ने बेशक नगर निगम, नगर परिषद् और नगर पंचायत हेतु प्रत्येक प्रत्याशी के खर्च हेतु एक लाख से तीन लाख रुपये तक की सीमा निर्धारित की है, परन्तु आजकल एक-एक सीट के लिए अघोषित रूप से करोड़-करोड़ रुपया खर्च हो जाता है हालांकि चुनाव आयोग के कड़े नियमों एवं प्रशासनिक सख्ती के कारण प्रत्याशी फूंक-फूंक कर कदम रखने लगे हैं। हम समझते हैं कि प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग द्वारा नियमों एवं कायदों का पूरी प्रतिबद्धता के साथ पालन करते हुए चुनावी प्रक्रिया को सम्पन्न करने में सहायक होना चाहिए। कोरोना काल की ज़रूरतों के दृष्टिगत यह आवश्यकता और बढ़ जाती है। चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को अपने-अपने धरातल पर सतर्कता एवं जागरूकता का भरपूर प्रदर्शन करना चाहिए। इन चुनावों की प्रत्येक पक्ष से सफलता ही, अगले वर्ष प्रदेश विधानसभा चुनावों की सम्पन्नता एवं सफलता की ज़ामिन बनेगी।