क्या होगा ट्रम्प के खिलाफ  महाभियोग का भविष्य ?

अमरीका के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ  महाभियोग प्रस्ताव लाया जाना नि:संदेह बड़ी घटना है। इसके पूर्व समय पूरा कर सत्ता से बाहर जाते हुए किसी राष्ट्रपति के खिलाफ  महाभियोग प्रस्ताव तो नहीं ही आया था। इतनी जल्दी तैयार कर पेश और पारित करने की घटना भी कभी नहीं हुई। हालांकि महाभियोग के भविष्य पर अभी भी प्रश्न चिन्ह बना हुआ है। अमरीका में ही प्रश्न उठाया जा रहा है कि क्या वाकई ट्रम्प बड़े बेआबरू होकर कूचे से अंतिम समय में निकाले जाएंगे? यह बात पहले से साफ  थी कि डेमोक्रेट हर हाल में ट्रम्प के खिलाफ  महाभियोग प्रस्ताव लाएंगे और उसे पारित कराने की कोशिश करेंगे। प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने उपराष्ट्रपति माइक पेंस को पत्र लिखकर यह मांग की थी कि वह 25वें संशोधन का इस्तेमाल कर ट्रम्प को उनके पद से हटाएं। उन्होंने डेमोक्रेटों को लिखे पत्र में कहा था कि अगर पेंस कोई कार्रवाई नहीं करते तो महाभियोग पर मतदान होगा। वस्तुत: पेलोसी ने अपने पत्र में डेमोक्रेट और उनके समर्थकों तथा ट्रम्प विरोधियों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने लिखा था कि हम पर संविधान और लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी है, लिहाजा हमें तुरंत कदम उठाना होगा। राष्ट्रपति से इन दोनों यानी संविधान और लोकतंत्र को खतरा है। जैसे-जैसे दिन गुजरते जाएंगे, राष्ट्रपति द्वारा लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की आशंका बढ़ती जाएगी। हालांकि रिपब्लिकन पार्टी के अंदर भी एक समूह ट्रंप के खिलाफ  है लेकिन वे नहीं चाहते थे कि महाभियोग प्रस्ताव लाया जाए या पारित हो। रिपब्लिकनाें की ओर से डेमोक्रेटों को चेतावनी दी गई थी कि वे सत्ता स्थानांतरण करने में तल्खी ना दिखाएं। इस प्रक्रिया को आराम से होने दें। जब किसी नेता के खिलाफ  माहौल होता है तो अपनी प्रतिक्रियाओं में हम कई बार नीर-क्षीर-विवेक का इस्तेमाल नहीं करते। डेमोक्रेट केवल ट्रम्प के खिलाफ नहीं हैं, वे  रिपब्लिकनों को बदनाम और कमजोर करने के अवसर के रूप में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरी ओर डेमोक्रेट सांसदों और नेताओं ने महाभियोग पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया। प्रतिनिधि सभा की न्यायिक समिति के अध्यक्ष जेरोल्ड नैडलर ने महाभियोग के लिए 50 पन्नों की जो रिपोर्ट जारी की, उसमें वे सारे आधार दिए गए जो कि महाभियोग के लिए मान्य हो सकते थे। फिर प्रस्ताव तैयार हुआ और प्रतिनिधि सभा के 211 सदस्यों ने इसे सह प्रायोजित कर दिया। इसके बाद इसके पारित होने को लेकर कोई समस्या नहीं थी। रिपब्लिकन के अंदर भी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर इतना भय कायम है कि करीब 10 रिपब्लिकन सांसदों ने भी प्रस्ताव के पक्ष में मत दे दिया। अब आगे क्या होगा? वास्तव में प्रतिनिधि सभा में बहुमत के कारण पारित होना जितना आसान है, सीनेट में उतना ही कठिन। सीनेट में दो तिहाई सदस्यों का बहुमत चाहिए यानी 100 में से 67 सांसद जब महाभियोग के पक्ष में मतदान करेंगे, तभी प्रस्ताव पारित होगा। इस समय सीनेट में कुल 98 सदस्य हैं जिनमें डेमोक्रेट की संख्या 48 है। ज़ाहिर है, अगर 50 रिपब्लिकन में से 17 सांसद पक्ष में आ जाएं तो 65 मत हो जाएंगे और महाभियोग पारित  हो जाएगा। इसकी संभावना कम ही है कि इतने रिपब्लिकन सांसद एक साथ अपने पार्टी के इतिहास को कलंकित करने के लिए आगे आएंगे। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को सुबह 11.00 बजे तक ही राष्ट्रपति हैं।  उसके पहले ही वो ह्वाइट हाउस छोड़ चुके होंगे। सीनेट में उपराष्ट्रपति पेंस की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। वह  पहले ही साफ  कर चुके हैं कि वह महाभियोग का समर्थन नहीं करेंगे। इस तरह सीनेट में इसका पारित होना कठिन है। हां, डेमोक्रेट अपनी रणनीति के तहत रिपब्लिकनों को कठघरे में खड़ा करने में तत्काल अवश्य सफल होंगे। महाभियोग पारित हो या नहीं लेकिन ट्रम्प अमरीकी इतिहास के ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं जिनके खिलाफ  दो बार यह प्रस्ताव आया। 18 दिसम्बर, 2019 को प्रतिनिधि सभा ने उनके खिलाफ  महाभियोग का प्रस्ताव पारित कर दिया था लेकिन सीनेट में यह गिर गया। वैसे भी अमरीकी इतिहास में महाभियोग प्रस्ताव के द्वारा किसी राष्ट्रपति को हटाने की कोई घटना नहीं हुई। 1868 में राष्ट्रपति एंड्रयू जॉन्सन के खिलाफ  प्रतिनिधि सभा में महाभियोग पारित हो गया लेकिन सीनेट में गिर गया। 1998 में भी बिल क्ंिलटन के खिलाफ  महाभियोग प्रतिनिधि सभा में पारित होने के बाद सीनेट में बहुमत पाने से वंचित रह गया था। 1974 में रिचर्ड निक्सन के खिलाफ  वॉटरगेट स्कैंडल में महाभियोग की कार्रवाई होने ही वाली थी कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया। महाभियोग प्रस्ताव का भविष्य जो भी हो लेकिन संसद पर जनसमूह के हमले के संदर्भ में ट्रप की भूमिका पर अमरीका में लम्बे समय तक बहस होती रहेगी। 

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