प्रदूषण की बढ़ती समस्या

प्रदूषण की समस्या किसी हद तक विज्ञान की देन है। बड़े-बड़े कारखानों की बहुतात का दुष्प्रभाव भी कहना किसी रूप में तर्कसंगत होगा और यह मानव जाति को अनचाही मौत के आगोश में धकेल रहा है। बीमारियों को बिन मांगे जिस्म में प्रवेश की इजाज़त मुहैया करता है। दुनिया में पहले इस प्रदूषण रूपी नरभक्षी का नामोनिशान भी नहीं था। प्राकृतिक संतुलन अस्तित्व में था और हर चीज़ साफ सुथरी थी। हवा शुद्ध और मौसमों का नियमबद्ध चक्र था लेकिन बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उत्पादन पर ज़ोर दिया जाने लगा। उत्पादन के साथ व्यर्थ का कचरा पैदा होने लगा और यही कचरा भयंकर रूप धारण कर गया। इस कचरे को जलाना शुरू कर दिया गया और हवा ज़हरीली हो गई। इसके साथ भी कारखानों की चिमनियों और वाहनों का धुआं भी हवा को प्रदूषित करता है। 

 -राम प्रकाश शर्मा