नेत्रहीन होने के बावजूद खेल मैदान को रोशन कर रहे हैं सोहित नाथ

सोहित नाथ एक ऐसा खिलाड़ी है जिसे बहुत ही कम दिखाई देता है परन्तु उसे खेलों का जुनून इस प्रकार है कि वह विभिन्न खेलों में पूरी तरह से भाग लेता है। नेत्रहीन क्रिकेट उसकी पसंदीदा खेल है। सोहित नाथ का जन्म उत्तराखंड के जिला टीहरी गढ़वाल के शहर नरेन्द्र नगर के निकट गांव कुमार खेड़ा में पिता ललित मोहन और माता बीना देवी के घर हुआ। सोहित ने जन्म लिया तो कुछ वर्षों के बाद उसने बालमन में ही पहला कदम उठाया तो उसकी हरकतों से माता-पिता को अहसास हुआ कि उसे कम दिखाई देता है। माता-पिता को चिन्ता हुई तो उसे आंखों के डाक्टर के पास ले जाया गया जहां उसकी आंखें चैक करने के बाद डाक्टरों ने इस बात की पुष्टि कर दी कि सोहित नाथ की आंखों की रोशनी जन्म से ही कम है और उसे पूरा जीवन इस तरह ही व्यतीत करना पड़ेगा। परमात्मा की रज़ा को माता-पिता ने मान लिया और अपने लाडले का पालन-पोषण करने लगे। वह थोड़ा बड़ा हुआ तो प्राथमिक शिक्षा के लिए उसे देहरादून के नेत्रहीन स्कूल में वर्ष 2009 में दाखिल करवा दिया जहां सोहित नाथ ने पढ़ाई के साथ-साथ खेलों के क्षेत्र में भी कदम रखा। नौवीं कक्षा से उसने क्रिकेट, फुटबाल खेलना और दौड़ लगानी शुरू की और वह ये तीनों इवैंट्स लगातार खेलता और करता आ रहा है। सोहित नाथ का कहना है कि वह आज स्कूल के बहुत योग्य खेल अध्यापक नरेश सिंह नयाल की प्रेरणा से ही वह आज नेत्रहीन खिलाड़ी बन सका है। सोहित नाथ की यह भी एक बड़ी उपलब्धि है कि वह उत्तराखंड की ब्लाइंड फुटबाल टीम में एक गोलकीपर के तौर पर खेलता आ रहा है। ब्लाइंड क्रिकेट उत्तराखंड की नैशनल ट्राफी के रूप में मानी जाती नगेस ट्राफी भी वह खेल चुका है और यह उसकी पसंदीदा खेल है। उसका सपना है कि ब्लाइंड क्रिकेट टीम में वह जगह बना कर देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां हासिल करे। आज सोहित नाथ देहरादून के नेत्रहीन स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करके उच्च शिक्षा के लिए कालेज में पढ़ रहा है।  

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