हमेशा दंत कथा बने रहे कामेडी किंग चार्ली चैपलिन

(गतांक से आगे)
वह एक सुपर-स्टार थे। अपने तो कुछ गायक-ऱफी, मुकेश या किशोर की आवाज़ की नकल करके कुछ पैसे कमा लेते हैं।  उसी तरह बॉबीडान एवं रे हियूज़ जैसे अभिनेता बिना शर्त के चार्ली की नकल करते थे। उस समय में अधिकतर कामेडियन न सिर्फ उनकी नकल करते थे अपितु उनके लत़ीफे चुरा कर अपने नाम के साथ प्रस्तुत करते थे। मैक्सिन अभिनेता चार्ल्स एमोडोर चार्ल्स चैपलिन के नाम से चार्ली की नकल करते थे। कुछ नकलची तो स्वयं को ‘चार्ल्स चैपलिन का जूनियर’ कहने में अपनी शान समझते थे और फिल्म वाले भी असली चार्ली की बजाये नकली चार्ली  अर्थात् सस्ते पड़ने वाले नकलचियों का समर्थन करते थे। भला चार्ली किन-किन लोगों को रोकते। सबसे अधिक चार्ली चैपलिन इस तरह पेश आते थे जैसे वह  स्वयं ही चार्ली हो,वह और आगे न बढ़े इसके लिए चार्ली को कोर्ट जाना पड़ा।  ट्रैम्प (घुमक्कड़) का भेस उनकी अपनी खोज और उनकी अपनी मलकियत है। इस मुद्दे पर कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया था। इसी तरह सभी नकली चार्ली स्वयं ही ज़मीन के भीतर चले गये। इसी के साथ ही यह सोच कर उनकी नकल करने के लिए विदेशों में चले गये। विदेशों में पहले ही उनकी नकल हो रही थी। फ्रांस ने मसयर जैक और आटन दी रे सेचन, जर्मनी में चार्ली चैपलिन और  अस्टर बासर जैसे कितने ही कलाकार चार्ली की नकल पर टिके हुये थे। 
हैराल्ड लायड जैसे अभिनेता ने तो यह स्वीकार भी किया कि लगभग 100 फिल्मों में उन्होंने चार्ली की नकल की है। अपने किशोर कुमार ने भी एक बार ऐसा कहा था कि चार्ली उसके आदर्श हैं (और यह साबित करने के लिए उन्होंने चार्ली की तरह ही चार-चार शादियां की थी। शुरू-शुरू में वह शराबी की एक्ंिटग किया करते थे) केष्टो मुखर्जी मान के साथ उनकी नकल करते हुये मर गये और जॉनी वाकर भी उनके प्रभाव से न निकल सके। नूर मोहम्मद चार्ली तो हिन्दी सिनेमा के चार्ली चैपलिन के रूप में जाने जाते हैं।लेकिन समीक्षकों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए नकलची कभी भी सफल नहीं हो सके। नकल करने वाले उनकी तरह ही कपड़े सिलवाकर पहन सकते हैं और नखरे भी कर सकते हैं परन्तु उनके चेहरे पर छायी हुई मासूमियत, उनकी नीली उदास आंखों में से झलकता करुणाभाव एवं सहज रूप में आने वाली अदाकारी की गहराई भला वह कहां से लेकर आते। चार्ली बेजोड़ थे। हॉलीवुड तो क्या वह स्वयं भी दूसरा चार्ली कहां दे सकते थे। (हां, अपने बेटे का नाम उन्होंने चार्ल्स चैपलिन जूनियर रख दिया था) वह बहुत ही बड़े 14 नम्बर के जूते पहनते थे। फिर उनकी रकाब में पांव डाल सके ऐसी बाखूबी प्रतिभा वाला कामेडियन दूसरा पैदा होगा तो भी कब होगा, कहना बहुत मुश्किल है। इसीलिए शायद चार्ली ने स्वयं ही यह लतीफा जड़ दिया होगा कि शायद अपनी ही नकल करने में चार्ली चैपलिन तीसरे नम्बर पर आये। अपनी नकल वह ठीक से नहीं कर सके क्योंकि वह असली थे, एकदम असली...। कहा जाता था कि कहीं कामेडियन के लिए साक्षात्कार होना था। चार्ली चैपलिन की कला के शुरुआत के दिन थे वह भी एक  प्रतियोगी थे। शेष कामेडियन भी उसी स्थान पर आये हुये थे। चार्ली एक कोने में खड़े थे। उनके खड़े होने की अदा देख कर एक कामेडियन ने दूसरे को कहा, ‘वह कोने में खड़ा आदमी मुझे रोम-रोम से कामेडियन लगता है। उसके खड़े होने का अंदाज़ तो देखे। लगता है अपनी दाल यहां नहीं गलेगी। हमें यहां से चले जाना चाहिए...।’ ऐसा कहने वाला कामेडियन कितना पारखी था, कितना सही था।हम हंसी मज़ाक से राजीव गांधी का नाम 21वीं सदी के साथ जोड़ देते हैं, लेकिन चार्ली तो 20वीं सदी के हंसते हुये इन्सान का प्रतीक हैं। इससे पहले आइरिस डच्चा ज्यूइश, विदूषक एक ही सांचे में ढले थे, जबकि चार्ली अपनी तरह के पहले कलाउन (जोकर) हैं। जब 1942 में एक सर्वोत्तम फिल्म के बारे लोगों की राय ली गई तो चार्ली द्वारा 1925 में बनाई गई ‘द गोल्ड रश’ को श्रेष्ठ फिल्म माना गया। उनकी फिल्मों को देखने के लिए 21वीं सदी में भी लोगों की भीड़ इकट्ठा होती रही। उसके जैसा सदाबहार और दंत कथाओं को रचने वाले थे। इसका उन्हें भी पता नहीं था। उन्हें जीवित रहने का हौंसला था। इसीलिए उनके खामोश होने के दो माह बाद न तो वह मरने की एक्ंिटग कर रहे हैं और न ही स्वयं उठ कर बाहर आ रहे हैं। 2-3-1978 को उनकी कब्र में से उन्हें रहस्मय ढंग से निकाल लिया गया था और मोनालिज़ा की पेंटिंग की तरह अढ़ाई माह के बाद 17 मई के दिन बड़ी मुश्किल से उनका पता लगा कर पुलिस के निगरानी में उन्हें फिर से उसी स्थान पर दफना दिया गया। वैसे तो एक बार उनकी हत्या करने की योजना भी बनी थी जब 1932 में वह जापान गये तो उन्हें महाराजाओं जैसा सम्मान मिला। 100 सिपाही उनकी सुरक्षा में थे। दूसरे दिन जापान के प्रधानमंत्री त्सयुयोकी इनुकाई का बेटा चार्ली को कुश्ती दिखाने के लिए ले गया। चार्ली की मेहमाननवाज़ी के लिए तसयुयोकी लगे हुए थे। इसी दौरान प्रधानमंत्री त्सयुयोकी की हत्या हो गई। इस घटना का 10 वर्ष के बाद चार्ली को पता चला तो हत्यारों की हिट लिस्ट में वह भी था। उनकी हत्या करने की साजिश बन गई थी। प्रधानमंत्री ने जब उसे चाय पर बुलाया तो उसके मकान को बम से उड़ा देने की योजना थी। हत्यारों ने सोचा था कि अमरीका के प्यारे कलाकार की हत्या करने से अमरीका गुस्से में आकर जपान के साथ युद्ध शुरू करेगा, लेकिन बाद में पता चला कि चार्ली अमरीकी नहीं थे। वह तो अंग्रेज़ थे। इसी तरह अमरीकन न होने का उन्हें लाभ ही हुआ। वह बच गये और उन्हें जीवनदान मिल गया। कई महिलाएं भी उनकी लोकप्रियता का लाभ लेने का प्रयास करती थीं। किसी अभिनेत्री को लोकप्रिय होने की आवश्यकता होती या साधारण सी भूमिका अदा करने वाली एक्ट्रैस ने अपना भविष्य बनाना हो तो वह चार्ली के साथ चली जाती।  एक दिन चार्ली की एक प्रेमिका क्लेयर विंडसन का अपहरण करने की ़खबरें अखबारों में आ गई और यह खबर हर तरफ फैल गई। लोगों में हाहाकार मच गया। विंडसन घोड़े पर बैठ कर सैर करने के लिए निकली थी, वहीं पहाड़ियों में ही वह गुम हो गई। इस तरह की अफवाहें फैलने लगी। पहाड़ी से उनका पर्स भी मिला, लेकिन अभिनेत्री का कहीं पता न चला। चार्ली स्वयं भी बहुत हैरान हुये। चार्ली ने घोषित किया कि विंडसन को ढूंढ कर लाने वाले को वह खुद एक हज़ार डॉलर इनाम देगा। जब विंडसन का शव मिले तो उसका पहला चित्र प्रकाशित करने का सम्मान उन्हें मिले इस शुभ इच्छा के साथ कई फोटोग्राफर कैमरा लेकर पहाड़ियों में घूमते रहे। पुलिस भी पहाड़ियों की ऊपर से नीचे तक जांच कर चुकी थी। विंडसन का पता लगाने के लिए पहाड़ियों पर उड़ान भरने के लिए हवाई जहाज़ तैयार किये गये... तभी वह पहाड़ियों के पास एक घर में  दिखाई दी। उसने माना कि यह उसके प्रचार का हथकंडा था। अपने पब्लिसिटी एजेंट की सलाह से उसने चार्ली के साथ अपना नाम जोड़ कर अपने अपहृत होने का नाटक रचा था। प्रसिद्ध होने के अतिरिक्त उनका कोई अन्य उद्देश्य नहीं था। (क्रमश:)