राष्ट्रीय परेड एवं किसान ट्रैक्टर मार्च

दशकों से दिल्ली में देश के गणतंत्र दिवस पर की जाने वाली परेड की विश्व भर में चर्चा रही है। देश के गौरव को व्यक्त करती इस परेड में जहां भिन्न-भिन्न वर्गों के सैनिक जवान हिस्सा लेते हैं, वहीं इस परेड में भारत की ओर से बनाये गये अथवा प्राप्त किये गये नवीनतम हथियारों की प्रदर्शनी भी की जाती है। इसमें भिन्न-भिन्न राज्यों की ओर से अपनी-अपनी संस्कृति को अभिव्यक्त करती झांकियां भी शामिल होती हैं। इस बार दिल्ली की सीमाओं पर विशाल रूप धारण कर चुके किसान आन्दोलन में शामिल आन्दोलनकारी किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करने की घोषणा कर रखी है। लगभग विगत दो महीनों से पंजाब, राजस्थान एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों को उजागर करने के लिए बैठे हैं। वे केन्द्र सरकार की ओर से लाये गये तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुये इन्हें रद्द किये जाने की मांग कर रहे हैं।इस संबंध में केन्द्र सरकार के साथ किसान संगठनों की 11 बार विस्तृत बैठकें हो चुकी हैं। केन्द्रीय मंत्री इन कानूनों में आवश्यकता अनुसार संशोधन करने के लिए तो तैयार हो गये हैं और यहां तक कि उन्होंने डेढ़ वर्ष तक इन कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने एवं इनके संबंध में एक प्रतिनिधि समिति बनाने का भी सुझाव दिया था। इस सुझाव को किसान संगठनों ने नकार दिया था जिसके दृष्टिगत दोनों पक्षों के मध्य उत्पन्न हुये इस गम्भीर मामले संबंधी कोई फैसला नहीं हो सका, परन्तु किसान संगठन 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड करने पर अड़े रहे। पुलिस की ओर से उन्हें राजधानी के बाहरी पथ भी सुझाये गये परन्तु वे अपने इस फैसले पर दृढ़ रहे। तनावपूर्ण वातावरण में यह सन्तोषजनक बात कही जा सकती है कि पुलिस अधिकारियों के साथ लम्बी बैठकों के बाद अंतत: किसानों को दिल्ली में कुछ विशेष निश्चित मार्गों पर ट्रैक्टर परेड करने की इजाज़त दे दी गई है। कई दिनों से किसानों में इस परेड के लिए जितना भारी उत्साह एवं जोश देखने को मिला है, उसे स्वयं में ऐतिहासिक कहा जा सकता है। पिछले कई दिनों से हज़ारों की संख्या में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तराखंड आदि प्रदेशों से किसान दिल्ली की ओर कूच कर चुके हैं तथा परेड में शामिल होने वाले ट्रैक्टरों की संख्या लाखों में हो गई है। ऐसे ऐतिहासिक दिवस पर यह सक्रियता भी ऐतिहासिक महत्त्व रखने वाली बन गई है। प्रशासन से ऐसी इजाज़त मिलने के बाद अब किसान संगठनों पर यह भारी ज़िम्मेदारी आ जाती है कि वे प्रत्येक ढंग से इस मार्च को नियोजित बनाये रखें ताकि यह शांतिपूर्वक ढंग से अपना सफर पूरा कर सके। नि:सन्देह आज ऐसे तत्वों की भी कमी नहीं जो इस आन्दोलन को लेकर माहौल को बिगाड़ने के लिए यत्नशील हैं। इसलिए किसान संगठनों के लिए और भी सचेत होने की आवश्यकता होगी। कई किसान नेताओं की ओर से ऐसे बयान भी आये हैं कि यह दिल्ली जीतने का मार्च नहीं है अपितु लोगों के मन को जीतने का बड़ा साधन है। यदि यह बड़ा प्रयास सफल होता है तो इसके जन-मानस पर अच्छे प्रभाव को नकारा नहीं जा सकेगा। ऐसा यत्न अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि माना जाएगा। इसीलिए इस ऐतिहासिक दिवस पर सभी की नज़रें राष्ट्रीय परेड के साथ-साथ किसानों की ट्रैक्टर परेड की ओर लगी होंगी। ऐसी ट्रैक्टर परेड जो अपना बड़ा प्रभाव बनाने के समर्थ हो सकेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द