कुछ अच्छे फैसले

विगत लगभग 6 मास से किसान आन्दोलन के चलते हुये प्रदेश को प्रत्येक पक्ष से भारी नुकसान हुआ है। इससे पूर्व कोरोना महामारी ने भी इसे एक प्रकार से खोखला करके रख दिया था। प्रत्येक धरातल पर बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गार हो गये थे। औद्योगिक एवं व्यापारिक गतिविधियां थम गई थीं। स्कूल, कालेज व अन्य बड़े-छोटे संस्थान बंद हो गये थे। भय और सहम का वातावरण छाया रहा था जिसके दृष्टिगत प्रदेश अवसान की ओर जाते हुये दिखाई दे रहा था। विगत लम्बे समय से यहां कृषि के क्षेत्र में भी बड़ी जड़ता आ गई प्रतीत होती है। कुछ पड़ोसी राज्यों में केन्द्र सरकार की ओर से दी गई सुविधाओं के कारण समय-समय पर छोटे-बड़े उद्योग यहां से बाहर निकलते रहे हैं। इस कारण अधिकतर शहरों में अनेक औद्योगिक संस्थान या तो बंद हो गये अथवा  सांस थमते दिखाई दे रहे हैं। चिरकाल से प्रदेश की हो रही आर्थिक दुरावस्था ने निराशा को जन्म देना शुरू किया है। प्रांतीय सरकार के पास निरन्तर साधन सीमित होते जा रहे हैं। कज़र् की गठरी निरन्तर बड़ी से बड़ी एवं भारी से भारी होती जा रही है। अनेक बार तो इसके ब्याज को चुकाना भी कठिन हो जाता है। इन हालात का सीधा प्रभाव लोगों की आवश्यक एवं आधारभूत सुविधाओं पर पड़ता है। इसी कारण आज सरकारी क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य का बुरा हाल हुआ पड़ा है। सामर्थ्यवान लोग एक प्रकार से सरकारी अस्पतालों एवं स्कूलों को भूलते जा रहे हैं। सुविधाओं से वंचित इन संस्थानों पर विवश लोग ही आसरा रख रहे हैं। ऐसे हालात तत्कालीन सरकार के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण बन गये हैं। किस प्रकार उपजी इस क्षति को पूरा करना है, किस प्रकार अपनी आय के स्रोत बढ़ाने हैं तथा किस प्रकार थम गई विकास की योजनाओं को आगे बढ़ाना है, ये ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर तत्कालीन सरकार को ही ढूंढना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में यदि सरकार की ओर से कुछ योजनाओं की घोषणा होती है तो उन्हें राहतपूर्ण माना जाना चाहिए। चाहे इन्हें बहुत बड़ी हो चुकी समस्याओं का हल नहीं कहा जा सकता परन्तु इस दिशा में उठाये गये पग यदि कुछ क्रियात्मक रूप एवं रुख धारण करते हैं तो उन्हें अच्छा ही कहा जा सकता है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की ओर से भिन्न-भिन्न योजनाओं के तहत 1000 करोड़ रुपये से अधिक राशि के विकास कार्यों की शुरुआत की गई है। इनमें कई शहरों के लिए योजनाओं का विस्तार दिया गया है जिनका उद्देश्य बड़े स्तर पर जल आपूर्ति एवं सीवरेज सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। शहरों की सफाई के पक्ष से हो चुकी दुरावस्था को देखते हुये यदि कूड़ा-कर्कट से निपटने का उचित प्रबन्ध किया जाता है, गंदे-मंदे पार्कों एवं खुले स्थानों का विकास किया जाता है तो इसे एक नेमत ही माना जाना चाहिए। इन योजनाओं में शहरों का चेहरा बदलने का भी विस्तार दिया गया है। इसके साथ ही यदि सरकार की ओर से कमज़ोर आर्थिक वर्गों के लिए 25 हज़ार घरों का निर्माण करने की नीति एवं इरादा प्रकट किया गया है तो इससे भी ज़रूरतमंद लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है। इसी प्रकार ग्रामीण युवाओं के लिए मिनी बस परमिट नीति की घोषणा भी अच्छी दिशा में उठाया गया पग कहा जा सकता है। इससे रोज़गार के कुछ साधन पैदा होने की आशा की जा सकती है। चाहे घोषित की गई इन योजनाओं का दायरा समस्याओं की विशालता के दृष्टिगत बहुत छोटा कहा जाएगा, परन्तु यदि आगामी समय में सरकार क्रियात्मक रूप में इस दिशा में पग उठाने में सफल हो जाती है तो इसे सरकार की एक अच्छी उपलब्धि अवश्य माना जाएगा। आगामी समय में सरकार से इन दिशाओं में और पग उठाये जाने की भी प्रतीक्षा बनी रहेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द