नासा  मिशन  मंगल में इन महिलाओं का रहा योगदान

अभी हाल ही में कुछ समय पहले दुनिया के सबसे लम्बे हवाई मार्ग नार्थ पोल पर उड़ान भर कर अपना कीर्तिमान रचने वाली महिलाओं ने दुनिया भर में अपना ही नहीं, अपितु देश का गौरव भी बढ़ाया है। इसी प्रकार देश के प्रति सम्मान और प्यार रुका नहीं आगे बढ़ा गया।
इसी प्रकार 18 फरवरी, 2021 के लिए अमरीकन अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ओर से मंगल की सतह पर ‘पर्सिवरेंस रोवर’ को सफलतापूर्वक उतार कर एक नया इतिहास रचा। इसमें किसी एक का नहीं बल्कि कई वैज्ञानिकों का योगदान है। लेकिन इस मिशन को अपने आखिरी मुकाम तक कुछेक महिलाओं ने पहुंचाया। जिन्होंने इस रोवर के विभिन्न भागों पर काम किया। आज हम आपको उन महिलाओं से परिचित करवाते हैं जिनका योगदान मिशन मंगल में अधिक रहा। जो इस प्रकार हैं :
स्वाति मोहन : जब नासा ने मंगल ग्रह पर रोवर को दृढ़ता से उतारा, तो इसके नियंत्रण और लैंडिंग को सम्भालने वाली पहली भारतीय अमरीकन वैज्ञानिक स्वाति मोहन थी। ‘उड़ान नियंत्रक’ स्वाति मोहन ने घोषणा की कि अमरीका ने मंगल पर ऐतिहासिक लैंडिंग की है।  उन्होंने अपने सहयोगियों को  बताया। नौ वर्ष की पहली बार ‘स्टार ट्रेक’ देखने के बाद, वह ब्रह्मांड के नए क्षेत्रों के सुंदर चित्रण से काफी चकित थी। स्वाति इस मिशन में 2013 से जुड़ी थी। स्वाति पहले पीडियाट्रीशन बनना चाहती थी, लेकिन 16 वर्ष की आयु में एक फिजिक्स की क्लास ने उनके जीवन को बदल दिया। स्वाति ने पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की। स्वाति का कहना है कि मेरे लिए यहां अंतरिक्ष अनुसंधान में काम करना गर्व की बात है। इस प्रकार के वातावरण में काम करने से प्रेरणा मिलती है।
नागिन कॉक्स : इसी श्रेणी में अलग नाम नागिन कॉक्स का है जो नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में एक अंतरिक्ष यान संचालन इंजीनियर हैं। अपने वर्तमान मिशन के लिए, कॉक्स मंगल मिशन 2020 के रोवर आप्रेशन टीम के उप-कार्यकर्ता प्रमुख के रूप में संचालित थी। 1993 में नासा मिशन में शामिल होने से पहले वह अमरीकी वायु सेना में सेवाएं दे रही थीं। वह मूल रूप से अमरीका की निवासी है। उन्होंने गैलीतियो मिशन से जुपिटर और रोवर सहित रोबोटिक मिशनों पर नेतृत्व और सिस्टम इंजीनियरिंग की भूमिका निभाई है।
प्रियंका श्रीवास्तव : प्रियंका श्रीवास्तव भी उन नौ महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने मंगल पर रोवर की लैंडिंग से इतिहास रचा है। प्रियंका एक सिस्टम इंजीनियर की क्षमता से मिशन से जुड़ी थीं। प्रियंका ने स्कूली शिक्षा लखनऊ से प्राप्त की है। कल्पना चावला को अपना आदर्श मानने वाली प्रियंका ने नासा की डेनवर शाखा के साथ अपनी इंटरशिप की और फिर नासा जे.पी.एल. कैलिफोर्निया, यूएस में काम करने के लिए चुनी गई।
कविता कौर : वर्ष 1994 में इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बैच की छात्रा रही कविता कौर मार्स मिशन में एक साफ्टवेयर ‘सिस्टम इंजीनियर’ के तौर पर नासा जुड़ी हैं। वह पेक की दूसरी छात्रा हैं  यानि पंजाब इंजीनियरिंग कालेज (पेक) से 1995 में पास आऊट हो चुकी थी। पेक फैकल्टी ने भी अपनी पूर्व छात्रा का काफी आभार व्यक्त किया है। पेक में कविता ने इलैक्ट्रानिक्स एंड इलैक्ट्रिकल कम्यूनिकेशन में डिग्री हासिल की थी। फिर वह हायर एजुकेशन के लिए अमरीका चली गई। वहीं से उनका नासा से जुड़ने का प्रोग्राम बना।
वेनिजा रूपानी : नासा के मार्स मिशन हैलीकाप्टर ‘इनजैनुइटी’ का नाम रखने का श्रेय भारतीय मूल की 17 वर्षीय छात्रा वेनिजा रुपानी को जाता है। रूपानी नार्थपोर्ट, अटबामा के एक हाई स्कूल की छात्रा हैं। रूपानी को 28000 निबंधों के बीच में से चयन किया। ‘नेम द रोवर’ प्रतियोगिता में भाग लेकर और रोवर को नाम देकर वेनिजा ने सम्मान अर्जित किया। साथ ही वेनिजा ने लिखा कि, ‘अंतरिक्ष यात्रा की चुनौतियां’ पर काबू पाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले लोगों की यह प्रतिभाएं ही हैं जो वास्तव में हम जैसे लोगों को आश्चर्यजनक वस्तुओं का अनुभव करवाएगा।
ऊषा गुदड़ी : ऊषा गुदड़ी मार्स मिशन में अपने योगदान को अहम मानती हैं। एक्टिविटी प्लानिंग और सीक्वेसिंग सब सिस्टम लीड के रूप में साफ्टवेयर विकसित करना ऊषा  गुदड़ी का काम था। साथ ही ऊषा ने अब तक कैसिनी (शनि के लिए चौथी जांच) सुबह (डकार्फ ग्रह की परिक्रमा करने वाला पहला मिशन) के लिए काम किया था।
वंदना वर्मा : वंदना नासा के जे.पी.एल. में एक अंतरिक्ष रोबोटिस्ट हैं। वंदना 2007 में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में शामिल हुईं, जिसे रोबोटिक्स और फ्लाइट साफ्टवेयर में विशेष रूचि थी और फिर 2008 में मंगल मिशन का हिस्सा बनीं। पंजाब के चंडीगढ़ में इंजीनियरिंग पूरी करके फिर वह मास्टर्स हासिल करने के लिए यू.एस.ए. आ गईं और यहां उन्होंने रोबोटिक्स में पी.एच.डी. भी की।
शिवाली रेड्डी : शिवाली रेड्डी जोकि एक युवा वर्ग से संबंध रखती है। वह आखिर में बोर्ड पर कार्य कर रही थी जोकि मंगल मिशन की स्वचालित प्रणाली को नील पटेल में एक अंतरिक्ष की सामग्री को इकट्ठा करने और प्रबंधित करने के लिए सहायता करता है। जब पदक्रम रोवर पर रोलिंग हुई तो शिवाली ने इसके एक छोटे फारवर्ड ड्राइव को चालू किया।
योगिता शाह : योगिता शाह वैसे तो भारत के छोटे से शहर औरंगाबाद से संबंध रखती है, लेकिन उन्होंने अपने सपने पूरे करने लिए जी-जान लगा दी। कुछ समय बाद अपने परिवार के साथ बाहर शिफ्ट हो गई। फिर उन्होंने इंजीनियरिंग कालेज से इंजीनियरिंग की। जब वह यूनिवर्सिटी जाती थी तो उनकी कक्षा में सिर्फ 6 लड़कियां थी जिसकी वजह से वह हमेशा ट्रोल होती रही थी। फिर एक दिन उनकी मेहनत रंग लाई और योगिता को नासा में प्रोफैसर के तौर पर काम करने का अवसर मिला। जो अब नासा में एक इलैक्ट्रानिक इंजीनियर हैं। वह जे.पी.एल. की संचालक थी।