पांच राज्यों के चुनावों का महत्त्व

चार राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश के चुनावों का तीसरा चरण समाप्त हो गया है। इससे पूर्व दो चरणों में बंगाल और असम के लिए मतदान हुआ था। तीसरे चरण में पश्चिम बंगाल और असम में मतदान के बाद भी जहां पश्चिम बंगाल में चुनावों के कई अन्य चरण अभी शेष हैं, वहीं असम में यह प्रक्रिया पूर्ण हो गई है। इसके साथ ही तमिलनाडू,  केरल और पुडूचेरी में भी चुनाव एक चरण में घोषित किये गये थे, जो आज सम्पन्न हो गए हैं। अब पश्चिम बंगाल में  होने जा रहे बहु-चरणीय चुनावों के बाद 2 मई को इन सभी राज्यों के चुनाव परिणाम सामने आएंगे। 
चाहे सभी राज्यों में बड़े ज़ोर-शोर से चुनाव प्रक्रिया चलती रही है, क्योंकि प्रत्येक राज्य अपने तौर पर अलग महत्त्व रखता है और इनमें राजनीतिक दृश्य भी अलग-अलग दिखाई देते हैं, परन्तु फिर भी इन चुनावों का राष्ट्रीय राजनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ने की सम्भावना है। यदि पहले की भांति इनमें भी भाजपा अपनी बढ़त बनाए रखती है तो केन्द्र में उसकी सरकार को और मज़बूती मिलेगी और वह और बड़े उत्साह से अपने निर्धारित एजेंडों को लागू करने हेतु अधिमान देगी। इस समय तक पश्चिम बंगाल में ममता बैनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का शासन है जो पिछले 10 वर्ष से प्रशासन चला रही हैं। असम में भाजपा की सत्ता है। वर्ष 2016 में यहां कांग्रेस की तूती बोलती थी परन्तु उसके बाद भाजपा ने यहां की सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया था। पुडूचेरी में कांग्रेस का शासन था परन्तु यहां की राजनीति पड़ोसी राज्य तमिलनाडू से अधिक प्रभावित रही है। चुनावों से पूर्व यहां कांग्रेस के विधायकों द्वारा त्याग-पत्र दिये जाने के कारण सत्ता कांग्रेस के हाथ से निकल गई थी। तमिलनाडू में  विगत लम्बी अवधि से द्रविड़ पार्टियों का ही शासन रहा है। कांग्रेस यहां पर लगातार कमज़ोर रही है और भाजपा का यहां पर ज्यादा आधार नहीं है। इसी तरह केरल में भी वामपंथियों  का शासन है। यहां पिनाराई विजयन के नेतृत्व में वामपंथी लोकतांत्रिक मोर्चा शासन चला रहा है। इस बार भी यहां वामपंथियों का ही अधिक प्रभाव दिखाई देता है। इन विधानसभा चुनावों का यह भी महत्त्व है कि इनमें लोकसभा की 115 सीटें हैं। चाहे इन चुनावों का राष्ट्रीय राजनीति पर एकाएक प्रभाव तो नहीं पड़ेगा क्योंकि लोकसभा चुनावों को अभी काफी समय शेष है परन्तु इनके परिणाम राष्ट्रीय राजनीति की दिशा बदलने में समर्थ ज़रूर हो सकते हैं। इस समय अधिक चर्चा पश्चिम बंगाल की बनी हुई है। राज्य में 249 विधानसभा सीटें हैं। पहले इस राज्य में भाजपा का कोई अधिक आधार नहीं था परन्तु पिछले कुछ वर्षों से लगातार यहां पर उसने अपनी बढ़त बनाने का प्रयास किया है। 2019 में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 42 में से 18 सीटें हथिया ली थीं। उसके बाद इसने अधिक उत्साह के साथ राज्य की राजनीति में अपना हस्तक्षेप बनाये रखा है।
यदि भाजपा इस राज्य में अपनी और बढ़त बनाने में सफल हो जाती है तो केन्द्र में यह और भी मज़बूत दिखाई देगी क्योंकि केरल एवं तमिलनाडू में तो यह दूसरी पार्टियों के भाग में से ही अपना कुछ हिस्सा प्राप्त कर सकेगी। इसलिए इसकी अब अधिक नज़रें असम और पश्चिम बंगाल पर ही लगी हुई हैं। यह बात संतोषजनक है कि कड़े प्रचार के बावजूद अब तक चुनाव बड़ी सीमा तक शांतिमय रहे हैं। चुनाव आयोग द्वारा भी किये गए पुख्ता प्रबंधों का प्रभाव मिल रहा है। आगामी दिनों में भी यदि चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्ण बनी रही तो यह लोकतंत्र के लिए स्वस्थ माना जाएगा। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द