गेहूं की फसल : कटाई, सीधी अदायगी और मंडीकरण

पंजाब में गेहूं की कटाई इस वर्ष बैसाखी से पहले ही शुरू हो जाएगी। गत वर्ष मौसम ठंडा होने के कारण कुछ देरी से शुरू हुई थी। दो-तीन प्रतिशत रकबे को छोड़ कर शेष पूरी कटाई हार्वेसटर कम्बाइनों से किये जाने का अनुमान है। पुराने समय में कृषि के मशीनीकरण से पहले कटाई हाथ से की जाती थी। बैलों से यह पूरा काम लिया जाता था। जब दाने फसल से अलग हो जाते तो तेज़ हवाएं चलने पर तंगलियों के साथ उड़ा कर तूड़ी से दाने अलग किये जाते थे। फिर ड्रमी थ्रैशर आए और उनका प्रयोग शुरू हुआ। उसके बाद थ्रैशर और फिर हार्वेसटर कम्बाइनें आ गईं। 
अब हार्वेसटर कम्बाइनों से सिर्फ जल्दी काटी जाती है और उस का  मंडीकरण दरकार होता है। किसान चिंतित हैं कि मंडियों में चल रहे सिस्टम को केन्द्र की ओर से उथल-पुथल किया जा रहा है और आढ़तियों को बीच में से निकाल कर किसानों के खाते में सीधी अदायगी करने के आदेश जारी किये गए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने केन्द्र को कहा है कि इस संबंधी सभी पक्षों किसान, आढ़ती, सरकारी मशीनरी और लेबर की सहमति लिए बिना इस समय नये सिस्टम को अपनाने से बड़ी एकाएक हिलजुल पैदा होगी। इसलिए इसे कम से कम एक वर्ष के लिए स्थगित करके मंडियों में चल रहे वर्तमान सिस्टम को जारी रखा जाए। केन्द्र की ओर से अपनाए जा रहे सिस्टम के तहत आढ़तियों का रिश्ता किसानों से समाप्त होने की संभावना है। आढ़ती दशकों से किसानों के मित्र रहें है और मुश्किल समय में उनकी हमेशा सहायता करते आ रहे हैं। छोटे सीमांत किसान को विशेष तौर पर आढ़तिओं के रहम पर रहे हैं। उन्हें बैंक आसानी से कज़र्ा नहीं देते। 
आढ़ती मध्यस्त नहीं सर्विस प्रोवाइडर है। वह किसान की फसल की मंडी में आमद, उतराई, सफाई, रख-रखाव, तुलाई और उठान तक सभी सेवाएं उपलब्ध करता है और खरीद एजेंसियों द्वारा फसल की उठान तक उनकी सेवा करता है।  
अधिकतर किसानों ने गेहूं की मिली राशि से खरीफ की फसलों की बिजाई संबंधी सामग्री एवं अन्य खर्च करने होते हैं। सीधी अदायगी होने पर बैंक अपने पिछले कज़र्े की वसूली इस फसल की राशि में से कर लेंगे। लगभग 24 प्रतिशत किसान जमीन ठेके पर लेकर कृषि करते हैं। इस संबंधी कोई लीज़ डीड या राजस्व रिकार्ड में इंदराज नहीं किया जाता। उनको सीधी अदायगी शुरू होने से बड़ी मुश्किल पेश आएगी। 
आई.सी.ए.आर. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान तथा पंजाब यंग फार्मर्स एसोसिएशन से सम्मानित पंजाब सरकार के साथ चावलों के उत्पादन में केन्द्र से कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान नेता राजमोहन सिंह कालेका कहते हैं कि जो सिस्टम मंडियों में दशकों से चला आ रहा है, सफलता से चल रहा है और जिससे किसान, आढ़ती, खरीददार और कृषि मज़दूर सभी वर्गों के लोग खुश हैं और इस सिस्टम को संतोषजनक महसूस कर रहे हैं। इस समय जब किसान तीन कृषि कानूनों के बनाए जाने संबंधी संघर्ष कर रहे हैं और अपने-आप को सभी तरफ से दुविधा में फंसे महसूस कर रहे हैं, इस सिस्टम में परिवर्तन करने की ज़रूरत नहीं है। 
पंजाब फैडरेशन आफ आढ़ती एसोसिएशन के उपाध्यक्ष देवी दयाल गोयल ने बताया कि गत दिनों (5 अप्रैल) बाघा  पुराणा में हुए किसानों और आढ़तियों की विशाल एकत्रता  में मांग की गई कि सरकार किसानों के खातों में सीधी अदायगी के फैसले को वापस ले और आढ़तियों के 131 करोड़ रुपये जो एफ.सी.आई. की ओर से पंजाब सरकार के पास आ चुके हैं, वह आढ़तियों को अदा किया जाएं। जब तक आढ़तियों की यह मांग नहीं मानी जाती समूह आढ़ती हड़ताल पर रहेंगे। 
किसान इस लिए भी चिन्तित हैं कि गत वर्ष जो कोरोना वायरस के कारण मंडियों में फसल बिकने की विधि परमिटों के माध्यम से करके फसल की बेच को सीमित किया गया था, वह विधि जिसके इस वर्ष भी लागू किये जाने की संभावना है, उनके लिए समस्याएं पैदा कहेगी। अधिकतर किसान फसल को अपने पास स्टोर करने को मजबूर होंगे। परन्तु उनके पास कोई गोदाम नहीं और उनको लेबर तथा ढुलाई का खर्च भी सहन करना पड़ेगा। पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन लाल सिंह द्वारा मंडियों की स्थापना संबंधी किये गये प्रबंधों से ज़ाहिर होता है कि कोविड के कारण इस वर्ष भी गत वर्ष के सिस्टम को चालू किये जाने की संभावना है।