रात में भोजन को कहें न

स्वस्थ रहना इतना मुश्किल नहीं है लेकिन यह हमारी ही लापरवाही का नतीजा है कि हम स्वस्थ नहीं रह पाते। हम अपना स्वास्थ्य स्वयं ही खराब करते हैं। लापरवाही का नतीजा होता है कि हमारा शरीर बीमारियों का घर बनता चला जाता है। ये बीमारियां फिर धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर लेती हैं।यह तो सभी जानते हैं कि दिन जागने के लिए होता है और रात सोने के लिए। दिन में अपने सारे कार्यों को निपटाते हैं और रात को चैन से आराम करते हैं। जैसे खाना खाना एक काम है वैसे ही इसे पचाना भी एक काम है। जब हम अपने सारे काम दिन में ही कर लेते हैं तो हमें भोजन भी दिन में ही कर लेना चाहिए। रात को नहीं करना चाहिए किन्तु दिनभर काम में लगे रहने से हमें दिन में तो ढंग से खाने की फुरसत ही नहीं मिलती, सो रात को तसल्ली से ही भोजन किया जाता है।स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है स्वास्थ्य के नियमों का पालन करना। भोजन करने के भी समय होते हैं। यदि हम समयानुकूल भोजन नहीं करेंगे तो चाहे कितना ही पौष्टिक भोजन क्यों न कर लें, बीमार जरूर पड़ेंगे। भोजन करने के क्या नियम हैं, पहले इन्हें जान लें। तभी स्वस्थ रह सकेंगे। हमारे शरीर को शक्ति मिलती है दोपहर के भोजन से न कि रात के भोजन से बल्कि रात में भोजन करने से बीमारियों को घर करने का मौका मिलता है। रात में भोजन करने से बचना चाहिए। दिन में पेट भर भोजन करना चाहिए। भोजन ताजा एवं गर्म होना चाहिए। उसमें सब्जी, फल, सलाद प्रचुर मात्र में होना चाहिए। भोजन दिन में ही कई बार कर लें। भोजन इस प्रकार करें कि दूसरे समय तक भूख खुल जाये। शाम होते ही भोजन कर लें। रात का इंतजार न करें। शाम को हल्का भोजन ही करें। जिनकी पाचन शक्ति कमजोर हो, वे और जल्दी व हल्का भोजन कर लें। फिर रात में कुछ न खायें। यदि रात को भूख लगे तो दूध, सूप या कोई अन्य गर्म पेय लिया जा सकता है। दिनभर क्र म से भोजन करेंगे तो रात को भूख-प्यास नहीं लगेगी। यदि फिर भी रात को भूख-प्यास लगे तो अपने भोजन क्र म पर ध्यान दें। बिलकुल पेट भरकर भोजन न करें। थोड़ी भूख रखें। भोजन में अरूचि न होने दें। 

 (स्वास्थ्य दर्पण)