स्विस ओपन सिंधू को रजत पदक से करना पड़ा संतोष

बैडमिंटन के खेल प्रेमियों को काफी इन्तज़ार करने के बाद स्विस ओपन में निराशा हासिल हुई, जब स्पेन की कारोलीन मारेन जो किसी समय विश्व के सभी मुकुट ओलम्पिक, आल इंग्लैंड, विश्व चैम्पियन और दूसरे देशों की असंख्य प्रतियोगिताओं के ताज अपने  नाम कर चुकी है, ने भारतीय खिलाड़ी को हरा दिया।  इस टूर्नामैंट के फाइनल में की विशेष बात यह रही है कि विशेषज्ञों का यह विचार है कि उसे स्विस फाइनल को एक तरफा बनाते हुए जिस ढंग से वर्तमान में भारत की शीर्ष और विश्व में इस समय सात नम्बर की खिलाड़ी पी.वी. सिंधू को हराया है, उसकी प्रशंसा करनी बनती है। यह स्विस ओपन का फाइनल मैच सिर्फ 35 मिटन तक ही चला और सीधे सैटों में 21-12, 21-5 से समाप्त हो गया। पूरी खेल में यह कहीं भी नज़र नहीं लगा कि सिंधू संघर्ष कर रही है। ऐसा नहीं कि सिंधू ने कभी इस दुनिया का महान खिलाड़ी को हराया नहीं, परन्तु विशेषज्ञों की इस बारे यह राय है कि पी.वी. सिंधू मानसिक दबाव का शिकार हो गई जो फाइनल मैच होने के कारण वह सहन कर रही थी। इस विश्व की महान प्रतियोगिता में सिंधू ने चाहे गत तीन मुकाबले अपने नाम किये हैं परन्तु वह काफी समय से अपनी लय में नहीं थी आ रही थी परन्तु जब इसमें कोई मैच लगातार अपने नाम किये तो एक उम्मीद की किरण दर्शकों के सामने जगी थी परन्तु जिस तरह सभी ओर से चित करके मारेन ने ज़ोरदार खेल खेली, उसका कोई भी जवाब सिंधू के पास नहीं था। यदि इस यादगारी मैच के कुछ दिलचस्प पक्षों की बात की जाए तो यह बात सामने आती है कि पहली गेम के  पहले अर्ध में सिंधू आगे थी परन्तु जब अंक सिंधू के पक्ष में 12-10 हो गए तो कारोलीना ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और पूरी गेम का रुख अपनी ओर कर लिया। इस समय सिंधू ने गेम में वापसी की पूरी कोशिश की परन्तु आगे कारोलीना चट्टान बन कर मुकाबला कर रही थी। पी.वी. सिंधू पहली गेम 15-21 के अंतर से हार गई। दूसरी गेम के शुरू होने तक तो भारतीय दर्शकों को पूरी उम्मीद थी कि भारतीय खिलाड़ी गेम में वापसी करेगी परन्तु यह दिन सिंधू का नहीं था। जब दूसरी गेम आरंभ हुई तो स्पेन की इस महान खिलाड़ी का प्रत्येक अंक के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देना अर्थात उनका उद्देश्य क्या है, स्पष्ट हो गया। पहले पांच अंक तक तो कारोलीना ने भारतीय खिलाड़ी को गेम के निकट ही नहीं आने दिया और स्कोर 5-0 कारोलीना के पक्ष में हो गया। कारोलीना के स्मैश का कोई जवाब नहीं था, उसकी नैट ड्राप पर शॉट का कोई मुकाबला भी नहीं था। इस फाइनल मैच में बहुत कम लम्बी रैलियां देखने को मिलीं। विशेषज्ञों का कारोलीना के बारे यह विचार है कि वह पहले विरोधी को अपनी खेल के अनुसार ढाल लेती है, फिर स्मैश या नैट पर ड्राप शाट लगा कर अंक बटोर लेती है। 

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