विदेशों में भी लोकप्रिय हैं रामायण एवं श्री राम

श्री राम की पूजा-अर्चना सिर्फ हम भारतवासी ही नहीं करते, बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी राम का गौरव फैला हुआ है। वहां के लोग आज भी  इन्हें वही आदर और श्रद्धा देते हैं जैसी हम भारतवासी देते हैं। विदेशों में श्री राम की लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब मानस मर्मज्ञ, प्रकाण्ड विद्वान कामिल बुल्के इण्डोनेशिया गए तो उन्होंने देखा कि एक मुसलमान रामायण पढ़ रहा था। उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ और पूछा, ‘तुम रामायण क्यों पढ़ रहे हो?’ बुल्के साहब की बात सुनकर वह व्यक्ति गंभीर मुस्कुराहट के साथ कहने लगा-रामायण एक अच्छा इन्सान बनाती है, ज़िन्दगी जीने का रास्ता बताती है। भावात्मक एकता के प्रतीक हैं श्री राम। श्री राम के प्रति विदेशियों का बढ़ता हुआ अनुराग अत्यन्त श्लाघ्य और अनुकरणीय है। श्री राम की इस विश्वव्यापी लोकप्रियता में देखा जाये तो उनके देवत्व का कम, और जन-नायकत्व का ज्यादा हाथ है। मर्यादा-पालन, आदर्श भ्राता, प्रजा-वत्सल नरेश, अन्याय के विरोधी, समाज-सेवी आदि का जो पावन उदाहरण उन्होंने अपने जीवन में ढालकर प्रस्तुत किया, उसे गैर हिन्दू विदेशियों ने भी आदर्श माना है। आइये, अब देखते हैं कि कहां-कहां श्री राम को विशेष रूप से लोक मानते, जानते व उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
थाईलैंड
यह बौद्ध धर्मावलम्बी देश है, पर राम को यहां के लोग भी  मानते हैं। यहां की विशेषता यह है कि राम और गौतम बुद्ध दोनों को ही एक रूप में जन-स्वीकृति प्राप्त है। यहां अयुद्यिमां (अयोध्या) और लोवपुरी (लवपुरी) नाम भी श्रीराम के प्रति अगाध प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। प्रसिद्ध बुद्ध मंदिर में जहां एक ओर भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा स्थापित है, वहीं मंदिर की दीवारों पर रामकथा चित्रित है। बैंकाक के राष्ट्रीय संग्रहालय में श्री राम की भव्य प्रतिमा और यहां के राजाओं के नाम भी उक्त प्रमाण को अधिक पुष्ट करते हैं। एक नरेश जो 13वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुए, उन्होंने अपने नाम में ‘राम’ शब्द का प्रयोग किया था। वैसे भी वहां के राजा स्वयं को राम का वंशज मानते हैं। विक्रमी 1839 में वर्तमान राजवंश के प्रथम राजा ने ‘राम प्रथम’ की उपाधि धारण की थी। वर्तमान में वहां के शासक ‘नवें राम’ की उपाधि धारण किए हुए हैं। वाल्मीकि रामायण से प्रभावित ‘रामकियेन’ नाम की रामायण थाईलैंड में अत्यन्त लोकप्रिय है। इसकी रचना 1807 ई. में वहां के नरेश राम प्रथम ने की थी और इस धर्मग्रंथ के अध्ययन से ऐसा लगता है कि श्री राम का अवतार थाईलैंड में ही हुआ था। वहां की भाषा में सीता जी को ‘सीदा’, दशरथ को ‘तसरथ’ रावण को त्सकंथ (दशस्कंध), जटायु को सदायु, शूर्पणखा को सम्मनखा तथा सुग्रीव को सुक्रीव कहा गया है।
इंडोनेशिया
13000 से भी अधिक द्वीपों वाले मुस्लिम बहुल देश इण्डोनेशिया में भी राम उसी तरह लोकप्रिय हैं, जैसे भारत में लोकप्रिय हैं। श्री राम कथा पर आधारित यहां का सुप्रसिद्ध गं्रथ है ‘रामायण कम्बिन’ जिसकी रचना नवीं शताब्दी में जावा के राजकवि योगीश्वर जी ने की थी। जैसे हमारे देश में गीता और कुरान पर हाथ रखकर कसम दिलाई जाती है, उसी तरह वहां की अदालतों में कुरान और रामायण कम्बिन पर हाथ रखवाकर शपथ दिलाई जाती है। वहां के मुसलमान भी श्री राम के प्रति अगाध श्रद्धा व अनुराग रखते हैं। उल्लेखनीय है कि मुस्लिम राष्ट्र होने के बावजूद वहां की हवाई सेवा का नाम ‘गरुड़ एयरवेज’ है।
मलेशिया
राम और रामायण की लोकप्रियता मुस्लिम बहुल राष्ट्र मलेशिया में भी खूब है। ‘हिकायत सिरीरामा’ इस देश की प्रसिद्ध रामायण है। इस लोकप्रिय ग्रंथ के आधार पर वहां तरह-तरह के मनमोहक कार्यक्रम होते रहते हैं और भाग लेने वाले लोगों को आदर की दृष्टि से देखा जाता है।  (एजेंसी)