सब कुछ सही रहा तो टोक्यो में हमारा निशाना सही लगेगा

अप्रैल के अंतिम सप्ताह में दीपिका कुमारी ने ग्वाटेमाला सिटी में अपना तीसरा विश्व कप गोल्ड मैडल जीता। इससे पहले वह 2012 में अंताल्या में और 2018 में सॉल्टलेक सिटी में यह कामयाबी हासिल कर चुकी हैं। एक भारतीय तीरंदाज द्वारा पदकों की यह संख्या सबसे अधिक है। ग्वाटेमाला सिटी में दीपिका के पति अतानु दास ने भी अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए विश्व कप में व्यक्तिगत गोल्ड मैडल जीता। यह पहला अवसर है जब भारत ने तीरंदाजी विश्व कप में दोनों व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीते हैं। यह 25 अप्रैल 2021 की बात है। हॉलैंड में 2019 में विश्व चैंपियनशिप्स में रजत पदक जीतकर अतानु दास व पुरुष टीम पहले ही ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर चुकी है। महिला वर्ग में दीपिका ने तो ओलम्पिक के लिए क्लालीफाई कर लिया है और अनुमान यह है कि महिला टीम भी टोक्यो के लिए अपना टिकट बुक करा लेगी अगर वह जून में पेरिस में होने वाले विश्व कप के तीसरे चरण को जीत लेती है।  अगर इन दोनों का टोक्यो में भी यही फार्म बरकरार रहता है और दोनों ही क्लालीफाई पदक जीतने में कामयाब हो जाते हैं तो ऐसा करने वाली यह भारत की पहली जोड़ी होगी। 
दीपिका लक्ष्य पर फोकस करने वाली तीरंदाज हैं। अतानु दास को दीपिका के कौशल व महत्वाकांक्षा से प्रेरणा मिलती है। अतानु दास कहते हैं, ‘दीपिका ने अगर किसी चीज को करने की ठान ली है तो वह उसे करेगी ज़रूर। मैं उसके इस अंदाज़ से सीखने का प्रयास करता हूं।’ जबकि दीपिका बताती हैं, ‘गरीबी आपको पुख्ता इरादे वाला व्यक्ति बना देती है या कुंठित कर देती है... मैंने सपने देखना तय किया। मैं कभी बहुत गरीब थी लेकिन मैं सपने देखती थी और अब भी सपने देखती हूं।’ इन्हीं सपनों को साकार करने के लिए दीपिका ने 13 बरस की उम्र में घर छोड़ दिया था और अपने पुख्ता इरादों के कारण वह जूनियर नेशनल आर्चरी टीम का हिस्सा बनीं, यूथ वर्ल्ड चैम्पियनशिप्स जीती और तीन सालों यानी 16 वर्ष की आयु में राष्ट्रकुल खेलों में भारत का प्रतिनिधत्व किया। 10 अक्तूबर 2010 को नई दिल्ली के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी को महसूस किया, जब उस शाम दीपिका के गले में व्यक्तिगत और टीम गोल्ड मैडल थे। 
1992 के बार्सिलोना गेम्स में लीजेंडरी तीरंदाज लिम्बा राम 30 मी में चौथे स्थान पर आये थे। यह ओलम्पिक पदक के लिए किसी भारतीय तीरंदाज का सर्वश्रेष्ठ प्रयास था। साल 2011 की टुरिन और 2015 की कोपेनहेगन विश्व चैंपियनशिप्स में भारतीय टीम ने रजत पदक जीते थे। दीपिका इन दोनों ही टीमों का हिस्सा थीं।  हर दो वर्ष में होने वाली विश्व चैंपियनशिप्स में पुरुष टीम को रजत पदक के रूप में पहली सफलता 2005 मेड्रिड में मिली थी। फिर 2019 में हॉलैंड में दास के नेतृत्व में रजत पदक मिला।  दीपिका और अतानु दास ने महामारी की वजह से मास्क लगाकर पिछले साल जून में शादी की।  अगर दोनों टोक्यो में पोडियम फिनिश करने में कामयाब हो जाते हैं, तो उनके जैसी विशिष्ट जोड़ी पूरे भारत में दूसरी नहीं होगी।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर