फिलिस्तीन में खूनी जंग में तब्दील हुईर्ं मामूली झड़पें

वही हुआ जिसकी आशंका थी। 7 मई, 2021 को अलविदा के रोज़ पूर्वी यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद में, फिलिस्तीनी नमाज़ियों और इज़रायली सेना के बीच जो झड़पें शुरू हुईं, लगातार की चेतावनियों के बावजूद उन्हें खूनी जंग बनने से नहीं रोका जा सका। संयुक्त राष्ट्र सहित दुनिया के कई देशों ने इज़रायल और फिलिस्तीनियों से शांति बहाल करने की अपील की लेकिन इन अपीलों का कोई खास फर्क नहीं पड़ा। 10 मई की देर रात फिलिस्तीनी चरमपंथियों ने यरुशलम पर कुछ रॉकेट दागे जिन्होंने एक किस्म से इज़रायली सेना को उकसाने का काम किया और उसने आनन फानन में  गाज़ा पट्टी स्थित कई चरमपंथी ठिकानों पर हवाई हमले किये। इन हवाई हमलों के कारण बच्चों समेत 20 लोगों की मौत हो गई। इज़रायली सेना का कहना है कि उसके हमलों में हमास के कट्टरपंथी मारे गये हैं, आम लोग नहीं लेकिन इन आरोपों-प्रत्यारोपों से क्या होना है? फिलिस्तीन और इज़रायल के बीच खूनी संघर्ष तो अब रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा हो गया है। 
यूं तो हमेशा रमजान के मौके पर यरुशलम में तनाव रहता है, लेकिन इस साल यह तनाव कुछ ज्यादा ही है। लगातार झड़पें हो रही हैं जिसकी वजह यह है कि इज़रायली फौज, फिलिस्तीनियों को अल अक्सा मस्जिद जाने से रोक रहे हैं हालांकि पिछले कुछ सालों से फिलिस्तीनी नियमित रूप से यहां नमाज़ अदा करते रहे हैं, खासकर जुम्मे के दिन लेकिन इस साल इज़रायल बड़े सख्त प्रतिबंध थोप रहा है। यही वजह है कि इज़रायली सेना और आम फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष हो रहा है। दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र धार्मिक स्थलों में शुमार अल अक्सा मस्जिद में जब शुक्रवार 7 मई 2021 को नमाज़ी नमाज़ अदा कर रहे थे, तभी इज़रायली सेना के जवान मस्जिद के अंदर घुस आये और उन्होंने रबर की गोलियों तथा वाटर कैनन के जरिये नमाज़ियों को तितर बितर करने की कोशिश की। 
वैसे ये झड़पें शहर के शेख जर्राह इलाके से शुरू हुई थीं और अल अक्सा तक पहुंच गईं। इज़रायली सेना की इस कार्यवाही में 180 फिलिस्तीनी घायल हो गए। द फिलिस्तीन रेड क्रिसेंट इमरजेंसी सर्विस के मुताबिक घायलों में 18 की हालत गंभीर है। 6 इज़रायली सैनिक भी घायल हैं और इनमें भी एक की हालत नाज़ुक है। दरअसल, यरुशलम विवादित क्षेत्र है, जो इज़रायल के कब्जे में है और फिलिस्तीन इस पर अपना हक जताता रहा है। इस कारण दशकों से हिंसा जारी है। अब तक इस हिंसा में हज़ारों बेकसूर लोग मारे जा चुके हैं।
इस घटना पर संयुक्त राष्ट्र के अलावा दुनिया के अन्य देशों ने भी संज्ञान लिया और इज़रायल व फिलिस्तीन से शांति बनाए रखने की अपील की। लेकिन इज़रायल हमेशा की तरह दुनिया को ठेंगे पर रखने के अपने रवैये पर कायम है। दुनिया के कई देशों ने उन जगहों पर निर्माण रोक देने की इज़रायल से अपील की है जिन्हें फिलिस्तीनी अपनी धार्मिक आस्थाओं के ऐतिहासिक स्थल मानते हैं लेकिन इज़रायल के प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। यहां तक कि ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने भी शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि ‘हिंसा, हिंसा को जन्म देती है।’ लेकिन इज़रायल के कान में जूं नहीं रेंग रही।
करीब 35 एकड़ में फैली चांदी के गुंबद वाली अल अक्सा मस्जिद को अल-हरम अल-शरीफ  भी कहा जाता है। इस्लाम धर्म में मक्का और मदीना के बाद यह तीसरा सबसे पवित्र धर्मस्थल है,जिसे यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया हुआ है। साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक शाखा यूनेस्को ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा था कि यरुशलम में मौजूद ऐतिहासिक अल-अक्सा मस्जिद पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है। यूनेस्को ने इस सम्बन्ध में अरबों के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है।
लेकिन इज़रायल इसे यहूदियों का माउंट टेम्पल मानता है और नहीं चाहता कि फिलिस्तीनी खुलेआम यहां आने की कोशिशें करें। यहां मौजूद वेस्टर्न वॉल को वे अपने मंदिर का आखिरी अवशेष मानते हैं जबकि मुस्लिम समुदाय इसी दीवार को अल बराक की दीवार कहते हैं। उनका मानना है कि यह वही दीवार है जहां पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अल बराक को बांध दिया था। इस तरह दोनों धर्मों के लोग अपनी ज़िद पर अड़े हुए हैं और दशकों से इन्सानी खून बह रहा है।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस साल रमजान शरू होते ही, सबको आशंका थी कि यरुशलम में हिंसा होगी। बावजूद इसके न तो फिलिस्तीनी चरमपंथियों को इज़रायल को उकसाने रोका जा सका और न ही इज़रायल ने इतना संयम दिखाया कि जब दुनिया एक महाआपदा से जूझ रही है तो उस पर एक और खूनी जंग का साया न डाला जाए। अगर दोनों में से कोई भी संयम से काम लेता तो 7 मई, 2021 को अल अक्सा मस्जिद परिसर में फिलिस्तीनियों और इज़रायली सेना के बीच जो झड़पें हुई थीं, वे नहीं होतीं, लेकिन ताकत में चूर इज़रायल न तो किसी की बात मानने को तैयार है और न ही चरमपंथी मुस्लिम यह देख पा रहे हैं कि उनके द्वारा उकसाये जाने से किस तरह इज़रायल नि:शंक कार्रवाई करता है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर