खेल व्यवस्था में आ रहे पतन को कैसे रोका जाए ?

खेलों का मूल सिद्धांत अनुशासन है। खेलें शरीर को तंदुरुस्त रखने के अतिरिक्त खिलाड़ी को एक अनुशासित इन्सान व नागरिक बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। जब हम खेल ढांचे में आ रहे पतन की बात करते हैं तो इसके आरोपी मुख्य पदाधिकारियों से लेकर स्कूल, कालेज स्तर पर अध्यापकों और कोचों को माना जाता है। भारत की खेल फैडरेशनें, खेल विभाग के अध्यापक सभी इसकी चपेट में आते हैं परन्तु यदि देखा जाए तो ये सब खेल स्तर में आ रहे पतन का कारण नहीं हैं। इन कारणों के अतिरिक्त और भी बहुत से कारण हैं। सबसे अहम कारण हमारे खिलाड़ियों की शख्सियत और आचरण में आ रही गिरावट है। खेल के मैदान में भी राजनीति का खेल खेला जा जाता है। अपने नैतिक कर्त्तव्यें के प्रति खिलाड़ी लापरवाह हो रहे हैं। खेल मैदानों में लड़ाई-झगड़े, मारपीट और कोचों का अपमान, नशों का इस्तेमाल करके कुछ खिलाड़ी खेल जगत के किरदार को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। स्कूल, कालेज राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे बहुत से खिलाड़ियों ने अपने चरित्र-निर्माण और शख्सियत के निर्माण की और अधिक ध्यान नहीं दिया। आम देखा जाता है कि स्कूल या कालेज स्तर से ही खिलाड़ियों द्वारा उनके शैक्षणिक करियर की ओर ध्यान नहीं दिया जाता। बहुत-से स्कूलों, कालेजों के खिलाड़ियों को संस्थानों के अनुशासन को भंग करते देखा जा सकता है। स्कूल या कालेजों के नियमों को न मानना उनका एक शौक बन गया होता है। अधिकतर खिलाड़ी ऐसे भी हैं, जिन्हें उनकी खुराक के लिए मिले ईनामी पैसे या खेल विंगों के तहत मिली राशि को नशों, घूमने-फिरने और मौज-मस्ती में उड़ा दिया जाता है। वास्तव में बहुत से खिलाड़ियों ने पढ़ाई में दाखिला तो लिया होता है परन्तु उन्हें कालेज में प्रवेश करते कम ही देखा गया है। इसके बाद दूसरा पक्ष आता है, खेलों के नियमों में आए परिवर्तन का, जिसमें सबसे बड़ा परिवर्तन यह है कि प्रत्येक खेल की समय सीमा को कम किया जा रहा है। जिन खेलों की समय सीमा 30 मिनट होती थी, अब 10 या 12 रह गई है जिसका खेल परिणामों पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। खिलाड़ी के पास अपने खेल का सही प्रदर्शन करने का भी पूरा समय नहीं रहता। ये सभी मुद्दे खेल प्रबंधों का ही भाग हैं। खिलाड़ियों के अनुशासन से लेकर खेल मैदानों तक की प्रत्येक गतिविधि खेल प्रबंध के हिस्से आती है। अब विचार करने की बात यह है कि इन समस्याओं का क्या समाधान कैसे हो सकता है? सबसे पहले खिलाड़ियों और कोचों में नैतिक गुण भरने की ज़िम्मेदारी खेल अध्यापकों और कोचों पर होनी चाहिए। खिलाड़ियों के शैक्षणिक करियर का पूरा ध्यान रखा जाए। खेल प्रबंधकों, खेल फैडरेशनों, खेल मंत्रालय को इस विषय पर संजीदगी से सोचने की आवश्यकता है। 

-मो. 97791-18066