लड़कियों में बढ़ रहा घुड़सवारी का रुझान

आजकल प्रत्येक क्षेत्र में ही लड़कियां लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर रहीं हैं। कई क्षेत्रों में तो लड़कियां लड़कों से भी आगे निकल चुकी हैं। खेलों के क्षेत्र में भी अब लड़कियां उन खेलों में भी भाग लेने लग पड़ी हैं, जिन्हें पहले सिर्फ पुरुषों की खेल समझा जाता था। आजकल पंजाबी लड़कियों में घुड़सवारी करने और पोलो खेलने का रुझान भी बढ़ता जा रहा है। अब वे दिन बीत गये जब लड़कियां सड़क पर घोड़ा रेहड़ा देख कर रास्ता बदल लेती थीं या फिर डर जाती थीं। अब तो लड़कियां घुड़सवारी में लड़कों का मुकाबला कर रही हैं।   इसी तरह भारी संख्या में पंजाब की लड़कियां विशेषकर स्कूली छात्राएं आजकल घुड़सवारी में रुचि ले रही हैं। आज पंजाब में भारी संख्या में सरकारी और गैर-सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां अध्यापक स्वयं छात्रों के साथ छात्राओं को भी खेलों में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करते हैं। अक्सर ही भारत के  भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में होते राष्ट्र स्तरीय मुकाबलों में स्कूली छात्राओं से लेकर कालेज एवं यूनिवर्सिटी स्तर की छात्राएं उत्साह से भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त हाकी एवं अन्य खेलों के दूसरे राज्यों में लगते कैंपों में भी अब पंजाबी लड़कियां बिना किसी डर एवं झिजक के भाग लेने लग पड़ी हैं। यह सब पंजाबी माता-पिता की बेटियों के प्रति सोच में आए परिवर्तन का सूचक है। अक्सर ही हम भिन्न-भिन्न शहरों के रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर देखते हैं कि भारी संख्या में युवा लड़कियां ट्रैक सूट पहने और स्पोर्ट्स किट संभाले रेलगाड़ियों और बसों का इन्तज़ार कर रही होती हैं। चाहिए तो यह है कि पंजाबी लड़कियों को खेलों में भाग लेने के लिए उत्साहित करने के साथ-साथ अनुशासन भी अच्छी तरह सिखाया जाए। इसके अतिरिक्त पंजाबी लड़कियां जिस ढंग से सिर्फ पुरुषों के लिए समझी जाने वाली खेलों में भी भाग लेने लग पड़ी हैं, वह दिन दूर नहीं जब सिर्फ पुरुषों के लिए समझी जाते खेलों में भी लड़कियों का दबदबा होगा।