भयानक है शुगर मरीज़ के लिए पांवों का अल्सर रोग

डायबटिक फुट अल्सर (शुगर से पांव का अल्सर) रोग एक सांसारिक सार्वजनिक सेहत चुनौती है। शुगर की बीमारी व्यापक तौर पर विश्व भर में फैल रही है, आगामी 10-15 वर्षों में 50 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। पांव के अल्सर का मुख्य कारण शुगर है, जिसके संक्रमण से पांव में छाले, सोजिश या लाली के लक्ष्ण हो सकते हैं। इस कारण कई लोगों के पांव काटने की नौबत आ जाती है। शुगर बीमारी शरीर और शरीर की स्वै-चलित नाड़ियों पर प्रभाव डालता है। शारीरिक तौर पर यह तेज़ी से फैलती है और एकाएक पांव में कुछ भी अहसास नहीं होता, जिस कारण मरीज को फुट ट्रामा होने का खतरा अधिक रहता है। अल्सर बनने से पांव के नर्वस सिस्टम पर पूरा प्रभाव पड़ता है, जैसे ही आसपास की नाड़ियों पर प्रभाव पड़ना शुरू होता है तो मरीज को पांव में किसी भी चीज का अहसास नहीं होता। वैस्कुलर सर्जन शुगर के मरीजों में पाये जाने वाले पांव के अल्सर, अन्य समस्याओं के इलाज के लिए समर्थ होते हैं, इनका काम न्यूरोपैथी असिस्मैंट, अल्सर का इलाज, एंजियोप्लासटी या बाईपास सर्जरी की मदद से नाड़ियों पर पड़े प्रभाव को ठीक करके हर तरह की इंफैक्शन को खत्म करना होता है। 
पांवों की देखभाल : शुगर के मरीज़ों के लिए पांवों की देखभाल करना बेहद ज़रूरी है जिसके लिए नियमित रूप में पांवों को धोएं, आरामदायक जूते या चप्पल पहने, शुगर के उपचार के लिए वैस्कुलर सर्जन से सम्पर्क करें। हर तरह के नाड़ी संबंधी बीमारियों का इलाज संभव है। 
विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा पांव पर दबाव बिंदुओं का पता लगा कर पाश्चर को ठीक करने में मदद की जाती है। उचित साधनों का इस्तेमाल और सावधानियों से पांव की असमानताओं और शुगर से पांव के अल्सर को रोका जाता है।