किसानों के पक्ष में आए ओम प्रकाश चौटाला

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला खुलकर आन्दोलनकारी किसानों के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने 3 कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली सीमा पर धरना दे रहे किसानों के पास जाकर न सिर्फ उनके आन्दोलन का समर्थन किया बल्कि किसानों का हौसला भी बढ़ाया। ओम प्रकाश चौटाला कुछ हफ्ते पहले ही जेबीटी भर्ती मामले में 10 साल की सजा पूरी करके तिहाड़ जेल से रिहा होकर आए हैं। वह अलग-अलग जिलों में टोल प्लाजा पर धरना दे रहे किसानों के बीच भी गए और अब पूरी तरह से हरियाणा की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं। इनेलो प्रमुख ने वैसे तो अपने राजनीतिक जीवन के दौरान अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं लेकिन इन दिनों वह पार्टी संगठन को फिर से खड़ा करने और कार्यकर्त्ताओं में जोश भरने में जुटे हुए हैं। अबकी बार इनेलो की हालत जैसी है, ऐसी पहले कभी नहीं रही। उम्र के इस पड़ाव पर पूर्व मुख्यमंत्री के समक्ष पार्टी संगठन को फिर से खड़ा करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसी पर सभी की नजरें लगी हुई हैं। 
तैयारी उप-चुनाव की
अभी तक ऐलनाबाद उपचुनाव का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने चुपचाप ऐलनाबाद उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। वैसे तो किसी भी खाली होने वाली सीट के लिए 6 महीने के अंदर उपचुनाव करवा लिया जाता है लेकिन ऐलनाबाद सीट खाली हुए 6 महीने पूरे हो चुके हैं। चुनाव आयोग ने कोरोना के चलते अभी तक इस सीट के लिए उपचुनाव का ऐलान नहीं किया है। ऐलनाबाद सीट इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला द्वारा जनवरी महीने में इस्तीफा दिए जाने से खाली हुई है। अभय चौटाला ने 3 कृषि कानूनों के विरोध और किसानों के पक्ष में ऐलनाबाद सीट से त्यागपत्र देने का ऐलान किया था। ऐलनाबाद इनेलो का गढ़ रहा है। इस सीट से इनेलो टिकट पर चौटाला परिवार का ही कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा और चुनाव आयोग ने अगर इजाज़त दे दी तो पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ही मैदान में आ सकते हैं अन्यथा अभय सिंह चौटाला या उनके छोटे बेटे अर्जुन चौटाला को मैदान में उतारा जा सकता है। कांग्रेस की भी इस सीट पर प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट से किसी शैलजा समर्थक को टिकट मिलती है या भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसी अपने समर्थक को टिकट दिलाने में सफल रहते हैं। उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने किसी भी समय ऐलनाबाद विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव का ऐलान हो सकता है।
हवाई अड्डे का नाम 
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हिसार में बनने जा रहे पहले नागरिक हवाई अड्डे का नाम महाराजा अग्रसैन के नाम पर रखने का ऐलान करके देशभर के अग्रवाल समाज को एक तरह से खुश करने का काम किया है। अग्रवाल समाज के लिए महाराजा अग्रसैन की राजधानी रहे अग्रोहा कस्बा के प्रति भारी श्रद्धा और सम्मान है। अग्रोहा हिसार के बिल्कुल साथ लगता है और पिछले काफी समय से हिसार में बनने जा रहे पहले नागरिक हवाई अड्डे का नाम महाराजा अग्रसैन के नाम पर रखे जाने की मांग उठती रही है। हिसार का हवाई अड्डा करीब 3 साल पहले डीजीसीए से लाइसैंस प्राप्त प्रदेश का पहला सार्वजनिक हवाई अड्डा बना था। अब सरकार द्वारा इस हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।  न सिर्फ भाजपा समर्थकों बल्कि अन्य दलों में भी मौजूद अग्रवाल समाज के प्रतिनिधियों ने भी मुख्यमंत्री की इस पहल की प्रशंसा और खुला स्वागत किया है। मुख्यमंत्री इस ऐलान से विरोधियों की भी वाहवाही लूटने में सफल रहे हैं। 
जल्द मिलेगा नया डीजीपी
हरियाणा को जल्दी ही नया डीजीपी मिलने की उम्मीद है। मौजूदा डीजीपी मनोज यादव ने पिछले महीने सरकार से आग्रह किया था कि उन्हें वापस इंटेलिजैंस ब्यूरो में भेज दिया जाए और हरियाणा से उन्हें रिलीव कर दिया जाए। वैसे तो मनोज यादव हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे हैं, लेकिन लम्बे समय तक वह आईबी में रहे और उन्हें आईबी के अधिकारी के तौर पर ही वहां स्थायी तौर पर रख लिया गया है। वह आईबी में अतिरिक्त निदेशक पद पर तैनात थे। उन्हें हरियाणा में डीजीपी पद पर नियुक्त करने के लिए आईबी से ही लाया गया था और वह मुख्यमंत्री के पसंदीदा अधिकारी माने जाते रहे हैं।
 मनोज यादव की शुरू में तो गृह मंत्री अनिल विज से ठीक पटरी बैठती रही लेकिन पिछले कुछ समय से अनिल विज डीजीपी के कामकाज से खुश नहीं थे। मनोज यादव का दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद अनिल विज उनका कार्यकाल बढ़ाए जाने के पक्ष में भी नहीं थे। अनिल विज ने मनोज यादव के स्थान पर नया डीजीपी लगाने के लिए गृह सचिव को पैनल भिजवाने के लिए भी कहा था लेकिन मुख्यमंत्री ने मनोज यादव को अगले आदेशों तक डीजीपी बनाए रखने का निर्णय लिया। इस बात को लेकर मुख्यमंत्री व गृह मंत्री में थोड़े मतभेद भी उभरकर सामने आए थे लेकिन अब मनोज यादव ने अपने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए वापस जाने की लिखित में सरकार को इच्छा जताई तो सरकार ने यूपीएससी को 7 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का पैनल भिजवा दिया है। इनमें 2 अधिकारी तो ऐसे हैं जो अगले महीने ही रिटायर होने जा रहे हैं। बाकी 5 अधिकारियों में से आयोग 3 अधिकारियों का पैनल सरकार के पास भेजेगा और उन 3 अधिकारियों में से प्रदेश सरकार किसी एक को डीजीपी नियुक्त करेगी। वैसे ज्यादा चर्चा डीजीपी जेल के पद पर तैनात शत्रुजीत कपूर के नाम को लेकर चल रही है और उन्हें मुख्यमंत्री की पहली पसंद माना जाता है। 
-मो. 98554-65946