ब्रोंकाइटिस की भयानकता कम करना संभव

ठीक से कफ़ न उखड़ने, खांसी होने, सांस लेने में परेशानी करने वाले ब्रोंकाइटिस को शांत रखने के लिए थोड़ा प्रयास तो करना ही होगा जो बिलकुल संभव भी है। इस रोग में वायु-नली में सूजन हो जाना, आम बात है। फेफड़ों में जाने वाली वायु नली में जब बड़ी नालिकाओं का प्रभाव पड़ता है तो ब्रोंकाइटिस रोग हो जाता है।
=एक और स्थिति भी है। वायु नली से जब बारीक नलिकाएं प्रभावित होती हैं तो उसे ब्रोंको-निमोनिया कहा जाता है। यह बहुत खतरनाक होता है।
=दोनों रोगों के लक्षण हैं- खांसी रहना,  ज्वर चढ़ना, छाती में घुटन बनी रहना, पूरे शरीर में अकड़न हो जाना।
= यदि ब्रोंको-निमोनिया है तो इस रोग के बढ़ने से कुछ और लक्षण उपस्थित हो जाते हैं। हाथ, पांव, चेहरा नीला पड़ना, शरीर थका थका मृत सा रहना, जिह्वा पर चिपचिपापन आ जान, खून अशुद्ध-काला सा हो जाना, त्वचा खुश्क हो जाती है। 
=  इन रोगों में बलगम सूखी रहती है। उखड़ती नहीं। फिर थोड़ी गीली होने लगती है। चिपचिपापन ले लेती है। उखाड़ने में परेशानी आती है।
कुछ घरेलू उपचार
 इन रोगों से बचने के लिए थोड़ा धीरज रखना पड़ता है मगर लाभ जरूर होता है। 
= तारपीन के तेल से फायदा होगा। इस से छाती की मालिश करें।
= घी गर्म करें। थोड़ा चुटकी भर केसर डालें। इस से छाती की मालिश करें।
= दूध का एक गिलास गर्म-गर्म लें। इस में दो चुटकी केसर डालकर पी लें। काफी आराम पाएंगे।
=गर्म पानी लें। नींबू निचोड़ कर गुनगुना पी लें। यह रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा कर देगा। आराम महसूस करेंगे।
= सोयाबीन को अंकुरित कर, या भिगोकर नर्म कर, थोड़ा कूट-पीस लें। इस में शहद मिला कर खाएं। काफी आराम पाएंगे।
= एक चम्मच शहद तथा आधा चम्मच लहसुन का रस मिलाकर चाट लें। प्रतिदिन, दिन में दो खुराक बड़ा आराम पहुंचाती हैं। 
= मुलहठी का पाउडर, सुहागा खिला हुआ, क्र मश: एक छोटा चम्मच तथा तथा चौथाई छोटा चम्मच लें। एक बड़े चम्मच शहद में दोनों को मिला कर धीरे-धीरे चाटें। ऐसी तीन खुराक एक ही दिन में लें। ऊपर से गर्म पानी पी लें। दो ही दिनों में आराम पाएंगे। 
द्व गर्म पानी में नमक डालकर भाप लें। आराम मिलेगा।
= गर्म पानी में सिरका डालकर भाप लेने से भी आराम मिलता है। 
= चाहें तो गर्म पानी में लौंग के तेल की तीन बूंद डाल कर भाप लें। इन में से कोई उपाय भाप वाला ज़रूर करें। पुदीना के सत्व को डाल कर भी भाप लेना उपयोगी माना जाता है।
 (स्वास्थ्य दर्पण)