हानि भी पहुंचा सकते हैं अधिक विटामिन

यह एक आम धारणा है कि विटामिन सदा लाभप्रद होते हैं किन्तु चिकित्सा विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि विटामिनों का अत्यधिक प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी सिद्ध हो सकता हैं। अधिकांश विटामिन यदि उचित मात्रा में लिये जायें तो हानिकारक नहीं होते किन्तु कुछ ऐसे भी विटामिन हैं जिनका सेवन अधिक मात्रा में काफी दिनों तक किया जाए तो उनसे हानि भी हो सकती है। आम लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि विटामिन बहुत ही शक्तिशाली ‘रिड्यूसिंग एजेंट’ भी है और यह शरीर में उपस्थित अन्य पौष्टिक तत्वों को नष्ट कर सकता है। रक्त में यूरिक एसिड के स्तर में वृद्धि हो सकती है और ऐसे लोग जिनके वंश में गठिया की बीमारी रही है, गठिया से पीड़ित हो सकते हैं। एफ.डी.ए. की रिपोर्ट के अनुसार विटामिन ‘सी’ के अत्यधिक सेवन से भोजन में विद्यमान विटामिन बी 12 नष्ट हो सकता है, गुर्दे में पथरी का निर्माण हो सकता है, बढ़ती हुई हड्डियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। विटामिन ई भी एक ऐसा ही विटामिन है जिसकी भूमिका शरीर में अनिश्चित है। उसे हृदय रोग से रक्षा के लिए जाता है। इससे भी सिरदर्द, जी मिचलाना, चक्कर आना, थकावट, धुंधला दिखाई पड़ना जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं। इसके सेवन से शरीर में विटामिन ‘के’ के स्तर में कमी हो जाती है। शरीर में विटामिन ‘के’ की उपस्थिति रक्त के जमने के लिए बहुत ही आवश्यक है। इस बात के भी कतिपय प्रमाण मिले हैं कि अधिक मात्रा में विटामिन ई के सेवन से प्रजनन ग्रंथियों के क्रि या कलाप में बाधा पहुंचती है और अब डाक्टर विटामिन ई के अधिक प्रयोग से बचने की सलाह देने लगे हैं। विटामिन-ए और डी ऐसे विटामिन हैं जो वसा में घुल जाते हैं। ये विटामिन शरीर में ही बनते हैं। बच्चों के लिए इन विटामिनों का प्रयोग कॉड लिवर और शार्क लिवर तेल के रूप में प्रचुरता से किया जाता है। भारतीय परिस्थितियों में इन दोनों ही विटामिनों का प्रयोग बिलकुल अनावश्यक है। संतुलित भोजन और पर्याप्त धूप सेवन से विटामिन डी की उत्पति शरीर में स्वत: ही हो जाती है। अत्यधिक मात्रा में विटामिन डी के सेवन से शारीरिक और मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ जाता है। बच्चों के मुलायम ऊतकों में कैल्शियम जमा हो सकता है एवं बड़े लोगों के गुर्दे को क्षति पहुंच सकती है। अधिक मात्रा में विटामिन ए का सेवन करने से सिर दर्द व मिचली तथा दस्त हो सकते हैं। कैल्शियम का प्रयोग भी एक पौष्टिक तत्व की तरह व्यापक रूप से किया जाता है। हम में से बहुत लोगों को इस बात का पता नहीं है कि एक गिलास दूध और कुछ हरी सब्जियों के प्रतिदिन सेवन से एक सामान्य आदमी को आवश्यकता के अनुरूप पर्याप्त कैल्शियम मिल जाता है। इसके अत्यधिक सेवन से स्नायु की क्रि या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और अतिशय सुस्ती आ सकती है।  इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि विटामिन और टानिक संतुलित भोजन का पर्याय नहीं हो सकते। दूध, साग-सब्जियों, फलों, अंडाें, अनाज और प्रोटीनयुक्त भोजनों पर खर्च किया गया धन स्वास्थ्य के लिए विटामिनों और टॉनिकों पर खर्च किए गए धन से कहीं अधिक उपयोगी और लाभदायक होता है। 

(स्वास्थ्य दर्पण)