औषधीय गुणों से भरपूर है चन्दन

चन्दन सुगन्ध और शीतलता का दिव्य प्रतीक है। यह परिवेश और वातावरण को सुगन्ध से भर देता है एवं अंतरमन को भी महका देता है। चंदन के दिव्य गुणों से शरीर शीतल, मन प्रसन्न और हृदय पवित्रता से सराबोर हो उठता है। इसकी सात्विकता और सुगन्धरूपी विशेषता के कारण ही इसे हर धार्मिक कृत्यों में प्रयुक्त किया जाता हैं। आयुर्वेदानुसार पिसे हुए चन्दन को जल में भिगोकर दर्द या सूजन वाले स्थान पर तथा ज्वर में लेप करने से आराम मिलता है। चर्मरोगों में भी चन्दन का लेप लाभदायक होता है। रक्तातिसार में चावल के धोवन में चन्दन घिसकर शहद तथा मिश्री मिलाकर पिलाने से लाभ होता हैं। उल्टी होने पर चन्दन को आंवले के रस के साथ सेवन किया जाता है। खुजली तथा फुंसियों में चन्दन के तेल में सरसों तेल बराबर मात्र में मिलाकर प्रयोग करने से अत्यंत लाभ होता है। श्वेत चंदन शीतल होता है। इससे लू का प्रकोप, अतिसार, त्वचा के रोग, कफ, श्वास नली में संक्र मण बुखार, जलन, जिगर और पित्ताशय की बीमारियां दूर की जा सकती हैं। फफूंद के कारण होने वाला संक्र मण भी चन्दन से दूर किया जा सकता है। चन्दन के तेल में रासायनिक रूप से अल्फा, वीटा, सेण्टामोल, एल्डीहाइड, कीटोन, सेण्टेनॉन तथा सेण्टालोन पाये जाते हैं। संभवत: ये सुगांधित एवं दुर्लभ तत्व ही परिवेश के साथ मानसिकता पर प्रभाव डालते हैं। चन्दन का औषधीय प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से ही करना हितकर होता है।

(स्वास्थ्य दर्पण)