टोक्यो ओलम्पिक के 7 पदक पैरिस में कैसे बने स्वर्ण पदक ?

टोक्यो ओलम्पिक में भारत ने एक स्वर्ण सहित 7 पदक जीते और ओलम्पिक खेलों के इतिहास में यह शानदार प्रदर्शन रहा। रियो ओलम्पिक में भारत ने सिर्फ 2 पदकों से सब्र किया था, परन्तु टोक्यो में शानदार शुरुआत हुई है और भारत को अब इन 7 पदकों को आगामी ओलम्पिक खेलों में 7 स्वर्ण पदकों में कैसे परिवर्तित जाए, इसके  लिए देश के आभी से तैयारी करने की अवश्यकता है। इससे आगामी पैरिस ओलम्पिक खेलों में भारत इन्हें स्वर्ण पदकों में अवश्य बदल सकता है। 
लाल किले पर तिरंगा लहराते समय पदक विजेता खिलाड़ी साथ हों : इस बार टोक्यो ओलम्पिक खेलों में पदक विजेता प्रत्येक खिलाड़ी लाल किले पर मौजूद था, यदि भारत के प्रधानमंत्री ने इन खिलाड़ियों को आज़ादी दिवस पर लाल किले पर सम्मानित किया होता तो उनका मनोबल और बढ़ना था। इससे देश में प्रत्येक खिलाड़ी और देश वासियों को अच्छा संदेश जाना था।  ‘मन की बात’ हो या खेल की बात : जिस ढंग से भारत के प्रधानमंत्री ‘मन की बात’ देश वासियों से करते हैं यदि वह खेलों की बात की भी इस मंच से शुरुआत करें तो इसमें किसी महान खिलाड़ी के जीवन और उसके खेलों में योगदान संबंधी जानकारी दें और इसकी शुरुआत उस खिलाड़ी के जन्मदिन से ही की जाए।
खिलाड़ियों का हो खुली बस में परेड से स्वागत : यदि क्रिकेट को छोड़ दें तो देश के किसी भी अन्य खिलाड़ी को इस तरह का स्वागत नहीं मिला। 2007 के टी-20 विश्व कप विजेताओं का मुम्बई में शानदार स्वागत हुआ था। 1971 में भी अजीत वाडेकर की कप्तानी में जब टीम जीती थी तो उस समय खुली बस में खिलाड़ियों का ज़ोरदार स्वागत हुआ था। 
खेल स्कूली पाठ्यक्रम का स्तायी हिस्सा बने : यदि हम देश के खेलों के साथ दिल से प्यार करते हैं दो हमें देश में खेल संस्कृति पैदा करने के लिए खेलों के विषय को स्कूली पाठ्यक्रम का एक स्थायी अंग अवश्य बनाना चाहिए और इससे हमारे बच्चों को खिलाड़ियों की जीनव शैली और उनके खेल इतिहास की गौरव गाथा संबंधी अच्छी जानकारी मिलेगी। बच्चों को खेलों की बारीकियों को बचपन से समझने का अवसर अवश्य मिलेगा। इससे देश में खेल क्रांति आ सकती है।
न्यूज़ चैनलों पर खेलों के बुलेटन पुन: शुरू हों : इस समय देश में कितने न्यूज़ चैनल चलते हैं और इनमें खेलों के बुलेटन को कभी भी महत्व नहीं दिया गया। यदि सभी चैनलों पर खेलों को पूरी प्राथमिकता दी जाए तो सरकार द्वारा इन खेलों को कवरेज करने के लिए देश हित में पाबंद किया जाए। ओलम्पिक खेलों का स्कूलों और कालेजों में सीधा प्रसारण हो : आज देश का प्रत्येक बच्चा आई.पी.एल. और उसके खिलाड़ियों संबंधी प्रत्येक जानकारी रखता है। नि:संदेह हमारे चैनलों ने ओलम्पिक का पूरा हाल साथ-साथ देश वासियों को बताया है परन्तु क्रिकेट की तरह ओलम्पिक, एशियन और राष्ट्रमंडल खेलों का सीधा प्रसारण स्कूलों व कालेजों में लगीं एल.ई.डी. स्क्रीनों पर दिखाया जाए। 
प्रत्येक खेल का अपना वार्षिक ‘खेल रत्न’ पुरस्कार : भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष अच्छे खिलाड़ी को ‘खेल रत्न’ पुरस्कार दिया जाता है, परन्तु हमने देश में खेलों का और विकास करना है तो पी.टी. उषा, मिल्खा सिंह, सायना नेहवाल, पी.वी. सिंधू जैसे पुरस्कारों की शुरुआत प्रत्येक क्षेत्र में करनी चाहिए। इसके साथ प्रत्येक खेल में उस महान खिलाड़ी को सम्मान भी मिलेगा और नौजवान पीढ़ी को नई दिशा भी मिलेगी तथा हम देश में कई नीरज चोपड़ा, पी.वी. सिंधू, एम.सी. मैरीकॉम और मीरा बाई चानू जैसे खिलाड़ी पैदा कर सकते हैं, परन्तु समय की सरकारों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है तभी हम आगामी ओलम्पिक में 7 स्वर्ण पदक जीतने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। 

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