चुनावों के लिए नई चुनौती

आगामी फरवरी-मार्च में 5 राज्यों के हो रहे चुनावों में समय बहुत कम रह गया है। पंजाब में चुनाव आयोग की ओर से तिथियों की घोषणा करते समय अधिकतर राजनीतिक दल अभी पर ही तौल रहे थे। वैसे एक-दो बड़ी पार्टियों ने अपने बहुत-से उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी परन्तु कांग्रेस, भाजपा एवं उसके गठबंधन की पार्टियां इसमें काफी पीछे रह गईं। अभी तक भी उनकी सूचियां सामने नहीं आईं, जिसके कारण उम्मीदवारों की ओर से अपना चुनाव अभियान शुरू नहीं किया जा सका। इसके साथ ही चुनाव आयोग की ओर से कोविड महामारी के चलते हुये जिन पाबन्दियों की घोषणा की गई है, उससे स्थिति और भी अजीबो-गरीब बनी दिखाई देती है। आयोग की ओर से 15 जनवरी तक रैलियां, जुलूस एवं रोड शो आदि करने पर लगाई गई पाबन्दी ने घोषित एवं सम्भावित उम्मीदवारों को विवश कर दिया है। सभी अपने-अपने ढंग-तरीके से मतदाताओं तक पहुंचने का यत्न करने लगे हैं। इस हेतु सभी प्रकार के मीडिया का सहारा लिया जाने लगा है ताकि वे अपनी बात लोगों तक पहुंचा सकें, परन्तु इस सब कुछ से उनकी संतुष्टि नहीं होने लगी। 
यदि 15 जनवरी के बाद भी हालात ऐसे ही बने रहे तो चुनाव परिदृश्य किस प्रकार का होगा, इसकी अभी समझ आना कठिन है क्योंकि यह अनुमान भी लगाया जा रहा है कि आगामी दिनों में मामलों की संख्या काफी सीमा तक बढ़ सकती है। यदि ऐसा होता है तो चुनाव आयोग की ओर से पुन: चुनावी गतिविधियों को सीमित करने की बात कही जा सकती है। देश में कोविड महामारी की लहर लगभग पिछले दो वर्ष से चल रही है। इस समय के दौरान पहले भी कुछ राज्यों में चुनाव हुये थे। बाद में उनके बड़े गम्भीर परिणाम सामने आये थे। वर्ष 2020 में अक्तूबर-नवम्बर के महीने में बिहार में चुनाव सम्पन्न हुये थे तथा मार्च-अप्रैल 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, केरल, पुडुचेरी एवं असम में चुनाव प्रक्रिया चली थी। उस समय बड़े यत्नों के बावजूद चुनाव आयोग एवं तत्कालीन प्रशासन भिन्न-भिन्न प्रकार से जमा हुई लोगों की भीड़ों को रोक पाने में असमर्थ रहे थे जिसके कारण यह बीमारी और भी फैल गई थी तथा इसके परिणाम घातक सिद्ध हुये थे। इसीलिए ही अब चुनावों की घोषणा के समय आयोग ने इस बात का बड़ा ध्यान रखा है। 15 जनवरी तक लोगों की सभाएं आयोजित करने पर रोक लगाना भी इसी क्रम में शामिल है। आगामी समय में यदि आयोग की ओर से चुनाव गतिविधियों में छूट दी जाती है तो भी कई पक्षों से उम्मीदवारों एवं लोगों को सचेत होना पड़ेगा तथा इसके लिए प्रशासन एवं चुनाव आयोग की ओर से सतर्कता  के दिये गये आदेशों पर क्रियान्वयन करना होगा। 
चुनाव आयोग ने अब सम्बद्ध राज्यों की सरकारों को भी यह निर्देश दिया है कि मतदाताओं के टीकाकरण को प्रत्येक स्थिति में आवश्यक बनाया जाये। कुछ राज्यों में टीकाकरण का अनुपात काफी ज्यादा है परन्तु कुछ राज्य इसमें पिछड़े दिखाई देते हैं। शेष समय में इस संबंध में सक्रियता तीव्र होनी चाहिए। नि:सन्देह सम्बद्ध पार्टियों एवं उम्मीदवारों को स्थितियों के दृष्टिगत कड़ी परीक्षा में से गुज़रना पड़ेगा परन्तु सिर पर आ पड़ी यह विवशता सभी के लिए एक समान ही मानी जानी चाहिए। जिन पार्टियों ने पहले चुनावी तैयारी नहीं की, उनके लिए समय की नज़ाकत के कारण पड़े घाटे को समझा जा सकता है, परन्तु सभी प्रकार के इस मीडिया युग में खोज-़खबर तो सभी को मिलती ही रहती है तथा मतदान करने वाले भी जिज्ञासु होकर अपना मन बनाते रहते हैं। किये जा रहे इस नये परीक्षण में से सभी को गुज़रना ही पड़ेगा। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द