डिस्कस और हैमर थ्रो में गोल्ड मैडलिस्ट प्रवीण कुमार

प्रवीण कुमार, भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का भी गौरव है। महाभारत में भीम की भूमिका निभाने वाला प्रवीण कुमार एशिया स्तर का प्रसिद्ध खिलाड़ी रहा चुका है। डिस्कस थ्रो और हैमर थ्रो में वह एशियाई (1966-77) गोल्ड मैडलिस्ट है। 1972 के ओलम्पिक खेलों में भी वह भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अमृतसर की पवित्र धरती पर अमर सहाये कस्बे में 6 सितम्बर, 1949 में उनका जन्म हुआ। उनका पूरा नाम प्रवीण कुमार सोबती है। मैट्रिक की पढ़ाई उन्होंने अमर सहाये स्कूल में की और अमृतसर के खालसा कालेज से ग्रेजुएशन की है। कालेज में पढ़ते समय वह एक अच्छा खिलाड़ी बन गए। उन्होंने डिस्कस थ्रो और हैमर थ्रो के इंटर यूनिवर्सिटी मुकाबलों में कई बार गोल्ड मैडल जीते। खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने कई रिकार्ड कायम किये हैं। खेल प्रतिभा के बल पर ही उन्होंने बी.एस.एफ. में डिप्टी कमांडर की नौकरी की। 1971 में उनकी रीढ़ की हड्डी में दर्द ने इतना ज़ोर पकड़ लिया कि पूरी डिस्क ही निकल गई। डाक्टरों ने अधिक भार उठाने से मना कर दिया। दवाई खाने से उनको थोड़ा आराम मिला, परन्तु 80वें दशक में डिस्क स्लिप में अधिक ज़ोर पकड़े जाने के कारण वह खिलाड़ी के रूप में बेकार हो गए। वह दर्द इतना तड़पाने लगा कि इसका परिणाम यह हुआ कि दिल्ली एशिआई खेलों के समय उनका प्रोफैशन ही बदला हुआ था। फिल्मी लाइन में उन्होंने 1980 में प्रवेश किया, जब वह बी.एस.एफ. की नौकरी कर रहे थे तो श्रीनगर से काफी दूर उनका कैंप लगा हुआ था। वहां पास ही किसी फिल्म की शूटिंग चल रही थी। फिल्म के निर्देशक रवि नगाइच एक दिन घूमते हुए जब कैंप के पास पहुंचे तो उन्होंने लम्बे-चौड़े प्रवीण को देखा और हैरान रह गए। बातचीत करने के बाद रवि ने प्रवीण को मुम्बई आने का निमंत्रण दिया। मुम्बई जाकर प्रवीण ने रवि की जिस फिल्म में काम किया, वह फ्लाप हो गई। मन को दुख अवश्य हुआ, परन्तु कलाकारों से पहचान बढ़ गई। प्रवीण कुमार कई फिल्मों में काम कर चके हैं। टीवी धारावाहिक ‘सिंहसन बत्तीसी’ और ‘महाभारत’ में अपनी प्रभावशाली भूमिका दिखा चुके हैं।  ‘अर्जुन अवार्डी’ के अतिरिक्त कई और अवार्ड उनकी झोली में पड़ चुके हैं। 

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