ईर्ष्या होने के कुछ कारण

प्रत्येक मनुष्य में प्राकृतिक तौर पर गुण व अवगुण होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति के अवगुणों (कमियों) के बारे में उसके साथ रहते और उसके सम्पर्क में आ रहे व्यक्तियों को ज्यादा पता होता है। यदि कोई व्यक्ति कड़ी मेहनत करके किसी उच्च पद पर पहुंच जाए, तरक्की कर ले तो उससे उसके आस-पास के लोग, कुछ दोस्त, मित्र ईर्ष्या करने लग पड़ते हैं। समाज में बहुत से ऐसे व्यक्ति मिलते हैं जो किसी का बुरा या अच्छा करने की बजाय अपनी ही मस्ती में रहना पसंद करते हैं। लोग उनके साथ इसलिए ईर्ष्या करते हैं कि वह बहुत अकड़ में रहता है, किसी को बुलाता तक नहीं। नया घर बनाना, कोई महंगी वस्तु कार आदि खरीदना और यदि कोई रिश्तेदार, मित्र-सज्जन शुभकामनाएं न दे तो ईर्ष्या हो जाती है कि इनको मेरी खरीदी हुई वस्तु की खुशी नहीं हुई। परीक्षा में अपने बच्चे के दूसरे बच्चों से कम नम्बर आने पर और कई बार अधिक नम्बर आने वाले बच्चों के साथ ईर्ष्या हो जाती है। यहां ईर्ष्या में यह तक कहा जाता है कि स्कूल की ओर से हमारे बच्चों के साथ पक्ष-पात किया जाता है।
आधुनिक वैज्ञानिक युग में भी कुछ लोग जादू-टोना पर विश्वास रखते हैं। अपने घर की समस्याओं के लिए आस-पास को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनके साथ ईर्ष्या करते हैं। इनके अलावा भी ईर्ष्या के और कई कारण हैं। यह ईर्ष्या करना ही एक अवगुण है। यह अवगुण प्राकृतिक तौर पर हर इन्सान के भीतर थोड़ा बहुत होता है। फिर भी इससे बचने का प्रयास करें। किसी की उपलब्धि देखने के साथ-साथ उस व्यक्ति की मेहनत और योजनाबंदी को भी ज़रूर देखें। अपने परिवार बच्चों के आगे उस सफल व्यक्ति की उदाहरण  पेश करें और उसके जैसा बनने का प्रयास करें।