स्वास्थ्य समस्याएं भी प्रभावित करती हैं बच्चें की पढ़ाई 

सब अभिभावक अपने बच्चे से यह अपेक्षा करते हैं कि वह पढ़ाई में अव्वल रहे और इसके लिए वे उसे प्रोत्साहित करते रहते हैं। कई बार स्थिति ऐसी आती है कि माता-पिता हैरान रह जाते हैं कि उनके बच्चे के परीक्षा में अंक बहुत कम आए हैं जबकि उनका बच्चा तो पढ़ाई में बहुत अच्छा है।  उन्हें लगता है कि बच्चा पढ़ाई के प्रति लापरवाही बरत रहा है तभी ऐसी स्थिति आई है। बच्चे को डांट व मार पड़ती है पर स्थिति फिर भी वैसे की वैसी रहती है।
हर बार कसूर बच्चे का हो, ऐसा जरूरी नहीं। कई बार कुछ सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी बच्चे की पढ़ाई प्रभावित होती है। ये सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं कई प्रकार की हो सकती हैं जैसे बच्चे की आंखों का कमजोर होना जिससे उसे पढ़ने में दिक्कत आ रही हो, बच्चे की नींद पूरी न होना, बच्चों की श्रवण संबंधी समस्या, बच्चे में रक्ताल्पता, बच्चे द्वारा सही भोजन ग्रहण न कर पाना, थकान, तनाव आदि। इसलिए माता-पिता को बच्चों को डांटने के बजाय यह प्रयास करना चाहिए कि वह अपने बच्चे के पढ़ाई में पीछे होने का कारण जान सकें।
बच्चे की नजर कमजोर होना एक बहुत गंभीर समस्या है। नजर कमजोर होने से उन्हें बोर्ड पर लिखे अक्षरों को पढ़ने में दिक्कत महसूस हो सकती है। साथ ही किताबों में भी अक्षर छोटे होते हैं जिन्हें पढ़ना उनके लिए संभव नहीं होता । इसलिए बच्चे की आंखों की समस्या पर ध्यान अवश्य दें  बच्चे के भोजन पर भी विशेष ध्यान दें। अधिकतर बच्चे सुबह का नाश्ता किए बिना ही स्कूल आ जाते हैं। जब बच्चे में एनर्जी ही नहीं होगी तो वह पढ़ेगा कैसे। इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चे को नाश्ता करा कर ही स्कूल भेजें और उन्हें टिफिन भी दें।  इसलिए बच्चे को संतुलित भोजन दें जिसमें फल, अनाज, दूध, सब्जियां आदि सभी आवश्यक तत्वों से युक्त भोजन शामिल हों। 
टी वी के विभिन्न चैनलों ने बड़ों के साथ-साथ बच्चों की दिनचर्या को भी प्रभावित किया है। बच्चे देर रात तक टीवी देखते रहते हैं और सुबह उठने का उनका समय निश्चित होता है। उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती।  परिणाम यह होता कि वे स्कूल में भी थके-थके रहते हैं और अपना ध्यान पढ़ाई में केन्द्रित नहीं कर पाते। अभिभावकों को यह ध्यान देना बहुत आवश्यक है कि बच्चे की नींद अवश्य पूरी हो, इसलिए उनके टीवी के समय को निश्चित करें। देर रात तक न खुद टीवी देखें और न उन्हें देखने की आज्ञा दें। हो सके तो बच्चे का टी वी देखने का समय निश्चित कर दें। माता-पिता बच्चों को अपनी अपेक्षाओं के प्रति पूरा उतरते नहीं पाते तो उनको डांटते मारते हैं जिससे बच्चे के कोमल मन पर चोट पहुंचती है। इसलिए बच्चे से उसको पढ़ाई में आने वाली कठिनाइयाें के बारे में बात करें और उन्हें हल करने का प्रयत्न करें। उनके तनाव के कारण को जान कर उसका हल ढूंढें। बच्चाें के मानसिक तनाव का असर उनकी कार्यकुशलता व व्यवहार पर पड़ता है, इसलिए उन्हें तनावग्रस्त न होने दें।  (उर्वशी)