विरोधी मोर्चे के लिए सरगर्मी

तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव चंडीगढ़ में आए। उन्होंने किसान आन्दोलन के समय प्राण गंवाने वाले पंजाब एवं हरियाणा के किसानों के परिवारों को कुछ ढाढस बंधाने के लिए 3-3 लाख रुपये की राशि भी प्रदान की। इसके साथ ही उन्होंने गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ हुई झड़पों में शहीद हुए इस क्षेत्र के जवानों के लिए भी 10-10 लाख रुपये की राशि दी। चन्द्रशेखर राव का चंडीगढ़ का दौरा उस कड़ी का एक अंग है जिसके अंतर्गत वह भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करने के लिए देश भर का दौरा कर रहे हैं। उनका यह दौरा भारतीय जनता पार्टी की बढ़ रही शक्ति का मुकाबला करने के लिए की जाने वाली लामबंदी का एक हिस्सा है। इसके अंतर्गत वह देश की बहुत-सी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से मिल रहे हैं तथा उन्हें एकत्रित होकर सैद्धांतिक रूप से भी भाजपा के मुकाबले के  लिए एक मंच पर आने के लिए प्रेरित करने का यत्न कर रहे हैं। 
अपने इस दौरे की अगली कड़ी के तौर पर वह ‘आप’, तृणमूल कांग्रेस एवं जनता दल (एस) के नेताओं को भी मिल रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वह गैर-भाजपा दलों को एक मंच पर एकत्रित करने का यत्न करेंगे। इसी कड़ी में वह पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौडा को भी बैंगलुरू में मिलेंगे तथा रालेगन सिद्धि में अन्ना हजारे से भी अशीर्वाद प्राप्त करेंगे जिन्होंने वर्ष 2014 में कांग्रेस सरकार को भारी चुनौती देकर एक जन-आन्दोलन शुरू किया था। उन्होंने यह भी इच्छा प्रकट की है कि वह पश्चिम बंगाल के साथ-साथ बिहार में भी विरोधी पार्टियों के नेताओं से मिलेंगे परन्तु चन्द्रशेखर ने यह बात स्पष्ट की है कि वह अपने इन यत्नों में कांग्रेस को साथ नहीं लेंगे। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भी उदयपुर में सम्पन्न हुए चिन्तन शिविर में क्षेत्रीय दलों को साथ लेने के लिए कोई उत्साह नहीं दिखाया तथा यह भी कहा था कि क्षेत्रीय दलों का अपना स्थान अवश्य है परन्तु वे भाजपा को नहीं हरा सकते क्योंकि उनकी कोई विचारधारा नहीं है। अब चाहे हालात को देखते हुए वह अपने इस बयान से कन्नी काटने का यत्न कर रहे हैं। उन्होंने लंदन में कहा है कि कांग्रेस सभी क्षेत्रीय दलों का सम्मान करती है तथा वह ‘बिग डैडी’ नहीं बनना चाहती अपितु भाजपा के विरुद्ध लड़ाई इकट्ठे होकर ही लड़ी जा सकती है। विगत लम्बे समय से भिन्न-भिन्न नेताओं की ओर से क्षेत्रीय दलों का मोर्चा बनाने के यत्न हो रहे हैं। इस संबंध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी भी दिल्ली आई थीं। उन्होंने भी भिन्न-भिन्न नेताओं के साथ सम्पर्क साधा था परन्तु उनका यह यत्न आधा-अधूरा ही रहा था। आगामी दिनों में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनावों में भी क्षेत्रीय दलों की ओर से एक मोर्चा बनाने का यत्न किया जाएगा।
ऐसे समय पर यह इस लिए भी आवश्यक प्रतीत होने लगा है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इशारे पर जिस पथ पर भाजपा चलने का यत्न कर रही है, चाहे वह आगामी समय में उसे कुछ चुनाव जिताने में तो सहायता कर सकता है परन्तु यह पथ देश के लिए अतीव हानिकारक सिद्ध हो सकता है। जिस प्रकार धर्म के नाम पर लोगों को भड़काने का यत्न किया जा रहा है, वह अतीव दुर्भाग्यपूर्ण है। हम लंदन में राहुल गांधी की ओर से की गई इस टिप्पणी से सहमत हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि आज भाजपा पूरे देश में कैरोसिन छिड़क रही है, माहौल खराब करने के लिए आगे बस एक चिंगारी की ही आवश्यकता है। यह भी कि सीबीआई तथा अन्य एजेंसियों के माध्यम से लोकतांत्रिक संस्थाओं का घाण किया जा रहा है। आज ऐसी गतिविधियों तथा मानसिकता का मुकाबला करने के लिए एक बार फिर ममता बैनर्जी ने विरोधी दलों को भाजपा की ओर से शुरू की गई नीतियों के विरुद्ध एकजुट होने की अपील की है जिसमें उन्होंने कांग्रेस को भी साथ आने का निमंत्रण दिया है। आज कांग्रेस का शासन चाहे राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में ही है परन्तु झारखंड, तमिलनाडू एवं महाराष्ट्र में वह अन्य दलों के साथ सत्ता में भागीदार है। आगामी समय में विरोधी पार्टियों को एकजुट करने के यत्नों के और तेज़ होने की आशा की जा सकती है। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द