घर से ही बनती है मज़बूत शिक्षा की नींव

एक बच्चे का घर ही उसका पहला स्कूल होता है। वास्तव में बच्चे को उसके घर में मिलने वाला माहौल ही उसकी वास्तविक शख्सियत बनाने में सहायक होता है। विश्व भर में अलग-अलग विद्वानों की ओर से विद्या के शाब्दिक अर्थ चाहे विभिन्न निकाले जा सकते हैं लेकिन यह एक अटल सच्चाई है कि हर बच्चे की प्राथमिक शिक्षा उसके घर से शुरू होती है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी बच्चे की ओर से स्कूल, कालेज और यूनिवर्सिटी में हासिल की गई रस्मी शिक्षा का उसके जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान होता है साथ ही इन संस्थाओं से प्राप्त किए किताबी ज्ञान को भी कम करके नहीं देखा जा सकता, लेकिन यह भी सफेद दूध जैसी सच्चाई है कि घर के पढ़े-लिखे सूझवान व्यक्तियों की ओर से बच्चे को अच्छा माहौल देकर उसको सकारात्मक सोच वाला योग्य इन्सान बनाने में जो योगदान जाला जा सकता है। उसका महत्त्व भी कम नहीं होता। यहां यह भी बताना बनता है कि बच्चे के माता-पिता और बुजुर्ग ही उसके पहले अध्यापक होते हैं जो उसे स्कूल भेजने से पहले छोटी-छोटी बातें सिखाते रहते हैं, जोकि ज़रूरी भी है। इस अवस्था में माता-पिता का सचेत रहना बेहद ज़रूरी है क्योंकि उनकी ओर से बच्चे को दिये जाने वाले संस्कारों और सिखाई गई अच्छी या बुरी आदतों के अनुसार ही बच्चे की शख्सियत का विकास होता है। किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है कि बच्चे वह सुनते ज़रूर हैं जो कुछ उनके बड़े उनको समझाते हैं, लेकिन घर के बड़े वास्तव में जिस ढंग से समाज में विचरते हैं उसका ही बच्चों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि पारिवारिक सदस्यों की करनी और कथनी में अंतर न हो। यहां यह उल्लेखनीय है कि माता-पिता की ओर से जीवन में की गई गलतियों का बच्चों के भविष्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है और उनकी ओर से किए गए अच्छे काम बच्चों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हुए उनमें अच्छे संस्कार भर सकते हैं। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वह अच्छे गुणों को धारण करें, बातचीत में धैर्य रखें तथा बुजुर्गों का सम्मान करें। घर में बातचीत करते हुए गाली-गलौच का प्रयोग न करें। परिवारिक सदस्यों का यह कर्त्तव्य बनता है कि किसी भी किस्म के नशे से दूर रहें।
उपरोक्त बातें बच्चे के पालन-पोषण में अच्छा योगदान डाल सकती हैं साथ ही यह बात भी याद रखने की आवश्यकता है कि बच्चे की रचनात्मक शख्सियत विकसित करने के लिए जीवन के ऊंचे और सच्चे अमलों को धारण करने की प्रक्रिया जीवन भर की है न कि कुछ दिनों या कुछ महीनों की।
अंत में यह बात याद रखने की आवश्यकता है कि ज़िन्दगी की दौड़ में बच्चों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसमें उनको दी गई अच्छी शिक्षा कठिनाइयों का हल तो नहीं हो सकती लेकिन उनका हल ढूंढने में सहायक ज़रूर हो सकती है।