़खतरनाक मोड़ पर

हम डा. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री के तौर पर 10 वर्षों के कार्यकाल में घटित महत्त्वपूर्ण घटनाओं तथा देश के विकास में रह गईं त्रुटियों की अक्सर आलोचना करते रहे हैं। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के शासन दौरान देश व्यापक स्तर पर विकास के मार्ग पर नहीं चल सका था। महंगाई, बेरोज़गारी एवं भ्रष्टाचार ने लोगों के नाक में दम कर दिया था। उस समय यह स्पष्ट होने लगा था कि अब कांग्रेस के नेतृत्व वाली इस सरकार का समय समाप्त हो गया है। चुनावों में उसे पराजय का मुंह देखना पड़ सकता है। अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह जब एक प्रैस कान्फ्रैंस को सम्बोधित कर रहे थे तो एक पत्रकार की ओर से नरेन्द्र मोदी के सत्तारूढ़ होने की सम्भावनाओं के संबंध में पूछा गया तो उत्तर में उन्होंने कहा था कि यदि नरेन्द्र मोदी के हाथ में सत्ता आ जाती है तो यह देश के लिए विनाशक सिद्ध होगा। ऐसा उन्होेंने नरेन्द्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री होते हुये उनकी कार्यशैली एवं सोच के दृष्टिगत ही कहा होगा। उस समय गुजरात में साम्प्रदायिक दंगे हुये थे। नरेन्द्र मोदी आज तक इस प्रभाव को नहीं हटा सके  अथवा लगे हुये इस द़ाग को मिटा नहीं सके कि इन दंगों के दौरान मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी भूमिका अतीव संदिग्ध बनी रही थी। 
देश में विगत 8 वर्षों से साम्प्रदायिक आधार पर जो माहौल बनता जा रहा है तथा बात जिस सीमा तक पहुंच गई है, उसे देखते हुये डा. मनमोहन सिंह की उपरोक्त बात स्मरण हो आती है। आज केन्द्र सहित अधिकतर प्रदेशों में भाजपा की सत्ता है। अपने शासन के बलबूते देश में जिस प्रकार का माहौल सृजित किया जा रहा है, वह अतीव ़खतरनाक है। यह देश की एकता एवं अखंडता के लिए घातक है। देश के धर्म-निरपेक्ष संविधान पर इस माहौल से उंगली उठती है। जिस प्रकार की नीतियां केन्द्र एवं भाजपा सरकारों वालों राज्यों द्वारा अपनाई जा रही हैं, उन पर उंगलियां उठना स्वाभाविक है। नरेन्द्र मोदी का नाम विश्व भर में लोकप्रिय हो गया था परन्तु आज उनके व्यक्तित्व पर प्रश्न-चिन्ह लग गये हैं। अमरीका जैसा भागीदार देश भी भारत सरकार की नीयत एवं इसकी ओर से उत्पन्न किये जा रहे इन हालात के संबंध में उंगली उठाने लगा है। नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री होते हुये तत्कालीन अमरीकी प्रशासन ने उनके वीज़ा पर प्रतिबंध लगा रखा था, परन्तु नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐसे प्रतिबन्ध को हटाये बिना उसके पास कोई चारा नहीं रहा था। लगभग 8 वर्षों से उत्पन्न किये जा रहे इस सांप्रदायिक वातावरण का प्रभाव अब स्पष्ट दिखाई देने लगा है। अरब एवं अन्य मुस्लिम देश जो कल तक भारत के साथ खड़े दिखाई देने लगे थे, वे भी दूर होते जा रहे हैं। 
भाजपा की प्रवक्ता नूपुर शर्मा की ओर से प़ैगम्बर मोहम्मद साहिब के संबंध में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के प्रति सरकार ने भारी हिचकिचाहट के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं धर्म-निरपेक्ष संविधान की बात की है। एक ओर पूरे देश में आग लगती दिखाई दे रही है। घृणा की आ़ग फैलती जा रही है। दूसरी ओर इसे बुझाने के लिए सरकार को पानी की कमी दिखाई देने लगी है। इसका बड़ा कारण यह है कि स्वयं ही सृजित किये गये माहौल में से श्री नरेन्द्र मोदी किस तरह बाहर निकलें? इसकी समझ उन्हें अभी तक नहीं आ रही। समस्याओं को सुलझाने की बजाय भाजपा की प्रदेश सरकारें एवं केन्द्र सरकार रोष-पूर्ण प्रतिक्रियाओं को सख्ती से दबाने की नीति धारण कर रही हैं। विगत कई महीनों से भाजपा की सरकारों ने ़गैर-संवैधानिक ढंग अपना कर भिन्न-भिन्न प्रदेशों में बुल्डोज़रों के साथ एक सम्प्रदाय से सम्बद्ध लोगों के घरों को ध्वस्त करना शुरू कर रखा है। सहारनपुर के घटनाक्रम के संबंध में भी उसने यही नीति अपनाई हुई है जो समूचे रूप में देश के लिए घातक सिद्ध हो सकती है क्योंकि घटित हुये इस घटनाक्रम का संबंध केवल दो वर्गों के साथ ही नहीं है, अपितु देशवासियों की मानसिकता के साथ है। देश के हल्के पड़ते जा रहे संविधान के साथ है। यदि समय की सरकार ने अपनी नीति एवं नीयत में भारी परिवर्तन न किये तो डा. मनमोहन सिंह के शब्दों के अनुसार देश के लिए इसके परिणाम  विनाशक सिद्ध हो सकते हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द