‘गये वक्तों के गांव ढूंढते रह जाओगे’

उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर का एक गांव परौंख, वहां के निवासियों को इस बात पर गर्व है कि भारत के रष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का जन्म इसी गांव में हुआ और यहीं पर उनका लालन-पालन भी हुआ। गत दिनों परौंख में एक समारोह हुआ जिसमें राष्ट्रपति जी ने अपना पुश्तैनी मकान बाबा साहिब भीम राव अम्बेदकर की स्मृति में बनने वाले संस्थान को दान कर दिया। इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे। इस अवसर पर मोदी ने देश के गांवों की बदल रही सूरत का विस्तार से वर्णन किया। महात्मा गांधी ने कहा था कि असली भारत गांवों में बसता है। देश में लगभग साढ़े 6 लाख गांव हैं। आज हमारे देश के गांवों में बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है। इसके पीछे जो कारक मौजूद हैं, वो हैं फसलों के अच्छे दाम, बेहतर सम्पर्क साधन, ग्रामीण योजनाएं, नई फसलें और प्रौद्योगिकी। आज गांव के लोगों की जीवनशैली भी लगभग शहरों जैसी होती जा रही है। 
एक ज़माना था जब गांव अभावग्रस्त हुआ करते थे, छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी शहर भागना पड़ता था, गांव के लोग खेती के लिए प्रकृति पर ही निर्भर हुआ करते थे। भारत के गांव अतीत में खर्चीली खेती, शश्वत गरीबी आदि के प्रतीक रहे हैं। यही तस्वीर विदेशी मीडिया ने भारत की बना रखी थी, लेकिन आज बहुत परिवर्तन आ चुका है। देश की आज़ादी के बाद एक लम्बे समय तक हमारे नेताओं और देश की सरकारों ने गांवों की ओर उतना ध्यान नहीं दिया जितना दिया जाना चाहिए था, लेकिन यह तस्वीर अब तेज़ी से बदल रही है। आज ये गांव उन्नति की ओर कदम बढ़ाते प्रतीत होते हैं। इसी बात का उल्लेख मोदी ने अपने भाषण में किया। आज बेहतर सिंचाई सुविधाओं की बदौलत किसान एक साल में तीन-तीन फसलें उगा रहे हैं। अब गांवों में बेहतर सड़कें बनने के कारण आवाजाही के साधन भी उपलब्ध हैं, जिससे किसानों की उपज को मंडियों तक पहुंचाना आसान हुआ है। इससे गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति पहले से बहुत बेहत हुई है।  पंजाब में साढ़े 12 हज़ार से अधिक गांव हैं और जब यहां थोड़े समय के लिए लछमन सिंह गिल की सरकार आई तो कच्ची सड़कों को ईंटों से पक्की करने और गांव के बाहर प्रवेश द्वार किसी न किसी बड़े-बूढ़े की याद में बनाए जाने लगे क्योंकि पंजाब के बहुत-से बेटे-बेटियां विदेशों में काम धंधों में लगे हैं। इसलिए उन्होंने भी अपने-अपने गांवों की तरक्की में काफी योगदान डाला है।
  सरकार ने लोगों को बैंकों में आसानी से ऋण लेने की प्रक्रिया आरम्भ की जिससे लोगों को अपने सपने साकार करने में मदद मिली। टैलीफोन तथा दूरसंचार के अन्य साधन भी ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध हैं। बिजली, पेयजल, आवास, कुकिंग गैस, स्वास्थ्य सुविधाएं तथा और भी कई प्रकार के साधन आज गांवों में उपलब्ध हैं। जैसे कि नगर और उपनगरों में अन्य भारतीयों मिल रहे हैं। आज ग्रामीण लोगों के पास  ट्रैक्टर, महंगी कारें और कम्प्यूटर जैसे साधन आम देखे जा सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पास लैपटॉप तथा टैबलेट हैं।  अब भूल जाइये वो दिन जब गांवों में कुपोषण से त्रस्त फूले पेट वाले बच्चे, फटे पुराने कपड़े पहने बिलखते हुए बच्चे। बेशक आज भी कहीं-कहीं गरीबी के टापू मौजूद हैं, लेकिन इसके पीछे कई कारण कहते-सुने जाते हैं, जैसे कि कोरोना काल में बेरोज़गारी और स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ा बोझ तथा और भी कई प्राकृतिक आपदाएं, लेकिन इस सबके बीच सरकार द्वारा 80 करोड़ भारतीयों को राशन उपलब्ध करवाया जाना कोई मामूली बात नहीं। सरकार इन कारणों को भी खत्म करने के प्रयास में लगी हुई है।  शहरों के विस्तार से भी गांवों को बहुत लाभ हुआ है। रियल एस्टेट कम्पनियां जब ग्रामीण बाज़ारों में प्रवेश कर रही हैं तो किसानों को उनकी ज़मीनों के बहुत ऊंचे दाम मिल रहे हैं। किसान अपनी ज़मीनें बेच कर अब ऐसा खुशहाल जीवन जी रहे हैं जिसे अब तक केवल फिल्मों में ही देखते आये थे। 
यह सिलसिला अभी यहीं रुकने वाला नहीं। खेतीबाड़ी में बदलाव ग्रामीण जीवन में खुशहाली और गांवों की दशा बड़ी तेज़ी से बदल रही है और जल्द गांव भी शहर जैसे नज़र आने लगेंगे। किसी ने सच कहा है कि—गये वक्तों के गांव ढूंढते रह जाओगे।