फुटबाल जगत के सुपर स्टार थे डिएगो माराडोना

डिएगो माराडोना को फुटबाल की दुनिया का सुपर स्टार अर्जेटीना का अद्भुत लड़का, छोटा पैले, फुटबाल का जादूगर, करोड़पति फुटबॉलर आदि कई नामों से अलंकृत किया गया है। यह इनके खेल कौशल का ही परिणाम है। अकेले के दम पर 13वें विश्व कप फुटबॉल प्रतियोगिता में उसने अर्जेटीना को विजयश्री दिलवाई थी ।डिएगो माराडोना का जन्म 30 अक्तूबर, 1960 को अर्जेंटीना में हुआ था। वह अपने माता-पिता की 8 सन्तानों मेें से पांचवें क्रम पर थे। दुनिया के अचल दर्जे के फुटबॉल खिलाड़ी के पास जब फुटबॉल न होता था, तो ये बचपन में कागजों तथा बेकार कपड़ों से बनाई गेंद से खेला करते थे।फुटबाल प्रशिक्षक फ्रांसिस कारनेजो ने इनकी प्रतिभा को पहचाना और ‘जार्ज सिजटेर स्लीपर’ ने माराडोना को सुपर स्टार बनाने में सहयोग दिया । 1976 में मात्र 16 वर्ष में हंगरी के खिलाफ  अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। माराडोना 1978 में भी वर्ल्ड कप के लिए चुने जाते, किन्तु इनके एक प्रशिक्षक ने इन्हें कच्चा खिलाड़ी कहकर इससे वंचित कर दिया। 1978 में हर अन्तर्राष्ट्रीय मैच में माराडोना ने अपना उम्दा प्रदर्शन किया। 1979 की युवा फुटबाल विश्व कप चैम्पियनशिप में जीत उसी की बदौलत हासिल हुई।1980 और 1981 में माराडोना ने दक्षिण अमरीका द्वारा प्रदत्त सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर का अवार्ड जीता। सन् 1986 में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में चुने गये माराडोना ने 13 वें विश्व कप के हर मैचों में अपना बेमिसाल खेल दिखाकर देश को विश्व चैम्पियन बनाया। इनकी खेल प्रतिभा को देखकर पैले ने कहा था, ‘इस लड़के को रोकना बहुत मुश्किल है।’ माराडोना अपने खेल पर इतना नियंत्रण रखते थे कि इनके होते हुए विपक्षी टीम के पास बॉल जाना मुश्किल होता था। डिएगो माराडोना फुटबॉल के सबसे महंगे खिलाड़ी माने गये। इनके हर प्रदर्शन पर इन्हें सोने की गेंद भेंट की जाती रही। ऐसा कहा जाता है कि हर प्रदर्शनी मैच के लिए इन्हें एक लाख की रकम यूं ही मिला करती थी।19 अप्रैल, 2004 को जूनसआर्यस में दिल का दौरा पड़ने पर इन्हें गहन चिकित्सा कक्ष में रखा गया था, जहां प्रशंसकों की अपार भीड़ एकत्र हुई थी जो इनके प्रति प्रशंसकों की सम्मान भावना का परिचायक थी।25 नवम्बर, 2020 को उनका निधन हो गया। सदा के लिए बिछुड़ चुके विश्व के महान फुटबालर डियागो माराडोना के साथ जुड़ी यादों को संभालने के लिए प्रत्येक फुटबाल प्रेमी अपने-अपने ढंग से यत्नशील हैं। भारत के राज्य केरल के शहर कनूर के एक होटल मालिक ने माराडोना के दौरे से जुड़ी यादों को अजायब घर में तबदील कर दिया है। माराडोना के प्रशंसकों द्वारा विश्व भर में किया जाने वाला यह अभी तक पहला प्रयास है। 2012 में अर्जेंटीना के महान फुटबाल खिलाड़ी डियागो माराडोना ने किसी आभूषणों के उत्पाद के प्रचार के लिए केरल के शहर कनूर का दौरा किया था, जिस दौरान उनके रहने का प्रबंध व्लू नील होटल में किया गया। माराडोना इस होटल के कमरा नम्बर 309 में ठहरे थे और उनकी मौत के बाद होटल मालिक वी. रविन्द्रन ने अपने होटल के कमरे को ‘माराडोना सूट’ के नाम से अजायब घर में तबदील कर दिया जिसमें कनूर दौरे के दौरान माराडोना द्वारा प्रयोग की गई वस्तुओं को संभाल कर रखा गया है। होटल मालिक ने गत दिनों एक समारोह करके अपने होटल के कमरे को ‘माराडोना सूट’ के नाम से अजायब घर  के रूप में स्थापित कर दिया। रविन्द्रन ने माराडोना के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए किये उक्त प्रयास के बारे बताया था कि उन्होंने फुटबाल जगत की महान शख्सियत और मूर्त को सदा के लिए याद रखने का यत्न किया है। डियागो माराडोना की कनूर के होटल ब्लू नील में पहुंचने की दस्तान रविन्द्रन बहुत ही भावुक ढंग से बताई। रविन्द्रन के अनुसार माराडोना के दौरे से पहले प्रबंधकों ने उन्हें नहीं बताया कि माराडोना ने उनके होटल में ठहरना है सिर्फ किसी वीआईपी के आने के बारे बताया था। इस संबंधी उन्होंने सुरक्षा कर्मियों और प्रबंधकों के साथ मिल कर मेज़बानी के लिए 6 महीने पहले ही प्रबंध शुरू कर दिये थे, परन्तु हमें एकाएक मौके पर ही पता चला कि वीआईपी माराडोना हैं।   जिस समय माराडोना ने उनके होटल में पांव रखा तो उनकी (स्टाफ और दोस्तों) हैरानी की कोई सीमा नहीं रही और उन्हें इस तरह लगा परमात्मा स्वयं चल कर उनके होटल में आ रहे हैं। माराडोना 23 अक्तूबर, 2012 को कोज़ीकोड हवाई अड्डे पर उतरे और एक चार्टर हैलीकाप्टर द्वारा कनूर पहुंचे थे। उनके पहुंचने पर रविन्द्रन ने होटल स्टाफ की ओर से एक गुलदस्ता भेंट किया और साथ ही एक सुनहरी शाल देकर सम्मानित किया था। माराडोना के सचिव और ट्रांस्लेटर के माध्यम से  जैसे ही माराडोना से रविन्द्रन की जान-पहचान करवाई गई तो माराडोना ने हाथ मिलाने की अपेक्षा रविन्द्रन को गले लगा लिया। होटल के कमरे में पहुंचने के बाद माराडोना को पानी पेश करने के उपरान्त खाने का मीनू दिया गया था। रविन्द्रन के अनुसार माराडोना को रूसी सलाद बहुत पसंद था। रविन्द्रन के स्टाफ द्वारा कमरे सहित अन्य सुविधाओं से माराडोना को पूरी तरह प्राकृतिक माहौल देने की कोशिश की गई थी जिसके तहत माराडोना के परिवार की तस्वीरें कमरे में सजाई गईं थी। माराडोना इस होटल में शाम तक ठहरे थे। माराडोना ने अपने इस दौरे के दौरान जवाहर लाल स्टेडियम में अपना जन्मदिन भी मनाया था और 25 किलो का केक भी काटा था।