संकट में टीम के लिए ‘दीवार’ बनते रहे हैं दिलीप वेंगसरकर 

दिलीप वेंगसरकर भारतीय क्रिकेट में 15 साल तक राज करने वाले इस क्रिकेटर के हज़ार रंग हैं। क्लासिकल शॉट्स खेलने वाले वेंगसरकर कि मैदान पर जितने रिकॉर्ड हैं, उतने ही बाहर किस्से भी। स्वभाव से शांत वेंगसरकर ने क्रिकेट की हर ऊंचाई को छुआ है। भारतीय टीम के कप्तान रहे और चयनकर्ता भी बने। किसी दौर में भारतीय टीम की ‘दीवार’ रहे दिलीप वेंगसरकर का जन्म  6 अप्रैल, 1956 को राजपुर, मुम्बई में हुआ था। दिलीप वेंगसरकर को कर्नल भी कहा जाता है तो शुरुआत इसी उपनाम से आखिर उनके नाम के साथ कर्नल कैसे जुड़ा कैसे? उन्होंने 1975 में ईरानी ट्रॉफी में शेष भारत के खिलाफ बॉम्बे की ओर से धमाकेदार शतक बनाया था। वेंगसरकर ने इस पारी के दौरान बिशन सिंह बेदी और इरापल्ली प्रसन्ना की गेंदों की खूब पिटाई की। कहा जाता है कि मैच में कॉमेंट्री कर रहे लाला अमरनाथ ने इसी पारी को देखकर उनकी तुलना कर्नल सीके नायडू से की। तभी से वेंगसरकर के नाम के साथ कर्नल जुड़ गया। लेकिन ठहरिए, कर्नल का दूसरा किस्सा भी है। यह भी कहा जाता है कि किसी स्थानीय पत्रकार ने वेंगसरकर को कर्नल उपनाम दिया था। अब सच तो वेंगसरकर ही जानते होंगे। दिलीप वेंगसरकर की सबसे ज्यादा चर्चा लंदन के लॉर्ड्स स्टेडियम में तीन शतक बनाने के लिए होती है। लॉर्ड्स को क्रिकेट का मक्का कहा जाता है। यहां खेलना किसी भी क्रिकेटर की चाहत होती है। दिलीप वेंगसरकर ने यहां चार टैस्ट मैच खेले हैं। उन्होंने पहले तीन टैस्ट में शतकीय पारियां खेलीं। चौथे टैस्ट में 52 और 35 रन बनाए। इस तरह उन्होंने इस मैदान पर 4 टैस्ट में 500 से ज्यादा रन बनाए हैं। डॉन ब्रैडमैन, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली जैसे दिग्गजों के नाम भी लॉर्ड्स में 3 शतक नहीं हैं।भारतीय क्रिकेट उन खुशकिस्मत टीमों में से एक है, जिसके पास हर दौर में एक ‘दीवार’ रही है। वेंगसरकर भी उन खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन पर उनकी टीम से लेकर प्रशंसक तक भरपूर भरोसा करते थे। यह खिलाड़ी खासकर तब अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाता था, जब भारतीय टीम संकट में हुआ करती थी।  वेंगसरकर के रिटायर होने के बाद राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण अक्सर इसी भूमिका में देखे जाते रहे हैं।वेंगसरकर ने अपना पहला टैस्ट मैच 24 जनवरी, 1976 को न्यूज़ीलैंड के खिलाफ खेला था एकदिवसीय मैच 21 फरवरी, 1976 को न्यूज़ीलैंड के खिलाफ ही खेला था। उन्होंने अंतिम एकदिवसीय मैच 14 नवम्बर, 1991 दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तथा अंतिम टैस्ट 5 फरवरी, 1992 को आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था।