श्री गुरु नानक देव के नाम से जुड़ा एडमिंटन का गुरुद्वारा साहिब

श्री गुरु नानक देव सिख गुरुद्वारा आफ  अल्बर्ट, एडमिंटन, कनाडा लगभग 1980 को अस्तित्व में आया। एडमिंटन में यह सब से पहला निर्मित हुआ गुरुद्वारा है। यह नार्थ वैस्ट सेंट अल्बर्ट ट्रेन में शोभनीय है। विदेशों में भी श्री गुरु नानक देव जी के संदेश, उपदेश और बाणी भौतिकतावादी समाज सम्पर्कों को मज़बूत करने, पंजाबी सभ्याचार तथा विरासत को शानदार ढंग के साथ मखमली कोमलता, भावुकता, मनुष्य में संवेदन की तरलता तथा संवेदनशीलता की एकात्मकता की खुश्बू बिखेरते हुए सिख भाईचारा, समाज में प्रसन्नता वितरित कर रहे हैं। विदेशें में भी पंजाब, पंजाबी तथा पंजाबियत को प्रफुल्लित कर के खूबसूरत मानवतावादी कीर्तिमान स्थापित किए हुए हैं। अगर पंजाब, पंजाबी तथा पंजाबियत का यथार्थ रूप देखना हो तो एडमिंटन गुरुद्वारा साहिब में चले जाओ। इस की प्राचीनता ओर नवीनता की झलक महसूस कर सकोगे। अपने आप को मोह के धागे में पिरो कर मानवीय नैतिक मूल्यों में रह कर आध्यात्मिकता के पर्यायवाची हो जाओगे। यह आध्यात्मिकता सुकून, गुरुबाणी की मर्यादा के सकारात्मक चिन्ह चित्र अन्दर तक आत्म तुष्टि का परिणाम देते हैं। सर्व-साझीवालता तथा नैतिक मूल्यों की रंगत स्वयं ही हदय में सम्मिलित हो जाती है। नम्रता तथा सेवा-पंथ की परिभाषा देखने को मिल जाती है। यहां समता, भक्ति, शक्ति, संयम सांझीवालता, अनुशासन, कर्मठ-निष्ठा, एकजुटता, दया, सब्र, कुर्बानी, नि:स्वार्थ सेवा, एक साथ नाम जपना, किरत करना, दसवंध, नित्य नेम, सरबत का भला, बेसहारों को सहारा, दस्तार, पांच ककार, अमृत के बाटे का संदेश, केसरी निशान की महत्ता, न्योछावर भावना, लंगर प्रथा, इत्यादि सिखी चिन्ह देखने को मिलते हैं तथा एक ओंकार के आविष्कारी बाबा नानक का संदेश।
गुम्बद साहिब की सेवा (ऊंचाई) लगभग 80 फुट के करीब है। निशान साहिब इस आधुनिक ढंग से बनाया गया है इसकी स्वच्छता सफाई के लिए इसे सैंटर से मोड़ा जा सकता है। सिखी मर्यादा के अनुसार सभी दिन-त्यौहार मनाए जाते हैं। खास कर के दीवाली के पवित्र त्यौहार पर आतिशबाज़ी का प्रबंध किया जाता है।ग्रंथी सिंह जसपाल सिंह श्री गुरु ग्रंथ साहिब के वाक् तथा बाणी को अपनी मर्मस्पर्शी आवाज़ में, शुद्ध उच्चारण में पिरो कर संगत को मंत्र मुग्ध कर देते हैं।कीर्तन करने के लिए रागी सिंह राजेन्दर सिंह, भाई कर्मजीत सिंह तथा भाई जसबीर सिंह शुद्ध कीर्तन करने में निपुणता रखते हैं। कथा वाचक भाई दविन्दर सिंह संगत को आध्यात्मिकता, गुरबाणी, प्रवचन तथा सिख इतिहास से जोड़ने के लिए कथाएं तथा यथार्थ इतिहास के दर्शन करवा देते हैं।   

-मो. 98156-25409