फलदार पौधे लगाने के लिए उचित समय

प्रत्येक व्यक्ति हरे-भरे पौधों को पसंद करता है। आम लोगों द्वारा यह शिकायत की जाती है कि पौधे चलते नहीं। जिसका कारण उन्हें तकनीकी जानकारी का न होना है। फलदार तथा सजावटी पौधे लगाने के लिए यह उचित समय है। इस समय वर्तमान में तापमान कम तथा नमी अधिक होती है, जो नये लगाए गये पौधों के विकास के अनुकूल मौसम माना जाता है। प्रत्येक स्थान पर तथा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में फलों के पौधों का चयन करना पड़ता है, परन्तु फल जैसे कई ऐसे फलदार पौधे हैं, जो प्रत्येक स्थान पर लगाए जा सकते हैं। पंजाब सरकार की कृषि विभिन्नता योजना अधीन भी किसान घरेलू तथा व्यापारिक स्तर पर इस मौसम में ही पौधे लगाते हैं। पौधे लगाने वाले लोगों को फलदार पौधों की संभाल संबंधी तकनीकी जानकारी की बहुत कमी है। बागवानी विभाग द्वारा दी जा रही प्रसार सेवा बहुत सीमित है, क्योंकि इसके पास विशेषज्ञों तथा प्रसार सेवा कर्मचारियों की कमी है। बागबानी विभाग अब कृषि तथा किसान कल्याण विभाग से अलग कर दिया गया है। 
बागबानी तथा कृषि कालेज पीएयू के परमपाल सिंह गिल के अनुसार बाग या पौधे लगाते समय उनमें अंतर सही रखना, पौधे के निर्विघ्न विकास हेतु बड़ा ज़रूरी है। पीएयू द्वारा यह अंतर सभी फलों संबंधी बताए गए हैं। बाग लगाने के इच्छुक लोगों को योजनाबंदी किसी बागबानी विशेषज्ञ से करवानी चाहिए। पौधे लगाने वाले स्थान को लेज़र कराहे से समतल करना आवश्यक है। इसके साथ सिंचाई का उचित उपयोग हो सकेगा। बाग में रास्तों तथा खालों आदि की व्यवस्था सही ढंग से की जाए। फलदार पौधा लगाने के लिए एक मीटर गहरा गड्ढा, गोल खोदा जाए। इस गड्ढे को आधी ऊपरी मिट्टी में रूड़ी खाद ंिमला कर ज़मीन से 2-3 इंच की ऊंचाई पर भर देना चाहिए। इसके साथ पानी देते समय मिट्टी नीचे बैठ जाएगी और इसका स्तर ज़मीन के स्तर के बराबर हो जाएगा। पौधा लगाने से पहले अधिक पानी देना चाहिए। दीमक से बचाव के लिए प्रत्येक गड्ढे में 15 मिलीलिटर क्लोरोपाइरोफास 20 ई.सी. को 2 किलो मिट्टी में मिला कर डाल देना चाहिए। पौधा गड्ढे के मध्य लगाना चाहिए। विशेषज्ञ परमपाल सिंह गिल कहते हैं कि पौधा लगाते समय यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि 9 इंच तक पौधा ज़मीन से ऊपर हो। पौधा लगाते समय गाची के आस-पास मिट्टी को दबा देना चाहिए ताकि पौधों की गाची को कोई नुकसान न पहुंचे। यह ध्यान रखना चाहिए कि नर्सरी से लाते समय रास्ते में और खेत में लगाने तक पौधे को कोई झटका न लगे। ऐसा होने से पौधा टूट जाएगा, जिसका फिर विकास नहीं होगा। 
नये पौधे ऐसे स्थान पर लगाएं जहां ऊंची बाऊंड्री तथा हवा रोकने वाली वाड़ लगी हो। गर्मियों में गर्म हवाएं तथा जनवरी-फरवरी में ठंडी हवाओं से पौधों तथा उन पर लगे फल का बड़ा नुकसान होता है। फल टूट कर नीचे गिर जाते हैं तथा कई बार पौधों की शाखाएं भी टूट जाती हैं। बागबानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरैक्टर स्वर्ण सिंह मान कहते हैं कि ‘हवा रोको’ वाड़ों के लिए देसी आम, जामुन, बेल, बोगनविलीया तथा शहतूत आदि लगाए जा सकते हैं। इनसे प्राप्त होने वाले फलों से अतिरिक्त आय भी होगी। पौधे हमेशा विश्वसनीय नर्सरी से लेने चाहिएं, जैसे पीएयू लुधियाना, इसके क्षेत्रीय फल केन्द्र, बागबानी विभाग की नर्सरियां या मान्यता प्राप्त नर्सरियों आदि से खरीदने चाहिएं। पौधे ताज़ा तथा मध्यम ऊंचाई के होने चाहिएं। नये लगाए पौधों को सीधी धूप से बचाने के लिए इन्हें पालिथीन की शीट या पराली आदि से ढंक देना चाहिए। पौधा लगाने के बाद मृत, रोगी तथा अतिरिक्त शाखाओं को काट देना चाहिए। 
नये लगाए फलदार पौधों के पहले वर्ष कोई रासायनिक खाद नहीं डालनी चाहिए। एक वर्ष के बाद पीएयू ने जो खादों की खुराक सिफारिश की है, उसके अनुसार ही खाद पौधे को देनी चाहिए। नये लगाए गए फलदार पौधों को गर्मियों में एक सप्ताह के बाद पानी देना चाहिए। पुराने पौधों को गर्मियों में 15 दिन के बाद तथा सर्दियों में एक महीने के बाद पानी देने का आवश्यकता है। आड़ू, नाशपाती, अनार, अलूचा जैसे फलदार पौधों को नवम्बर-दिसम्बर के महीने में पानी नहीं देना चाहिए ताकि इन पौधों की पतझड़ अच्छी तरह हो जाए। पानी के उचित इस्तेमाल के लिए तुपका सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल किया जा सकता है। आम तौर पर फल देने वाले पौधे अधिक पानी को नहीं झेल सकते। इसलिए यह ध्यान रखना चाहिए कि पौधों को पानी अधिक न दिया जाए। पपीता लगाते समय इस के पौधों में नर तथा मादा दोनों पौधे होने चाहिएं तभी फल प्राप्त होगा। यदि व्यापारिक स्तर पर पौधे लगाने हैं तो हाईब्रिरड किस्म रोड..786 लगानी चाहिए। 
नये लगाये बागों में ग्वारा, मूंग, मांह, राजमाह, चने तथा मटर जैसी फसलों की काश्त की जा सकती है। बागों में लगाए गए फलदार पौधों में कमाद, ज्वार, बाजरा, कपास तथा धान आदि नहीं लगाने चाहिएं। वैसे सिफारिश की गईं अंतर फसलें अवश्य लगानी चाहिएं। अंतर फसलें लगाने से नदीन कम होते हैं तथा मिट्टी की पौष्टिकता का नुक्सान नहीं होता। इन अंतर फसलों से आय की भी प्राप्ति होती है। बागों में लगाई गई फसलों को सिंचाई तथा रासायनिक खादों का इस्तेमाल पीएयू द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार करना चाहिए।