हरियाणा में अलग सिख गुरुद्वारा कमेटी के गठन का रास्ता हुआ साफ

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन को उचित
ठहराए जाने और इसके गठन के खिलाफ दायर याचिका रद्द करने के बाद अब
हरियाणा में अलग से हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन का रास्ता
साफ हो गया है। दिल्ली की तरह हरियाणा में भी अब प्रदेश के गुरुद्वारों की सेवा
संभाल हरियाणा के सिखों द्वारा चुनी जाने वाली कमेटी के माध्यम से हुआ करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शिरोमणि अकाली दल को गहरा झटका लगा है।
हरियाणा में अलग से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन को लेकर जगदीश सिंह
झींडा व दीदार सिंह नलवी के नेतृत्व में एक व्यापक संघर्ष शुरू किया गया था और
माहौल तैयार किया गया था। झींडा और नलवी के नेतृत्व में हरियाणा में अलग
कमेटी के गठन के मुद्दे पर कई नेताओं ने एसजीपीसी के लिए चुनाव भी लड़ा था
और इनमें से कुछ नेता चुनाव जीतने में भी सफल हो गए थे। 
चट्ठा कमेटी का गठन
कांग्रेस ने अलग से हरियाणा की गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाने का चुनावी वायदा
भी किया था। भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनने के बावजूद यह वायदा
टलता रहा और फिर हरियाणा के पूर्व स्पीकर व पूर्व मंत्री हरमोहिन्दर सिंह चट्ठा के
नेतृत्व में एक कमेटी का गठन भी किया गया। इस कमेटी ने हरियाणा के
गुरुद्वारों की कुल आमदनी और इस आमदनी में से हरियाणा में खर्च होने वाली
राशि और प्रदेश के ज्यादातर छोटे-बड़े गुरुद्वारों की सेवा संभाल को लेकर  एक
विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के साथ-साथ हरियाणा में अलग से सिख गुरुद्वारा
प्रबंधक कमेटी के गठन की भी सिफारिश की थी। 2014 में हुड्डा सरकार ने सत्ता
से जाते-जाते हरियाणा में अलग से सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन का
बिल पास कर दिया। इस अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। 8 साल के
बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पक्ष में
फैसला देकर हरियाणा में अलग से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की राह साफ कर दी
है। हुड्डा सरकार ने हरियाणा के गुरुद्वारों की सेवा संभाल के लिए 40 सदस्यीय
एक कमेटी का गठन भी किया। बाद में इनमें से 10 पद रिक्त हो गए तो करीब
दो साल पहले मनोहर लाल खट्टर सरकार ने बलजीत सिंह दादूवाल के नेतृत्व में
कुछ अन्य सदस्य मनोनित कर इस एडहॉक कमेटी को पूरा कर दिया था। 
मुख्यमंत्री खट्टर का जताया आभार
गुहला-चीका के दो गुरुद्वारों सहित प्रदेश के 5 गुरुद्वारा इस समय भी दादूवाल के
नेतृत्व वाली हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की देखरेख में चल रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद बलजीत सिंह दादूवाल के नेतृत्व में
हरियाणा के सिख नेताओं और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों
ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात कर न सिर्फ उनका सिरोपे
पहनाकर सम्मान किया बल्कि लड्डू खिलाकर मुंह भी मीठा करवाया। यह भी
ऐलान किया कि वे जल्दी ही प्रदेश स्तर की सिखों की एक कांफ्रैंस बुलाकर केंद्रीय
गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित हरियाणा के सिखों की
अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की मांग का समर्थन करने वाले और सहयोग करने
वाले सभी नेताओं का सम्मान करेंगे। अब तक हरियाणा के अधिकांश ऐतिहासिक
गुरुद्वारे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधीन रहे हैं और अब इनकी सेवा
संभाल हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को कब और कैसे मिलेगी, इसको
लेकर फिल्हाल सभी की नजरें इस ओर लगी हुई हैं। 
आढ़तियों की हड़ताल
हरियाणा में इन दिनों आढ़तियों की हड़ताल चल रही है। आढ़ती प्रदेश में ई-खरीद
का विरोध करते हुए प्रदेश भर की अनाज मंडियों में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
चले गए हैं। आमतौर पर व्यापारी वर्ग आन्दोलन से दूर ही रहता है और उसका
आन्दोलन पर जाना यह दर्शाता है कि मामला बेहद गंभीर है। आढ़ती मंडियों में
धरने भी दे रहे हैं और प्रदर्शन भी कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि धान पर
मार्केट फीस कम करके एक प्रतिशत की जाए और आढ़तियों को सभी फसलों की
खरीद पर अढ़ाई प्रतिशत पूरा कमीशन मिलना चाहिए। आढ़तियों की हड़ताल के
चलते प्रदेश में धान की खरीद पूरी तरह बंद हो गई है। आढ़तियों की हड़ताल कब
तक चलेगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, फिल्हाल इतना साफ है कि इस
समय प्रदेश की ज्यादातर मंडियां पूरी तरह से बंद हैं और व्यापारी वर्ग आन्दोलन
पर उतरा हुआ है।
कांग्रेस की गुटबाजी
हरियाणा कांग्रेस कमेटी के नए प्रतिनिधियों और विधायकों की बैठक में पार्टी
पदाधिकारियों को नामित करने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपने का निर्णय
लिया गया। एक अन्य प्रस्ताव में राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष का पद
स्वीकार करने का आग्रह भी किया गया। इससे पहले यह माना जा रहा था कि
बैठक में पदाधिकारी चुनने का निर्णय लिया जाएगा। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह
सुरजेवाला, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा और पूर्व विधायक दल की नेता किरण
चौधरी ने हुड्डा गुट पर डेलीगेट चयन के मामले में सभी को साथ लेकर न चलने
और वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेताओं की इस
नाराजगी और आरोपाें को कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसुदन मिस्त्री
तक पहुंचाया गया और यह भी बताया गया कि जो डेलीगेट बनाए जा रहे हैं, वे
ज्यादातर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के समर्थक हैं। कांग्रेस के पदाधिकारियों की
सूची भी पिछले कई सालों से लटकती रही है और कांग्रेस की गुटबाजी के चलते
अभी भी इसके जल्द जारी होने की कोई संभावना नहीं नजर आ रही। 
अब जजपा भी करेगी रैली
जननायक जनता पार्टी ने अपने स्थापना दिवस पर 9 दिसम्बर को रैली करने का
ऐलान किया है। इस रैली के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी न्यौता दिया गया
है। प्रधानमंत्री को न्यौता देने हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला खुद नरेंद्र
मोदी से मिलने गए और उन्हें रैली में आने का निमंत्रण देकर आए। इस बात की
पुष्टि दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई और जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय
चौटाला ने खुद की है। इस रैली को फतेहाबाद में जननायक चौधरी देवीलाल की
जयंती पर होने वाली 25 सितंबर की रैली के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
देवीलाल के जन्मदिन पर होने वाली रैली में इनेलो प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री ओम
प्रकाश चौटाला ने भाजपा के खिलाफ सक्रिय ज्यादातर प्रमुख विपक्षी नेताओं को
आमंत्रित किया है। इनेलो नेताओं का दावा है कि इनेलो की रैली में पंजाब के पूर्व
मुख्यमंत्री व अकाली नेता सरदार प्रकाश सिंह बादल, बिहार के मुख्यमंत्री नितीश
कुमार, उपमुख्यमंत्री व राजद नेता तेजस्वी यादव, जेडीयू महासचिव केसी त्यागी,
पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पंवार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव, उत्तर प्रदेश के
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुला,
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी,
राजस्थान से सांसद हनुमान बेनीवाल सहित अनेक प्रमुख नेताओं को आमंत्रित
किया गया है और इनमें से ज्यादातर के पहुंचने की भी उम्मीद की जा रही है।
माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी इस रैली में
शामिल हो सकते हैं। इस रैली के माध्यम से इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला
विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाकर तीसरे मोर्चे के गठन की शुरुआत करना
चाहते हैं। अब जजपा द्वारा दिसंबर में की जाने वाली रैली और उस रैली में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया जाना इसी रैली से जोड़कर देखा जा रहा
है। 
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